जमुई: लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. कोरोना के कारण काम बंद होने पर दूसरे प्रदेशों से अपने घर लौटा कुछ परिवार जब कुछ काम नहीं मिला तो वह शहर के चौक-चौराहे पर ताड़ का कोवा बेच रहा है. वहीं, जब उनसे पूछा गया कि क्या अच्छी कमाई हो जाती है तो उन्होंने कहा कि इस काम से बस पेट पल जाता है.
ताड़ का कोवा बेचकर हो रहा गुजारा
बता दें कि इन दिनों जमुई के चौक-चौराहे, रजिस्ट्री कचहरी मोड़, स्टेडियम, अतिथि पैलेस मोड़ और शहर के आधा दर्जन चौराहे पर दर्जनों गरीब परिवार ताड़ का कोवा बेचता नजर आ रहा है. गरीब मजदूर 'ताड़ का कोवा ले लो भाई, 10 रूपये के 5 पीस' की आवाज लगाकर लोगों से खरीदने की गुजारिश कर रहे हैं. जिससे इस लॉकडाउन में उनका और उनके परिवार का पेट भर सके. उन्होंने बताया कि वे रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में गए थे, लेकिन कोरोना की वजह से काम बंद हो गया और भुखमरी की स्थिति में घर वापस आ गए. घर आने के बाद परिवार चलाने के लिए कोवा बेचने का काम शुरु किया है.
बारिश के बाद देखेंगे दूसरा रोजगार
सालों से बाहर रहकर कोई मजदूरी, कोई ऑटो चलाते था और कोई फैक्ट्री में काम करता था, लेकिन कोरोना के कारण काम ठप हो जाने से घर लौट आए हैं. कहीं कुछ काम न मिला तो ताड़ का कोवा बेचकर ही किसी तरह पेट पाल रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि साल में एक बार ये फल ताड़ के पेड़ में आता है. अभी तो इसी से काम चल रहा है, लेकिन बारिश होते ही ये काम बंद हो जाएगा. फिर आगे कोई दूसरा रोजगार देखेंगे.