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गोपालगंज: बिना लाइसेंस लिए धड़ल्ले से हो रहा पानी का कारोबार, शुद्धता की जांच के बगैर हो रही बिक्री

गोपालगंज में प्रतिदिन 50 हजार लीटर पानी की सप्लाई की जाती है. लेकिन पानी के कारोबार न तो लाइसेंस लिए हैं और न ही पानी की शुद्धता की जांच कर रहे हैं.

पानी की सप्लाई
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Published : Jul 1, 2020, 12:59 PM IST

Updated : Jul 1, 2020, 1:22 PM IST

गोपालगंज: जिले में पानी का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन इस कारोबार पर निगाह रखने वाला कोई नहीं है. आलम यह है कि यहां बिना लाइसेंस और मानक के वाटर प्लांट लगाकर पानी का कारोबार किया जा रहा है. जिसके कारण रोजाना पानी की बर्बादी हो रही है. इसके साथ ही किसी भी अधिकारी की ओर से पानी की शुद्धता की जांच के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है.

वहीं, इस संदर्भ में नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने बताया कि जिले में चल रही वाटर प्लांट बिना लाइसेन्स से संचालित हो रहे हैं. ऐसे प्लांट के मालिकों को नोटिस भेजा जा रहा है. साथ ही उनपर कानून सम्मत कार्यवाई की जाएगी.

पानी के कारोबारियों की मनमानी
बता दें कि जिले का कोई ऐसा इलाका नहीं है जहां जल का दोहन न होता हो. तमाम दावों के बावजूद सरकारी महकमे और जल संरक्षण के लिए कार्य करने वाले संगठन पानी के कारोबारियों पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं. शहर में दर्जनों गाड़ियां हर दिन पानी लेकर दौड़ती रहती हैं. पानी बेचने का कारोबार व्यवसाय बन गया है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में आरो प्लांट लगे हुए हैं जो दिन-रात पानी का दोहन कर रहे हैं. जिले में बिना लाइसेंस लिए ही गैर कानूनी ढंग से पानी प्लांट लगाकर पानी बिक्री करने वाले उगाही कर रहे हैं.

gopalganj
वाटर प्लांट

नहीं होती शुद्धता की जांच
गोपालगंज शहर समेत विभिन्न ग्रामीण इलाकों में सैकड़ो वाटर प्लांट लगाए गए हैं. जिसकी शुद्धता की जांच कभी नहीं की जाती है. वहीं, लोगों को भी शुद्धता की जानकारी नहीं रहने के कारण इस पानी का खूब उपयोग कर रहे हैं. गर्मी के मौसम में पानी की अधिक डिमांड को देखते हुए पानी प्लांट वालों की चांदी कटती है. ऐसे में गर्मी के दिनों में तीन से 4 लाख खर्च कर पानी प्लांट बैठाकर पानी की घर-घर सप्लाई शुरू कर दी जाती है.

बिना लाइसेंस के चल रहे सैकड़ो प्लांट
जिले में सैकड़ो वाटर प्लांट का पानी बिना लाइसेंस के संचालित होता है. साथ ही पानी शुद्ध है या नहीं इसकी जांच भी नहीं होती है. बिना लाइसेंस वाले पानी प्लांट के खिलाफ जिला प्रशासन की ओर से आज तक कोई भी कार्यवाई नहीं की गई. शुद्ध जल के नाम पर अधिकांश लोग प्लांट का पानी पी रहे हैं. लेकिन लोगों को यह जानकारी नहीं है कि प्लांट का पानी कितना शुद्ध है. पानी के 20 लीटर वाले जार का पानी 20 रुपये से 25 रुपये तक मिल जाता है. वाटर प्लांट कर्मी लोगों के घर होटल रेस्टोरेंट तक पानी को जार में भरकर पहुंचाते हैं. शुद्ध पानी के नाम पर इस कारोबार के प्रति नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन उदासीन बनी हुई है.

काफी मात्रा में पानी होता है बर्बाद
जानकारों की माने तो आरो प्लांट में पानी शुद्ध करने के लिए ऑस्मोसिस प्रोसेस अपनाई जाती है. इस प्रक्रिया में 100 लीटर पानी में सिर्फ 40 लीटर पानी शुद्ध होता है, जबकि 60 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है. वहीं, शहर में हर दिन 50 हजार लीटर पानी की सप्लाई की जाती है. जिससे काफी पानी बर्बाद भी हो जाता है. जिसका असर भूगर्भ जल स्तर पर पड़ता है. आरो प्लांट पानी की बर्बादी तभी रोकी जा सकती है, जब बर्बाद हो रहे पानी को किसी जगह इकट्ठा कर रि-साइकिल किया जा सके. लेकिन री साइक्लिंग की बात कौन करे यहां तो बिना लाइसेंस के आरओ वाटर प्लांट चल रहे हैं.

