जमुई: लॉकडाउन के कारण हर तरह के कारोबार को नुकसान पहुंचा है. बीड़ी उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा. जिले में सबसे बड़े उद्योग में शुमार बीड़ी उद्योग में काम कर रहे दो लाख मजदूर अब भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं. उद्योग ठप हो जाने के कारण यहां के मजदूरों के सामने कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो गईं हैं. लेकिन इनकी मदद के लिए अब तक कोई आगे नहीं आया है.
नक्सल प्रभावित इस जिले में किसी भी तरह का कोई बड़ा उद्योग नहीं है. इसलिए इस इलाके में रहने वाले दो लाख गरीब परिवारों के भरण-पोषण का जरिया बीड़ी उद्योग ही है. पहले तो जैसे-तैसे जिंदगी गुजर रही थी, लेकिन लॉकडाउन ने इन तमाम लोगों को भुखमरी की कगार पर ला दिया है.
लॉकडाउन के कारण ठप हुआ उद्योग
बताया जाता है कि जिले के विभिन्न इलाकों में दो लाख मजदूर बीड़ी और तेंदू पत्ते के कार्य में लगे रहते हैं. इस लॉकडाउन के कारण ढाई महीने तक किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं हुआ. जिस वजह से पूरे परिवार के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. लेकिन न तो जिला प्रशासन और न ही कोई सामाजिक संगठन इन गरीब परिवार वालों की कोई सहायता कर रहे हैं. हालांकि बीड़ी उद्योग से जुड़े कुछ प्रबंधकों की तरफ से उन्हें कुछ दिनों के लिए राशन मुहैया कराया गया था, लेकिन वह काफी नहीं था. नतीजतन अब ये लोग दाने-दाने को मोहताज होने लगे हैं.
इन राज्यों में भेजी जाती है बीड़ी:
- पश्चिम बंगाल
- उड़ीसा
- उत्तर प्रदेश
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्य प्रदेश
- आंध्र प्रदेश
कारोबार में हुआ नुकसान
लॉकडाउन से पहले झाझा में रोजाना करीब डेढ़ करोड़ रुपए की बीड़ी और तेंदू पत्ते का कारोबार किया जाता था. वहीं, ढाई महीने तक बीड़ी उद्योग बंद रहने के कारण बीड़ी लगभग 60 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है. साथ ही करीब 10 करोड़ रुपए केंद्र और राज्य सरकार को भी नुकसान पहुंचा है. क्योंकि इस बीड़ी उद्योग द्वारा जीएसटी सहित अन्य टैक्स की वसूली होती थी.
डेढ़ करोड़ रुपये की होती थी कमाई
वहीं, बीड़ी तंबाकू यूनियन के महामंत्री प्रफुल्ल चंद्र त्रिवेदी ने बताया कि जमुई के झाझा में बड़ी संख्या में बीड़ी का व्यवसाय किया जाता था. जिससे प्रत्येक दिन डेढ़ करोड़ रुपये की कमाई होती थी. उन्होंने बतया कि उन लोगों के द्वारा सरकार को दिए जाने वाले जीएसटी और अन्य टैक्स सहित 10 करोड़ का नुकसान राज्य एवं केंद्र सरकार को भी हुआ है. जबकि इस धंधे से जुड़े दो लाख बीड़ी मजदूर और उन पर निर्भर 10 लाख परिवार के लोग अब भुखमरी की कगार पर आ चुके हैं.
शुरुआती दौर में यूनियन की तरफ से मजदूरों को काफी सहयोग किया गया. उन लोगों के द्वारा जिला प्रशासन से भी बीड़ी मजदूरों की मदद के लिए मांग की गई थी. लेकिन कोई खास मदद इन लोगों को मुहैया नहीं कराई गई. हालांकि अनलॉक-1 से कुछ राहत मिलने की उम्मीद जगी है.