पटना: अपनी अनोखी कार्यशैली के लिए चर्चित राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े लाल और बिहार सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री तेजप्रताप यादव फिर चर्चा में हैं. शनिवार काे वे छठ पूजा मनाने के लिए पैतृक गांव फुलवरिया पहुंचे. गांव पहुंचने के बाद तेज प्रताप ने छठ घाट का निरीक्षण किया. इस बारे में जानकारी भी ली. इस दौरान उनके साथ कई वरीय अधिकारियों के साथ ग्रामीण भी उपस्थित रहे. तेज प्रताप के परिवार के साथ ही गांव के कई लोग छठ पर्व को मना रहे हैं. हालांकि तेजप्रताप खुद छठ पूजा नहीं करते हैं, लेकिन गांव में उनके पहुंचने से लोग काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.
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आज से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू: छठ महापर्व के दूसरे दिन आज छठव्रतियों द्वारा सायं कालीन समय में छठ माई की विधिविधान से पूजन करते हैं और सूर्य भगवान का नमन करते हैं. वहीं, सायं कालीन समय में रोटी और साठी चावल से बनी खीर का भोग लगाते हैं और केले के पत्त्ते पर दिया जलाकर पूजन को सम्पन्न करते हैं. जबकि छठव्रती आज से ही निर्जला व्रत रखते हैं. इस अनुष्ठान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें प्रयोग होने वाले सामग्रियों में सभी मौसमी फल, साठी चावल, दूध के साथ 56 प्रकार के व्यजनों और फलों का प्रयोग होता है.
खरना में बनता है खीर का प्रसाद: मुख्यत: यह सूर्य उपासना का पर्व है, जो चार दिन तक होता है. प्रथम दिन कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल का भोग लगाया जाता है. इसे छठ व्रती पवित्र नदियों का जल लाकर प्रसाद बनाते हैं और इसे नहाय खाय का व्रत कहते है. वहीं, दूसरे दिन खरना होता है. इसमें खीर बनाई जाती है, जिसमें दूध, साठी चावल और गुड़ से बनाया जाता है और रोटी बनाई जाती है. इसी का भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है और लोगों को दिया जाता है.
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प्रसाद की शुद्धता का रखा जाता है ख्याल: छठ महापर्व को शुद्धता का पर्व भी कहा जाता है. लोग इस पर्व में शुद्धता पर काफी ध्यान देते हैं. तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को नदी तालाबों और पोखरे के जल में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है. जबकि चौथे दिन उदयाचल गामी भगवान भास्कर को अर्ध्य देने के साथ ही इस अनुष्ठान का समापन होता है. छठ पूजा को लेकर जिला प्रशासन, स्थानीय लोगों के द्वारा गंगा घाट, नदी और तालाबों में विशेष साफ-सफाई की गई है. पूरे बिहार के सभी जिलों में नदी और तालाबों के किनारे बने घाटों को काफी आकर्षक ढंग से सजाया गया है.
छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली समाग्रीः छठ पूजा में नई साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, पीतल या बास का सूप, दूध, जल, लोटा, शाली, गन्ना, मौसमी फल, पान, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि समानों की जरुरत होती है. दरअसल सूर्य देव को छठ के दिन इस मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण किए जाते हैं. छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय (28 अक्टूबर शुक्रवार) से हुई है. अब दूसरा दिन यानी आज खरना (29 अक्टूबर शनिवार) की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण किया. तीसरे दिन- अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य (30 अक्टूबर रविवार) को होगा और आखिरी दिन व चौथे दिन- उदीयमान सूर्य को अर्घ्य (31 अक्टूबर सोमवार) दिया जाएगा.