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जमुई के इस डैम का हो जाए जीर्णोद्धार तो दर्जनों गांव की बदल जाएगी सूरत

जमुई के खैरा प्रखंड में कोलजी डैम के जीर्णोद्धार से दर्जनों गांव की सूरत बदल जाएगी. लेकिन ये डैम सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड में नहीं है. हालांकि सिंचाई विभाग अधिकारी अगले हफ्ते इस डैम का निरीक्षण करने पहुंच सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

Kolji dam
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Published : Nov 15, 2021, 8:20 PM IST

जमुई: बिहार के जमुई जिले के खैरा प्रखंड (Khaira Block) में एक डैम ऐसा भी है जिसमें पानी के लिए बारिश पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रहती है. बल्कि यह अपने अंदर खुद-ब-खुद पानी भर लेता है. ये कोलजी डैम (Kolji Dam) के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं लोग इसे वन देवी के रूप में पूजते भी हैं. लेकिन वर्तमान में आज इस देवी की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि यह लंबे समय से अपनी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है. हालांकि, सिंचाई विभाग एसी मो. इकबाल के मुताबिक अगले हफ्ते इस डैम का निरीक्षण किया जाएगा.

यह भी पढ़ें - CM आज आयेंगे गया, निर्माणाधीन रबर डैम और गंगा उद्वह योजना का करेंगे निरीक्षण

दरअसल, जिले के खैरा प्रखंड में 3 पहाड़ों से घिरा कोलजी डैम लंबे समय से जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ा है. पूरब और पश्चिम में मयाग पहाड़ दक्षिण में बड़का पहाड़ से घिरे इस डैम की भौगोलिक स्थिति यह है कि पूरब में तीन किलोमीटर तक, पश्चिम में भी तीन किलोमीटर अमीरती डैम रान्हन तक और दक्षिण में एक किलोमीटर तक फैला है. जबकि उत्तर में इसे घेरकर राजा गुरुप्रसाद सिंह के द्वारा बांध बनाया गया था. डैम से नीचे उत्तरी भाग में लगभग एक किलोमीटर तक समदा आहर के नाम से यह जाना जाता है और करीब 50 एकड़ के क्षेत्रफल में यह आहर फैला हुआ है. जो कॉजवे के लिए पर्याप्त जमीन होगा.

बात दें कि इस डैम का निर्माण ब्रिटिश काल मे राजा गुरु प्रसाद सिंह ने ही कराया था. ये डैम तीन तरफ पहाड़ से घिरा है. इस डैम का बांध 200 सौ फीट लंबी, 40 फीट ऊंचाई, 8 फीट की चौड़ाई का आकार लिए हुए है. जिसका क्षेत्रफल लगभग चार किलोमीटर है. इस डैम से लगभग 3000 हजार एकड़ का पटवन होगा. डैम के बांध के नीचे से पानी रिसने के कारण पानी स्टोर नहीं हो पाता. डैम से सटे एक झरना से सालों भर पानी बहता रहता है. ऐसे में इस पानी को स्टोर करने की जरूरत है. ये डैम एनएच-333 से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है. बताते चलें कि ये डैम सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड में नहीं है. सिंचाई विभाग के एसी मो. इकवाल ने कहा अगले हफ्ते विभागीय टीम को लेकर निरीक्षण करेंगे.

यह भी पढ़ें - चांदन डैम के मुख्य कैनाल से निकलने वाली नहर का पक्का भाग ध्वस्त होने से लोगों को हो रही परेशानी

जमुई: बिहार के जमुई जिले के खैरा प्रखंड (Khaira Block) में एक डैम ऐसा भी है जिसमें पानी के लिए बारिश पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रहती है. बल्कि यह अपने अंदर खुद-ब-खुद पानी भर लेता है. ये कोलजी डैम (Kolji Dam) के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं लोग इसे वन देवी के रूप में पूजते भी हैं. लेकिन वर्तमान में आज इस देवी की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि यह लंबे समय से अपनी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है. हालांकि, सिंचाई विभाग एसी मो. इकबाल के मुताबिक अगले हफ्ते इस डैम का निरीक्षण किया जाएगा.

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दरअसल, जिले के खैरा प्रखंड में 3 पहाड़ों से घिरा कोलजी डैम लंबे समय से जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ा है. पूरब और पश्चिम में मयाग पहाड़ दक्षिण में बड़का पहाड़ से घिरे इस डैम की भौगोलिक स्थिति यह है कि पूरब में तीन किलोमीटर तक, पश्चिम में भी तीन किलोमीटर अमीरती डैम रान्हन तक और दक्षिण में एक किलोमीटर तक फैला है. जबकि उत्तर में इसे घेरकर राजा गुरुप्रसाद सिंह के द्वारा बांध बनाया गया था. डैम से नीचे उत्तरी भाग में लगभग एक किलोमीटर तक समदा आहर के नाम से यह जाना जाता है और करीब 50 एकड़ के क्षेत्रफल में यह आहर फैला हुआ है. जो कॉजवे के लिए पर्याप्त जमीन होगा.

बात दें कि इस डैम का निर्माण ब्रिटिश काल मे राजा गुरु प्रसाद सिंह ने ही कराया था. ये डैम तीन तरफ पहाड़ से घिरा है. इस डैम का बांध 200 सौ फीट लंबी, 40 फीट ऊंचाई, 8 फीट की चौड़ाई का आकार लिए हुए है. जिसका क्षेत्रफल लगभग चार किलोमीटर है. इस डैम से लगभग 3000 हजार एकड़ का पटवन होगा. डैम के बांध के नीचे से पानी रिसने के कारण पानी स्टोर नहीं हो पाता. डैम से सटे एक झरना से सालों भर पानी बहता रहता है. ऐसे में इस पानी को स्टोर करने की जरूरत है. ये डैम एनएच-333 से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है. बताते चलें कि ये डैम सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड में नहीं है. सिंचाई विभाग के एसी मो. इकवाल ने कहा अगले हफ्ते विभागीय टीम को लेकर निरीक्षण करेंगे.

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