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कभी होटलों में धोते थे बर्तन, अब इंग्लिश बोल संवार रहे खुद की जिंदगी - child labour

यहां आने के बाद इन बच्चों में काफी बदलाव आया है. एक बच्चे की मां ने कहा कि पहले उनका बेटा लोगों के झूठे बर्तन धोता था, लेकिन यहां उसकी जिंदगी संवर रही है.

आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र में में खुश बच्चे
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Published : Feb 17, 2019, 10:37 AM IST

जमुईः भारत में बाल श्रम एक बड़ी समस्या है, सरकार इसके लिए योजनाएं तो चलाती है पर वह धरातल पर काम करती हुई नजर नहीं आती. लेकिन एक एनजीओ और श्रम विभाग की पहल से बाल श्रमिकों के लिए एक विशेष आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया है. जहां उनकी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ उनके विकास पर ध्यान दिया जा रहा है.
इस पहल से ऐसे बच्चे जो होटलों, दुकानों और ईंट के भट्टों पर काम करते हैं, उन बच्चों को मुक्त करवाकर उनकी बेहतरी की दिशा में काम किया जा रहा है.

कभी धोते थे झूठे बर्तन
ये बच्चे किसी होटल या फिर किसी ईंट भट्टों में काम किया करते थे. आज ये बच्चे खुश हैं. वजह है इनके रहन-सहन और जिंदगी में आया बदलाव. होटलों में झूठे बर्तन धोना पड़ता था, मालिक से मार भी खानी पड़ती थी पर अब वे बेहतर जिंदगी जी रहे हैं. साथ ही वे अब अंग्रेजी भी बोल लेते हैं.

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संवर रहा बचपन
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100 बच्चों के रहने की क्षमता
इस विशेष आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र में 100 बच्चों के रहने की क्षमता है. अभी इसमें 20 बच्चे हैं. यहां उनके स्किल डवलपमेंट के साथ-साथ पढाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि पूरे सूबे में सिर्फ जमुई जिले में इस तरह का प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है.

इन बच्चों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों का कहना है कि यहां आने के बाद इन बच्चों में काफी बदलाव आया है. एक बच्चे की मां ने कहा कि पहले उनका बेटा लोगों के झूठे बर्तन धोता था, लेकिन यहां उसकी जिंदगी संवर रही है.

जमुईः भारत में बाल श्रम एक बड़ी समस्या है, सरकार इसके लिए योजनाएं तो चलाती है पर वह धरातल पर काम करती हुई नजर नहीं आती. लेकिन एक एनजीओ और श्रम विभाग की पहल से बाल श्रमिकों के लिए एक विशेष आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया है. जहां उनकी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ उनके विकास पर ध्यान दिया जा रहा है.
इस पहल से ऐसे बच्चे जो होटलों, दुकानों और ईंट के भट्टों पर काम करते हैं, उन बच्चों को मुक्त करवाकर उनकी बेहतरी की दिशा में काम किया जा रहा है.

कभी धोते थे झूठे बर्तन
ये बच्चे किसी होटल या फिर किसी ईंट भट्टों में काम किया करते थे. आज ये बच्चे खुश हैं. वजह है इनके रहन-सहन और जिंदगी में आया बदलाव. होटलों में झूठे बर्तन धोना पड़ता था, मालिक से मार भी खानी पड़ती थी पर अब वे बेहतर जिंदगी जी रहे हैं. साथ ही वे अब अंग्रेजी भी बोल लेते हैं.

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100 बच्चों के रहने की क्षमता
इस विशेष आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र में 100 बच्चों के रहने की क्षमता है. अभी इसमें 20 बच्चे हैं. यहां उनके स्किल डवलपमेंट के साथ-साथ पढाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि पूरे सूबे में सिर्फ जमुई जिले में इस तरह का प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है.

इन बच्चों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों का कहना है कि यहां आने के बाद इन बच्चों में काफी बदलाव आया है. एक बच्चे की मां ने कहा कि पहले उनका बेटा लोगों के झूठे बर्तन धोता था, लेकिन यहां उसकी जिंदगी संवर रही है.

