जमुई: ओलंपिक (Olympic) में कोई खिलाड़ी यूं ही नहीं मेडल ले आता. इसके लिए खिलाड़ियों की वर्षों की लगन, संसाधन और सपोर्ट की जरूरत होती है. बिहार के कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर देश दुनिया में नाम कमाया है, लेकिन जरूरी संसाधन और सपोर्ट की कमी के चलते कई खिलाड़ी पीछे रह जाते हैं. ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं जमुई जिले के आशुतोष कुमार सिंह.
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आशुतोष कुमार सिंह ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के साथ खेल चुके हैं. 2015 में तिरूवनंतपुरम में हुए नेशनल चैंपियनशिप में आशुतोष ने नीरज को चुनौती दी थी. नीरज और आशुतोष के बीच प्रथम राउंड में करीब दो मीटर का फासला था जो बढ़कर सात मीटर हो गया था. नीरज ने प्रथम राउंड में 66 .78 मीटर और फाइनल राउंड में 73.45 मीटर दूर भाला फेंका था. आशुतोष ने प्रथम राउंड में 64.66 मीटर और फाइनल राउंड में 66.46 मीटर दूर भाला फेंका था. नीरज पांचवे स्थान पर रहे थे.
नीरज चोपड़ा से जुड़ी यादें साझा करते हुए आशुतोष ने कहा, 'वह नेक दिल इंसान हैं. विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होने की खासियत उनके सफलता की कुंजी है. नीरज की अपील पर जमुई के सुदामा को सोनू सूद से मदद मिली थी. उसके घुटने का ऑपरेशन संभव हो सका था. उस समय नीरज ने कहीं से सहायता नहीं मिलने पर खुद मदद की बात कही थी.'
बता दें कि जमुई के खिलाड़ी आशुतोष कुमार सिंह, अंजनी कुमारी, रोहित कुमार, सुदामा यादव, राजकुमार गुप्ता, अरुण मोदी, अंकित कुमार, मनीष कुमार, बीरेंद्र कुमार, शिवपाल कुमार, संदीप सिंह, रिया कुमारी, मधु कुमारी, कोमल कुमारी और प्रीति कुमार ने देश दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. खिलाड़ी अरुण मोदी बताते हैं कि जिले में प्रतिभा की कमी नहीं है.
"खिलाड़ियों के हौसले बुलंद हैं तभी तो आर्थिक रूप से कमजोरी और संसाधन की कमी को झेलते हुऐ भी वे कड़ी मेहनत करते हैं. यहां के खिलाड़ियों ने तमाम चुनौतियों को पार कर बिहार का नाम रोशन किया है. लगातार बेहतर प्रदर्शन कर स्टेट और नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में अपना लोहा मनवाया है. खिलाड़ियों का सपना है कि वे देश का नाम रोशन करें, लेकिन इसके लिए संसाधन और सहायता की आवश्यकता है."- अरुण मोदी, खिलाड़ी
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