जमुईः बिहार के जमुई में महापर्व छठ (Chhath Puja 2022) के मौके पर हिंदू मुस्लिम एकता की मिशाल पेश करते हैं. यह एकता जिले के अड़सार पंचायत में दिखा. अड़सार पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सह पूर्व विधानसभा प्रत्याशी मो. शमशाद आलम छठ पूजा में काफी मदद कर रहे हैं. जिले के घनी मुस्लिम आबादी क्षेत्र अड़सार में मुखिया प्रतिनिधि ने अपनी निजी कोष से छठ घाट का मरम्मत और सौंदर्यीकरण का काम करा रहे हैं. ऐसा घाट का निर्माण करवाया है कि पूरे जिले में देखने के लायक है. ऐसा सुंदर छठ घाट जिले में पहली बार बनाया गया है. जिले में ऐसे छठ घाट की खूब चर्चा हो रही है. गांव के लोग इसकी सराहना कर रहे हैं.
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'आज तक ऐसा घाट नहीं बना': ग्रामीणों का कहना है कि आज तक यहां छठ पर्व ऐसे व्यवस्थित घाट नहीं बनाया गया. पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी दिवाली में शमशाद आलम ने घर-घर जा कर लोगों को बधाईयां दी. छठ में पूरे पंचायत में लोगों को यथा संभव सहयोग करने का वादा किया था. शमशाद ने कहा कि मैं इंसान हूं, लोगों ने मुझे अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है. मैं ईमानदारी पूर्वक अपना वादा निभा रहा हूं. मेरे रहते लोगों को न किसी व्यवस्था की कमी होगी न तो भाईचारे में खलल पड़ने दूंगा. शमशाद के कार्य की सरपंच प्रतिनिधि जावेद आलम, पंचायत समिति सदस्य अतिकुर रहमान, संजय यादव, समाजसेवी गुफरान, रुस्तम अली, अरमान मलिक, कामरान मल्लिक, सीताराम पासवान, महेंद्र ठाकुर सहित ग्रामीणों ने कार्य की सराहना की.
छठ के दूसरे दिन खरना का लगता भोगः बता दे कि छठ के दूसरे दिन खरना का भोग लगता है. खारना का तात्पर्य शुद्धिकरण. छठ का व्रत करने वाले व्रती नहाय-खाय के दौरान पूरा दिन उपवास रखकर केवल एक ही समय भोजन ग्रहण करती है. ताकि शरीर से लेकर मन तक की शुद्धि हो सके. इसकी पूर्णता अगले दिन यानी खरना वाले दिन होती है. इस दिन व्रती साफ मन से अपने कुलदेवता और छठी माई की पूजा करके उन्हें गुड़ से बनी खीर का प्रसाद, ठेकुआ (घी, आटे से बना प्रसाद) चढ़ाती हैं. आज के दिन शाम होने पर गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर बांटा जाता है. प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.
खरना का विधि-विधानः खरना वाले दिन विधि-विधान से रोटी और गुड़ की खीर का प्रसाद तैयार करना चाहिए. खीर के अलावा पूजा के प्रसाद में केला, मूली भी रखना लाभकारी माना जाता है. इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी को जलाकर प्रसाद तैयार करना शुभ माना जाता है. भगवान गणेश और सूर्यनारायण प्रसाद के रुप में तैयार प्रसाद को चढ़ाया जाता है. इस दिन प्रसाद के लिए छठ व्रतिया किसी को बुलाएं नहीं, बल्कि खुद घर-घर जाकर प्रसाद पहुंचाए. खरना और छठ पर्व के दौरान घर के सदस्यों को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. रात को भी घर के सदस्य छना हुआ खाना ही खाएं. व्रत रखने वाली महिला या पुरुष को जमीन पर सोना चाहिए.
लोहंडा और खरना समयः
29 अक्टूबर, दिन शनिवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर
सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर
शुभ समय
रवि योग: सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक
सुकर्मा योग: रात 10 बजकर 23 मिनट से अगली सुबह तक