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जमुई: सब्जी की खेती करने वाले किसानों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

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Published : May 10, 2020, 10:53 AM IST

ईटीवी भारत से बात करते हुए वासुदेव महतो ने बताया अकेले नीमनबादा गांव में सैंकड़ों किसान परिवार लगभग 500 एकड़ जमीन पट्टे और लीज पर लेकर सब्जी की खेती पिछले 10-15 वर्षो से करते आ रहे है. बीज, खाद, दवाइयों के लिए महाजन से कर्ज भी लेना पड़ता है.

जमुई
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जमुई : जिले के आधा दर्जन से अधिक गांव के सब्जी की खेती करने वाले किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किसानों ने कहा कि मदद करों सरकार वर्ना किसान किसानी छोड़ने को मजबूर हो जाएगा. लीज और पटटे पर जमीन कर्ज लेकर बुआई की कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन और बेमौसम बारिश ने तो दम ही निकाल दिया. अच्छी उपज होने के बावजूद खेत में पड़ा सब्जी सड़ रही है, ऐसे में कर्ज कहां से चुकाऐंगे.

किसानों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार
जमुई जिले के नीमनबादा से हरी सब्जियां बिहार के दर्जनों जिले में पहुंचती थी. यहां के सैंकड़ों किसान बताते हैं कि जमीन पट्टे और लीज पर लेकर महाजन से कर्ज लेकर सब्जी की खेती करते है. हर वर्ष लागत वापसी के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी हो जाता था. लेकिन इस बार तो अच्छी उपज के बावजूद कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन और बेमौसम बारिश के कारण सब्जी की उचित कीमत नहीं मिल पाई और खेत में पड़े-पड़े सब्जी सड़ रही है. 2 रूपये किलो खीरा, 3 रूपये टमाटर, 2 रूपये का कददू और 5 रूपये का परोल बेचना पड़ा. वहीं, मवेशियों को सब्जी खिला रहे है.

देखें पूरी रिपोर्ट

महाजन से लेना पड़ता है कर्ज - किसान
जमुई जिले के आधा दर्जन से अधिक गांवो नीमनबादा, पतौना, सिकेरिया, लठाने, नीमा आदि के सब्जी की खेती करने वाले सैकड़ों किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए वासुदेव महतो ने बताया अकेले नीमनबादा गांव में सैंकड़ों किसान परिवार लगभग 500 एकड़ जमीन पट्टे और लीज पर लेकर सब्जी की खेती पिछले 10-15 वर्षो से करते आ रहे है. अपने परिवार का पालन पोषण करते हुए बच्चों को पढ़ा लिखा रहे है. बीज, खाद, दवाइयों के लिए महाजन से कर्ज भी लेना पड़ता है.

खेतों में सड़ रही हरी सब्जी
किसनों ने कहा कि हर वर्ष लागत वापसी के साथ ठीक-ठाक मुनाफा भी हो जाता था. लेकिन इस वर्ष 2020 में डबल आफत ने तो किसानों का कमर ही तोड़ दिया. पहले कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में समय पर सब्जी मंडी में पहुंच नहीं पाई. शुरुआत में औने-पौने दाम पर बेचना पड़ा. उपर से बेमौसम बारिश ने तो जैसे आग में धी का काम किया. तैयार सब्जी की फसल खेतों में पड़ा-पड़ा सड़ गया. अब मुनाफा तो दूर की बात लागत लौटना भी मुश्किल है. कर्ज कहां से चुकाऐंगे, अगर सरकार मदद करेगी, तो ठीक वर्ना अगले सीजन से खेती नहीं कर पाऐंगे. किसानों ने बताया नीमनबादा गांव में किसान टमाटर, करेला, कद्दू, परोल, खीरा, ककड़ी, भिंड़ी, बोड़ा, बैगन, प्याज, मक्का, ब्रोकली, गोभी आदि की खेती की जाती है.

जमुई : जिले के आधा दर्जन से अधिक गांव के सब्जी की खेती करने वाले किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किसानों ने कहा कि मदद करों सरकार वर्ना किसान किसानी छोड़ने को मजबूर हो जाएगा. लीज और पटटे पर जमीन कर्ज लेकर बुआई की कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन और बेमौसम बारिश ने तो दम ही निकाल दिया. अच्छी उपज होने के बावजूद खेत में पड़ा सब्जी सड़ रही है, ऐसे में कर्ज कहां से चुकाऐंगे.

किसानों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार
जमुई जिले के नीमनबादा से हरी सब्जियां बिहार के दर्जनों जिले में पहुंचती थी. यहां के सैंकड़ों किसान बताते हैं कि जमीन पट्टे और लीज पर लेकर महाजन से कर्ज लेकर सब्जी की खेती करते है. हर वर्ष लागत वापसी के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी हो जाता था. लेकिन इस बार तो अच्छी उपज के बावजूद कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन और बेमौसम बारिश के कारण सब्जी की उचित कीमत नहीं मिल पाई और खेत में पड़े-पड़े सब्जी सड़ रही है. 2 रूपये किलो खीरा, 3 रूपये टमाटर, 2 रूपये का कददू और 5 रूपये का परोल बेचना पड़ा. वहीं, मवेशियों को सब्जी खिला रहे है.

देखें पूरी रिपोर्ट

महाजन से लेना पड़ता है कर्ज - किसान
जमुई जिले के आधा दर्जन से अधिक गांवो नीमनबादा, पतौना, सिकेरिया, लठाने, नीमा आदि के सब्जी की खेती करने वाले सैकड़ों किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए वासुदेव महतो ने बताया अकेले नीमनबादा गांव में सैंकड़ों किसान परिवार लगभग 500 एकड़ जमीन पट्टे और लीज पर लेकर सब्जी की खेती पिछले 10-15 वर्षो से करते आ रहे है. अपने परिवार का पालन पोषण करते हुए बच्चों को पढ़ा लिखा रहे है. बीज, खाद, दवाइयों के लिए महाजन से कर्ज भी लेना पड़ता है.

खेतों में सड़ रही हरी सब्जी
किसनों ने कहा कि हर वर्ष लागत वापसी के साथ ठीक-ठाक मुनाफा भी हो जाता था. लेकिन इस वर्ष 2020 में डबल आफत ने तो किसानों का कमर ही तोड़ दिया. पहले कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में समय पर सब्जी मंडी में पहुंच नहीं पाई. शुरुआत में औने-पौने दाम पर बेचना पड़ा. उपर से बेमौसम बारिश ने तो जैसे आग में धी का काम किया. तैयार सब्जी की फसल खेतों में पड़ा-पड़ा सड़ गया. अब मुनाफा तो दूर की बात लागत लौटना भी मुश्किल है. कर्ज कहां से चुकाऐंगे, अगर सरकार मदद करेगी, तो ठीक वर्ना अगले सीजन से खेती नहीं कर पाऐंगे. किसानों ने बताया नीमनबादा गांव में किसान टमाटर, करेला, कद्दू, परोल, खीरा, ककड़ी, भिंड़ी, बोड़ा, बैगन, प्याज, मक्का, ब्रोकली, गोभी आदि की खेती की जाती है.

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