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शैक्षणिक संस्थाओं को बंद करने पर निजी विद्यालय के संचालकों ने निकाला मशाल जुलूस

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Published : Apr 13, 2021, 8:16 PM IST

स्कूल-कॉलेजों को बंद करने के राज्य सरकार के आदेश का निजी विद्यालयों के संचालकों ने विरोध किया और स्कूल-कॉलेज खोलने की मांग की.

मशाल जुलूस
मशाल जुलूस

जमुई(झाझा): शैक्षणिक संस्थाओं को बंद करने के निर्देश का निजी विद्यालय एकता संघ की ओर से मशाल जूलूस निकालकर विरोध किया गया. निजी विद्यालय के संचालकों ने कहा कि कोरोना महामारी में नेता लाखों की भीड़ में रैली और आमसभा कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. जहां लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के पहुंच रहे हैं. लेकिन कोरोना के बढ़ते खतरे का हवाला देते हुये स्कूल, काॅलेज, कोचिंग संस्थानों को बंद करवाया जा रहा है. यह गलत है.

कर्मचारी भूखमरी की कगार पर
अब हम लोग चुप नहीं बैठेंगे. वर्तमान समय में शिक्षा का स्तर बद से बदतर हो गया है. परंतु सरकार कोई पहल नहीं कर रही है. कोर्ट-कचहरी, बाजार, कल कारखाने, दफ्तर सब खुले हैं. लेकिन सिर्फ स्कूलों को क्यो टार्गेट किया गया. एक स्कूल मे कम से कम दर्जनों बेरोजगारों का चूल्हा जलता है. तमाम कर्मचारी भूखमरी की कगार पर हैं.

आंदोलन का रास्ता अपनायेंगे
सरकार को हर मोड़ पर निजी विद्यालयों ने मदद की, जब भी आवश्यकता पड़ी है. लेकिन सरकार निजी विद्यालयों को अपने निशाने पर लिये हुये है. इसलिये हमारी मांग है कि सरकार पहले शिक्षण संस्थानों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करे. तब स्कूल बंद करने का आदेश जारी करे. अगर सरकार ने शीघ्र स्कूल खोलने का आदेश नहीं दिया तो मजबूरन देश भर के तमाम निजी विद्यालय सरकार की नीति के विरोध आंदोलन करेंगे.

जमुई(झाझा): शैक्षणिक संस्थाओं को बंद करने के निर्देश का निजी विद्यालय एकता संघ की ओर से मशाल जूलूस निकालकर विरोध किया गया. निजी विद्यालय के संचालकों ने कहा कि कोरोना महामारी में नेता लाखों की भीड़ में रैली और आमसभा कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. जहां लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के पहुंच रहे हैं. लेकिन कोरोना के बढ़ते खतरे का हवाला देते हुये स्कूल, काॅलेज, कोचिंग संस्थानों को बंद करवाया जा रहा है. यह गलत है.

कर्मचारी भूखमरी की कगार पर
अब हम लोग चुप नहीं बैठेंगे. वर्तमान समय में शिक्षा का स्तर बद से बदतर हो गया है. परंतु सरकार कोई पहल नहीं कर रही है. कोर्ट-कचहरी, बाजार, कल कारखाने, दफ्तर सब खुले हैं. लेकिन सिर्फ स्कूलों को क्यो टार्गेट किया गया. एक स्कूल मे कम से कम दर्जनों बेरोजगारों का चूल्हा जलता है. तमाम कर्मचारी भूखमरी की कगार पर हैं.

आंदोलन का रास्ता अपनायेंगे
सरकार को हर मोड़ पर निजी विद्यालयों ने मदद की, जब भी आवश्यकता पड़ी है. लेकिन सरकार निजी विद्यालयों को अपने निशाने पर लिये हुये है. इसलिये हमारी मांग है कि सरकार पहले शिक्षण संस्थानों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करे. तब स्कूल बंद करने का आदेश जारी करे. अगर सरकार ने शीघ्र स्कूल खोलने का आदेश नहीं दिया तो मजबूरन देश भर के तमाम निजी विद्यालय सरकार की नीति के विरोध आंदोलन करेंगे.

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