गोपालगंज: जिले में पानी का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन इस कारोबार पर निगाह रखने वाला कोई नहीं है. आलम यह है कि यहां बिना लाइसेंस और मानक के वाटर प्लांट लगाकर पानी का कारोबार किया जा रहा है. जिसके कारण रोजाना पानी की बर्बादी हो रही है. इसके साथ ही किसी भी अधिकारी की ओर से पानी की शुद्धता की जांच के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है.

वहीं, इस संदर्भ में नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने बताया कि जिले में चल रही वाटर प्लांट बिना लाइसेन्स से संचालित हो रहे हैं. ऐसे प्लांट के मालिकों को नोटिस भेजा जा रहा है. साथ ही उनपर कानून सम्मत कार्यवाई की जाएगी.

पानी के कारोबारियों की मनमानी
बता दें कि जिले का कोई ऐसा इलाका नहीं है जहां जल का दोहन न होता हो. तमाम दावों के बावजूद सरकारी महकमे और जल संरक्षण के लिए कार्य करने वाले संगठन पानी के कारोबारियों पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं. शहर में दर्जनों गाड़ियां हर दिन पानी लेकर दौड़ती रहती हैं. पानी बेचने का कारोबार व्यवसाय बन गया है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में आरो प्लांट लगे हुए हैं जो दिन-रात पानी का दोहन कर रहे हैं. जिले में बिना लाइसेंस लिए ही गैर कानूनी ढंग से पानी प्लांट लगाकर पानी बिक्री करने वाले उगाही कर रहे हैं.

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वाटर प्लांट

नहीं होती शुद्धता की जांच
गोपालगंज शहर समेत विभिन्न ग्रामीण इलाकों में सैकड़ो वाटर प्लांट लगाए गए हैं. जिसकी शुद्धता की जांच कभी नहीं की जाती है. वहीं, लोगों को भी शुद्धता की जानकारी नहीं रहने के कारण इस पानी का खूब उपयोग कर रहे हैं. गर्मी के मौसम में पानी की अधिक डिमांड को देखते हुए पानी प्लांट वालों की चांदी कटती है. ऐसे में गर्मी के दिनों में तीन से 4 लाख खर्च कर पानी प्लांट बैठाकर पानी की घर-घर सप्लाई शुरू कर दी जाती है.

बिना लाइसेंस के चल रहे सैकड़ो प्लांट
जिले में सैकड़ो वाटर प्लांट का पानी बिना लाइसेंस के संचालित होता है. साथ ही पानी शुद्ध है या नहीं इसकी जांच भी नहीं होती है. बिना लाइसेंस वाले पानी प्लांट के खिलाफ जिला प्रशासन की ओर से आज तक कोई भी कार्यवाई नहीं की गई. शुद्ध जल के नाम पर अधिकांश लोग प्लांट का पानी पी रहे हैं. लेकिन लोगों को यह जानकारी नहीं है कि प्लांट का पानी कितना शुद्ध है. पानी के 20 लीटर वाले जार का पानी 20 रुपये से 25 रुपये तक मिल जाता है. वाटर प्लांट कर्मी लोगों के घर होटल रेस्टोरेंट तक पानी को जार में भरकर पहुंचाते हैं. शुद्ध पानी के नाम पर इस कारोबार के प्रति नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन उदासीन बनी हुई है.

काफी मात्रा में पानी होता है बर्बाद
जानकारों की माने तो आरो प्लांट में पानी शुद्ध करने के लिए ऑस्मोसिस प्रोसेस अपनाई जाती है. इस प्रक्रिया में 100 लीटर पानी में सिर्फ 40 लीटर पानी शुद्ध होता है, जबकि 60 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है. वहीं, शहर में हर दिन 50 हजार लीटर पानी की सप्लाई की जाती है. जिससे काफी पानी बर्बाद भी हो जाता है. जिसका असर भूगर्भ जल स्तर पर पड़ता है. आरो प्लांट पानी की बर्बादी तभी रोकी जा सकती है, जब बर्बाद हो रहे पानी को किसी जगह इकट्ठा कर रि-साइकिल किया जा सके. लेकिन री साइक्लिंग की बात कौन करे यहां तो बिना लाइसेंस के आरओ वाटर प्लांट चल रहे हैं.

Last Updated : Jul 1, 2020, 1:22 PM IST
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