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हाय रे सिस्टम..! कड़ाके की ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर, 300 छात्रों के लिए केवल दो कमरे - Bad condition of Middle School

आजादी के 75 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन अभी भी बिहार में स्कूली बच्चों को बुनियादी सुविधाएं (Bad condition of Middle School) नहीं मिल रही है. बच्चें अभी भी कड़ाके की ठंड में खुली आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है. प्राचार्य जब अधिकारियों से स्कूल में कमरा बनवाने की मांग करते हैं तो अधिकारी फंड नहीं होने की बात कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के कारण सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधेरे में हैं. पढ़ें पूरी खबर....

सरकारी स्कूल के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश
सरकारी स्कूल के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश
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Published : Dec 10, 2022, 1:49 PM IST

जमुई: बिहार के जमुई जिले का एक स्कूल बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है. जमुई के इस सरकारी स्कूल में न तो छत है और न बुनियादी सुविधाएं, जिसके कारण छात्र खुले आसमान में ही पढ़ने को मजबूर (Bad condition of Middle School in Jamui) है. मामला जमुई जिले के झाझा प्रखंड के छापा पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेलियाडीह का है. जहां बच्चे कड़ाके की ठंड में खुले आसमान की नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ने को विवश है.

कड़ाके की ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ने को छात्र मजबूर

ये भी पढ़ें- किशनगंज का बदहाल स्कूल, यहां बच्चों के भविष्य से होता है खिलवाड़

300 छात्रों के लिए केवल दो कमरे: स्कूल के प्राचार्य बताते हैं कि स्कूल में केवल दो कमरें हैं, लेकिन यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 300 से भी ज्यादा है. ऐसे में बच्चों को बाहर खुले में जमीन पर बैठाकर पढ़ाना पड़ता है. प्राचार्य ने बताया कि आला अधिकारियों से जब भी स्कूल के कमरों के बारे में बात की जाती है. तब अधिकारी फंड नहीं होने की बात पर इसे टाल देते हैं.

"स्कूल तो है, कमरे नहीं है. मेरे पास बच्चे को बैठाने की व्यवस्था नहीं है. स्कूल के अंदर मात्र दो कमरे है. इसलिए स्कूल के बच्चों को बाहर बैठाना पड़ता है. हम तो खुद रिक्वेस्ट कर रहे है कि जितना जल्दी स्कूल में कमरा बन जाता तो स्कूली बच्चों को बाहर नहीं बैठाना पड़ता. स्कूल में कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. यहां कुल 302 बच्चें पढ़ते हैं".-सुमित कुमार, प्राचार्य

आलाधिकारी कर रहै हैं टालमटोल: स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि आला अधिकारी कई बार स्कूल में खुद आकर यहां का जायजा ले चूके हैं. लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. स्कूल में कमरें की मांग पर फंड में पैसा न होने की बात बोलकर अधिकारी टालमटोल करते हैं. अधिकारी कहते हैं कि जब पैसा आएगा. तब देखेंगे. इस संबंध में बीओ डीओ को आवेदन भी दिया गया है. फिलहाल बिहार की भीषण ठंड में इस साल फिर से मासूम ठंडी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करेंगे. जब बच्चें गर्मी की दोपहर में बाहर बैठकर पढ़ाई कर सकतेे हैं और बरसात में भींग कर पढ़ सकते हैं तो सर्दी उनकी पढ़ाई कैसे रोक सकती है.

ये भी पढ़ें- न रास्ता, न बिजली, न भवन, 'ऐसे पढ़ेगा बिहार, तो कैसे बढ़ेगा बिहार?'

जमुई: बिहार के जमुई जिले का एक स्कूल बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है. जमुई के इस सरकारी स्कूल में न तो छत है और न बुनियादी सुविधाएं, जिसके कारण छात्र खुले आसमान में ही पढ़ने को मजबूर (Bad condition of Middle School in Jamui) है. मामला जमुई जिले के झाझा प्रखंड के छापा पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेलियाडीह का है. जहां बच्चे कड़ाके की ठंड में खुले आसमान की नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ने को विवश है.

कड़ाके की ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ने को छात्र मजबूर

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300 छात्रों के लिए केवल दो कमरे: स्कूल के प्राचार्य बताते हैं कि स्कूल में केवल दो कमरें हैं, लेकिन यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 300 से भी ज्यादा है. ऐसे में बच्चों को बाहर खुले में जमीन पर बैठाकर पढ़ाना पड़ता है. प्राचार्य ने बताया कि आला अधिकारियों से जब भी स्कूल के कमरों के बारे में बात की जाती है. तब अधिकारी फंड नहीं होने की बात पर इसे टाल देते हैं.

"स्कूल तो है, कमरे नहीं है. मेरे पास बच्चे को बैठाने की व्यवस्था नहीं है. स्कूल के अंदर मात्र दो कमरे है. इसलिए स्कूल के बच्चों को बाहर बैठाना पड़ता है. हम तो खुद रिक्वेस्ट कर रहे है कि जितना जल्दी स्कूल में कमरा बन जाता तो स्कूली बच्चों को बाहर नहीं बैठाना पड़ता. स्कूल में कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. यहां कुल 302 बच्चें पढ़ते हैं".-सुमित कुमार, प्राचार्य

आलाधिकारी कर रहै हैं टालमटोल: स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि आला अधिकारी कई बार स्कूल में खुद आकर यहां का जायजा ले चूके हैं. लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. स्कूल में कमरें की मांग पर फंड में पैसा न होने की बात बोलकर अधिकारी टालमटोल करते हैं. अधिकारी कहते हैं कि जब पैसा आएगा. तब देखेंगे. इस संबंध में बीओ डीओ को आवेदन भी दिया गया है. फिलहाल बिहार की भीषण ठंड में इस साल फिर से मासूम ठंडी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करेंगे. जब बच्चें गर्मी की दोपहर में बाहर बैठकर पढ़ाई कर सकतेे हैं और बरसात में भींग कर पढ़ सकते हैं तो सर्दी उनकी पढ़ाई कैसे रोक सकती है.

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