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गाड़ी नहीं मिली तो 4800 में रिक्शा खरीदकर दिल्ली से बंगाल निकल पड़ा मजदूर

गोविंदा मंडल ने बताया कि दिल्ली के बागपत नगर में राजमिस्त्री का कार्य करने गया. जहां एक महीने में मैंने 16 हजार रुपए कमाया था. लॉकडाउन लगने के बाद ग्यारह हजार रुपये खाने-पीने में खर्च हो गए. बाकी के बचे पांच हजार रुपये में 48 सौ में रिक्शा खरीदा और अपने पत्नी और छोटे बच्चे को बिठाकर दिल्ली के बागपत नगर से अपने घर फरक्का के सब्दलपुर के लिए निकला हूं.

जमुई
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Published : May 10, 2020, 1:22 PM IST

जमुई : वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से बचाव को लेकर देश में लगाए गए लॉकडाउन से त्रस्त होकर विभिन्न प्रदेशों से मजदूर अपने घर की ओर पलायन कर रहे हैं. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर रोजी रोटी के लिए कमाने निकले मजदूरों को हो चुकी है. इस विषम परिस्थिति में घर की ओर निकले जैसे-तैसे मजदूरों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा मानो कि भगवान उनसे अग्नि परीक्षा ले रहे हैं.

दिल्ली से रिक्शा चलाकर बिहार पहुंचे मजदूर
ऐसा ही एक पीड़ादायक समस्या सिकंदरा चौक पर देखने को मिली. फरक्का के सबदलपुर निवासी गोविंदा मंडल अपनी पत्नी सुलेखा मंडल और एक साल के बेटे के साथ 16 सौ किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए दिल्ली से रिक्शा चलाकर अपने घर फरक्का जाने के लिए निकल पड़ा. 13 दिनों के बाद वे लोग सिकंदरा मुख्य चौक पर पहुंचे हैं. जहां बातचीत में उसने बताया कि वह दिल्ली के बागपत नगर में राजमिस्त्री का काम करता था. जो 16 हजार रुपया कमाया था, उसमें से 11 हजार लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने में खर्च हो गए. बाकी के बचे पांच हजार रुपये में 48 सौ में रिक्शा खरीदा और अपनी पत्नी और छोटे बच्चे को बिठाकर दिल्ली के बागपत नगर से अपने घर फरक्का के सब्दलपुर के लिए निकला पड़ा.

देखें पूरी रिपोर्ट

पुलिस और ग्रामीणों ने किया सहयोग
जिसके बाद वह 13 दिनों के बाद शनिवार को सिकंदरा पहुंचा. जहां सिकंदरा पुलिस और ग्रामीणों के सहयोग से खाने-पीने की सामग्री और कुछ राशि दी गई. वहीं, रास्ते में इनको कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा. आंधी पानी से बचाते हुए अपने बच्चे और पत्नी को सकुशल घर पहुंचने का संकल्प लेकर चल रहे हैं. बता दें कि इस विकट परिस्थिति में इसके अलावा हजारों मजदूर पदयात्रा करते हुए और साइकिल की सवारी करते हुए अपने घर की ओर बढ़ चला है.

जमुई : वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से बचाव को लेकर देश में लगाए गए लॉकडाउन से त्रस्त होकर विभिन्न प्रदेशों से मजदूर अपने घर की ओर पलायन कर रहे हैं. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर रोजी रोटी के लिए कमाने निकले मजदूरों को हो चुकी है. इस विषम परिस्थिति में घर की ओर निकले जैसे-तैसे मजदूरों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा मानो कि भगवान उनसे अग्नि परीक्षा ले रहे हैं.

दिल्ली से रिक्शा चलाकर बिहार पहुंचे मजदूर
ऐसा ही एक पीड़ादायक समस्या सिकंदरा चौक पर देखने को मिली. फरक्का के सबदलपुर निवासी गोविंदा मंडल अपनी पत्नी सुलेखा मंडल और एक साल के बेटे के साथ 16 सौ किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए दिल्ली से रिक्शा चलाकर अपने घर फरक्का जाने के लिए निकल पड़ा. 13 दिनों के बाद वे लोग सिकंदरा मुख्य चौक पर पहुंचे हैं. जहां बातचीत में उसने बताया कि वह दिल्ली के बागपत नगर में राजमिस्त्री का काम करता था. जो 16 हजार रुपया कमाया था, उसमें से 11 हजार लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने में खर्च हो गए. बाकी के बचे पांच हजार रुपये में 48 सौ में रिक्शा खरीदा और अपनी पत्नी और छोटे बच्चे को बिठाकर दिल्ली के बागपत नगर से अपने घर फरक्का के सब्दलपुर के लिए निकला पड़ा.

देखें पूरी रिपोर्ट

पुलिस और ग्रामीणों ने किया सहयोग
जिसके बाद वह 13 दिनों के बाद शनिवार को सिकंदरा पहुंचा. जहां सिकंदरा पुलिस और ग्रामीणों के सहयोग से खाने-पीने की सामग्री और कुछ राशि दी गई. वहीं, रास्ते में इनको कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा. आंधी पानी से बचाते हुए अपने बच्चे और पत्नी को सकुशल घर पहुंचने का संकल्प लेकर चल रहे हैं. बता दें कि इस विकट परिस्थिति में इसके अलावा हजारों मजदूर पदयात्रा करते हुए और साइकिल की सवारी करते हुए अपने घर की ओर बढ़ चला है.

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