जमुई: कोरोना वायस की मार इस वक्त पूरा विश्व झेल रहा है. भारत में इसका सबसे ज्यादा असर मजदूरों और किसानों पर पड़ रहा है. बिहार में किसान पहले ही मौसम की मार झेल रहे थे कि कोरोना ने बची-खुची कसर पूरी कर दी. अब जिले के दर्जन से अधिक गांवो में हजारों किसान परिवार प्याज और हरी सब्जी की खेती कर नुकसान में जा रहे हैं.
किसानों पर दोहरी मार
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन और बेमौसम बारिश ने ये हाल कर दिया कि हजारों एकड़ खेत में तैयार प्याज और सब्जी का वाजिब खरीददार मिलना तो दूर औने-पौने दाम पर भी इन्हें खरीदना वाला भी कोई नहीं मिल रहा है. पिछले साल तक अच्छी फसल होती थी. बिहार के विभिन्न जिलों में यहां की सब्जियां पहुंचती थी और प्याज बिहार के बाहर प. बंगाल और झारखंड सहित कई राज्यो में सप्लाई की जाती थी. यहां हजारों किसान परिवार सब्जी और प्याज की खेती पर ही निर्भर रहा है.
अब हालात ऐसे हैं कि व्यापारी किसानों से 2 रुपए किलो प्याज खरीदने को तैयार नहीं हैं. किसान सड़क किनारे खड़े गड्ढे में इसे फेंकने को मजबूर हैं. ये सभी मजबूर किसान लाखों के कर्ज के तले दबे हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
समस्या में फंसे हजारों किसान
जमुई जिले के अम्बा, सरारी, सिमेरिया, नीमनबादा, लठाने, सिकेरिया, धनामा, काकन, ठंढ़, दिधोत, धुधुलडीह और पतौना आदि दर्जनों गांवों के हजारों किसान हजारों एकड़ खेत लीज और पट्टे पर लेकर महाजन से कर्ज उठाकर प्याज और सब्जी की खेतीकरते हैं. पूर्वजों के समय से ही ये सिलसिला चला आ रहा है. वर्षों से अच्छे मुनाफे के साथ सब्जी और प्याज की खेती करने वाले किसानों की माली हालत अब कोरोना ने खराब कर दी है.
कौड़ी के दाम भी नहीं बिक रही उपज
किसान बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण इनका माल अन्य राज्यों तक सप्लाई नहीं हो पा रहा है और रही-सही कसर बेमौसम बारिश ने पूरी कर दी है. सब्जी को मंडी में पहुंचाने तक गाड़ियों का किराया भी नहीं निकल पा रहा है. आज जब मंडी गया तो कद्दू और परोल 2 रूपया में भी नहीं बिक पाया. इनका कहना है कि मुनाफा तो छोड़िए अब लागत के पैसे भी नहीं निकल रहे. तकरीबन प्रत्येक किसान का 2 लाख से लेकर 5 लाख तक का नुकसान हो चुका है. इससे किसान काफी चिंता में हैं.