Intro:बाल श्रमिकों के लिये खोला गया विशेष आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र

हिन्दुस्तान में बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए कई योजनायें चलायी जा रही है,बावजूद बाल श्रमिकों की स्थिति में सुधार नहींके बराबर हो रहा,लेकिन इस बीच जमुई जिला प्रशासन और श्रम विभाग की ओर से ऐसे बच्चे जो होटलों ,दुकानों और ईंट के भट्टों पर काम करते हैं,उनको मुक्त करवाकर उनकी बेहतरी की दिशा में एक अच्छी पहल है


Body:बाल श्रमिकों के लिए आवासीय विद्यालय

फर्राटेदार अंग्रेजी में अपना परिचय दे रहे ये बच्चे किसी होटल या फिर किसी ईंट भट्टों में काम किया करते थे,लेकिन आज ये बच्चे खुश हैं,और खुश भी क्यों ना हो,क्योंकि इनका रहन सहन अब पहले साए बेहतर हो गया है,कभी होटलों में झूठे बर्तनों को धोते इन बच्चों को मालिक का ताना सुनना पड़ता था,तो कभी इन्हें मार भी पड़ता था ।दरअसल इन बच्चों पर श्रम विभाग की नज़र पड़ी और फिर क्या था,इनके जैसे बुरे दिन खत्म हो गए,और अच्छे दिन आ गए,अब इन बच्चों की भविष्य को संवारने का बीड़ा सरकार ने उठाया है,और एक NGO 'प्रयास' के माध्यम सेइनका भविष्य उज्ज्वल किया जा रहा है ।
BYTE-बच्चे
VO-दरअसल इन बच्चों के लिये सरकार की ओर से विशेष आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया है,जिसमें 100बच्चों के रहने की क्षमता है,फिलहाल इस प्रशिक्षण केंद्र में 20बच्चे हैं,जहाँ इन्हें स्किल डवलपमेंट के साथ-साथ इनकी पढाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।बताया जा रहा है कि पूरे सूबे में सिर्फ जमुई जिले में इस तरह के प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है,जहाँ इनके प्रशिक्षण के साथ साथ इनके खान पान और रहन सहन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।साथ ही इन बच्चों के नाम से 25हज़ार एफडी किये जाने का प्रावधान है ।
BYTE सुबोध कुमार,श्रम अधीक्षक
vo वहीं इन बच्चों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षुओं का कहना है कि यहां आने के बाद इन बच्चों में अमूल चूक परिवर्तन आया है,अब ये बच्चे अंग्रजी में बातें करते हैं,साथ ही देश दुनियाँ की खबरों से अपडेट रहते हैं ।
byte-प्रशिक्षु
vo मौके पर पहुंची एक बच्चे की मां से जब हमने बात की तो उनका कहना था कि गरीबी के कारण हमारे बच्चे होटलों में काम किया करते थे,लेकिन जब से यहां आये हैं तब से इनके व्यवहार में काफी बदलाव आया है ।
byte रेस्क्यू किये गये बच्चे की मां



Conclusion:सूबे में ऐसे प्रशिक्षण केंद्र खोलने की और जरूरत

vo कभी धिक्कार और घृणा भरी जिन्दगी जी रहे इन बच्चों पर श्रम विभाग की नज़र पड़ी,और फिर क्या था,इनके अच्छे दिन शरू हो गए,और हालत ये है कि यहां रहने वाले बच्चे खुश हैं,और आगे पढ़लिख कर देश के लिये कुछ करना चाहते हैं ।ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ये जिला प्रशासन की एक अच्छी पहल है,लिहाजा सरकार को चाहिए कि ऐसे विषेश आवासीय प्रशिक्षण केंद्र सूबे के अन्य जिलों में भी शरू करने की जरुरत है,ताकी ऐसे बच्चों का बचपन खराब ना हो,और वो आगे देश और अपने सूबे का नाम रौशन कर सकें ।
ई टीवी भारत के लिए जमुई से ब्रजेन्द्र नाथ झाआ

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