गोपालगंज: माझा प्रखंड के धोबवली गांव निवासी हबीबुल रहमान की बेटी तब्बू खातून ने कम संसाधन और दो बच्चों की मां की जिम्मेदारी निभाते हुए बीपीएससी की परीक्षा (BPSC Exam) में पहले प्रयास में ही सफलता हासिल की है.
तब्बू की सफलता से पूरे गांव और परिवार में खुशी की लहर है. लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाते हुए नजर आ रहे हैं.
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गार्ड की नौकरी करते हैं पति
इस सफलता से तब्बू और उसके पति काफी खुश हैं. जब मंजिल तय हो तो किसी भी मुश्किल परिस्थिति से गुजरने के लिए आप तैयार रहते हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है धोबवलीया गांव निवासी हबीबुल रहमान की बेटी तब्बू ने. तब्बू की शादी पूर्वी चंपारण निवासी जाहिद हुसैन से हुई थी. जाहिद रेलवे में गुड्स गार्ड हैं.
दो बच्चों की मां हैं तब्बू खातून
तब्बू खातून के पति ने भी बीपीएससी की परीक्षा दी थी लेकिन वे सफल नहीं हो पाये. पत्नी तब्बू खातून ने यह कर दिखाया. तब्बू खातून ने कम संसाधन और दो बच्चों की मां की जिम्मेदारी निभाते हुए बीपीएससी की परीक्षा में सफलता पाई है. तब्बू 2129वां रैंक प्राप्त कर जिला आपूर्ति निरीक्षक बन गई हैं.
गांव में खुशी की लहर
तब्बू के गांव और परिवार में अभी तक कोई भी बीपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर अधिकारी नहीं बना है. तब्बू खातून ने अपने परिवार की जरूरतों को देखते हुए अपनी तैयारी के लिए समय निकाला.
उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही राजकीय मकतब मध्य विद्यालय धुबवलिया और उच्च शिक्षा कमला राय कॉलेज गोपालगंज से पूरी की है.
पहले प्रयास में मिली सफलता
बीपीएससी की परीक्षा में पहली बार शामिल हुईं और पहले ही प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल कर ली है. परिजनों का कहना है कि तब्बू बचपन से ही प्रतिभावान थीं. सभी लोगों को पहले ही विश्वास था कि एक न एक दिन तब्बू परिवार का नाम रौशन करेगी. ईटीवी भारत के संवाददाता ने तब्बू खातून से खास बातचीत की.
तब्बू खातून ने कहा कि सकारात्मक सोच और परिवार के सहयोग के कारण ही यह सफलता मिली है. इस सफलता का सारा श्रेय पति समेत पूरे परिवार काे जाता है जिसने पढ़ाई में मेरा सहयोग किया.
"बिहार और भारत का शिक्षा का संरक्षण बहुत ही पिछड़ा हुआ है. जागरूक नागरिक होने के नाते संविधान के बारे में जानने का अवसर मिला. पढ़ाई के दौरान मुझे लगा कि महिलाओं का अधिकार है, लेकिन मिल नहीं पाता है या यूं कहें कि अधिकार होते हुए भी हम अधिकार के प्रति सजग नहीं होते हैं. इस अवधारणा के साथ मैंने सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की. सफलता के बाद ही मैं समाज के लिए कुछ कर पाऊंगी साथ ही साथ महिलाओं की आवाज बन सकती हूं"- तब्बू खातून, बीपीएससी पास अभ्यर्थी
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"मैंने भी बीपीएससी की परीक्षा दी थी. लेकिन सफल नहीं हो सका. लेकिन मेरी पत्नी ने वह कर दिया जिसे मैंने नहीं किया. मेरी असफलता में ही सफलता छुपी हुई थी. शुरुआत से ही मुझे पूरा विश्वास था कि एक न एक दिन वह सफल जरूर होंगी."- जाहिद हुसैन, तब्बू खातून के पति
गांव में अब तक किसी को नहीं मिली सफलता
तब्बू खातून ने कहा कि मेरे गांव समेत घर में अभी तक कोई इस परीक्षा में सफल नहीं हुआ है. इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न मैं इसमें सफल होकर लोगों के लिए प्रेरणा बनूं. वैसे तो हमारी सफलता के पीछे हर किसी का सहयोग रहा है. लेकिन पति के सहयोग के बिना कुछ नहीं होता. पति ने मुझ में चेतना जगाने का काम किया है.