जमुईः बिहार के जमुई में झाझा प्रखंड के सिमुलतला में हैरान कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है. यहां सिमुलतला में मृत वकील को कोरोना वैक्सीन लगा दी गई. सात महीने पहले ही एक 66 वर्षीय वकील की मौत कोरोना वायरस से हो गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उन्हें भी दूसरा डोज लगा दिया. इतना ही नहीं, दूसरे डोज का प्रमाण पत्र भी जारी हो गया. इस मामले का खुलासा मृत वकील के बेटे के मोबाइल पर दूसरे डोज का मैसेस आने पर हुआ.
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मैसेज देखकर युवक हैरान हो गया कि स्वास्थ्य विभाग कैसे मृत व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन लगा रहा है. 03 मई 2021 को वकील की मौत जमुई के सदर अस्पताल में कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लेने के बाद हुआ था. जिसमें वकील को कोरोना पॉजीटिव बताया गया था. मृत वकील को जमुई के मझवे एचएससी टीका केंद्र पर टीकाकर्मी बिंदु कुमारी द्वारा कोरोना वैक्सीन का दूसरा डोज देने का प्रमाण पत्र दिया गया है.
उक्त मामला सिमुलतला थाना क्षेत्र के नागवे गांव निवासी जगरनाथ प्रसाद यादव (जमुई व्यवहार न्यायालय के सहायक सरकारी वकील) का है. वकील जगरनाथ की मृत्यु कोरोना की दूसरी लहर में हुई. वकील का छोटा बेटा प्रताप यादव ने बताया कि 25 अप्रैल 2021 को पिता जी को सांस लेने में तकलीफ होने पर सदर अस्पताल जमुई में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान 03 मई 2021 को पिता का निधन हो गया. सदर अस्पताल के स्वास्थ्य विभाग ने मेरे पिता का 23 मई 2021 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया है. निधन के 7 माह बाद अचानक 11 दिसम्बर 2021 को मेरे मोबाइल नंबर पर वैक्सीनेशन का मैसेज आया.
प्रमाणपत्र के अनुसार 24 मार्च को जगरनाथ प्रसाद यादव को पहला डोज लगा था. तब वे जीवित थे. दूसरा डोज 11 दिसम्बर 2021 को लगा है. जमुई के मझवे एचएससी टीका केंद्र पर वैक्सीनेशन हुआ है. युवक ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही का नतीजा है कि मेरे मृत पिता जगरनाथ प्रसाद यादव के मृत्यु के सात माह बाद कोविड का दूसरा डोज लगना दिखाया गया. मृत्यु का मजाक बनाया जा रहा है.
मृतक का बेटा प्रताप यादव ने बताया कि मेरे पिता की मौत कोरोना के कारण हुई है. इसका भी प्रमाण पत्र सदर अस्पताल के द्वारा मुझे प्राप्त है. मुआवजा की राशि प्राप्त करने के लिए मैं और मेरी मां कांता देवी प्रखंड मुख्यालय से जिला मुख्यालय की चक्कर काट रहे हैं. मेरे पिता की मृत्यु के सात माह बीत जाने के बाद भी अभी तक मुआवजा की राशि नहीं मिली है. जबकि मेरे पिता जमुई व्यवहार न्यायालय के सहायक सरकारी वकील थे.
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