ETV Bharat / state

गोपालगंजः किसानों की मुश्किलें नहीं हो रही कम, गेहूं बुआई का समय सामने, खेत में अभी भी लगे हैं गन्ने

विष्णु शुगर मिल के महाप्रबंधक पीआरएस पाणिकर से ने बताया कि इस वर्ष सितंबर माह में काफी बरसात हुआ है. ऐसे में गन्ना की फसल कम हुई होगी. हमें लोगों से उम्मीद हैं कि पहले की अपेक्षा कम उत्पादन नहीं होना चाहिए.

gopalganj
gopalganj
author img

By

Published : Dec 24, 2019, 10:08 AM IST

गोपालगंजः सरकार गन्ना किसानों को चाहे जितनी भी सहूलियत देने की बात करे. लेकिन किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. अब समय से गन्ने का खेत खाली ना होने से गेहूं की फसल भी प्रभावित हो रही है. जिससे किसान काफी परेशान हैं.

शुगर मिल की ओर से देरी से दी जाती है पर्ची
गन्ना किसानों के सामने कई परेशानियां है. जिसमें सबसे बड़ी समस्या गन्ना किसानों को यह है कि शुगर मिल की ओर से देर से पर्ची दी जाती है. जिससे किसान अपने खेतों में गन्ना लगाए रहते है. उससे गेंहू की फसल प्रभावित होती है. मजबूरन ये गन्ना किसान दूसरे के नाम पर कटे पर्ची पर अपना गन्ना बेचने को बाध्य होते है, ताकि गेंहू की फसल पीछे ना रहे.

देखें पूरी रिपोर्ट

गन्ना किसान हो रहे परेशान
आलम यह है कि अब गन्ना किसानगन्ने की खेती करने से पीछे हट रहे है. किसान अपना गन्ना लेकर जब शुगर मिल पहुंचते हैं तो उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि आपकी गन्ना रिजेक्टेड है. मजबूर किसानों को किसी भी दाम पर अपना गन्ना मिल को बेचना पड़ता है. किसानों की माने तो शुगर मिल पहले समय से बीज नहीं देता है. जिससे हम खेतों में मसय से गन्ना नहीं लगा पाते है और जब मेहनत और पैसे लगाकर गन्ना की खेती कर मिल में लाते है तो यहां कहा जाता है की आपकी गन्ना रिजेक्टेड है. मजबूर किसान गन्ना की खेती छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं.

gopalganj
गन्ने की मिल

क्या कहते हैं शुगर मिल के महाप्रबंधक
विष्णु शुगर मिल के महाप्रबंधक पीआरएस पाणिकर से ने बताया कि इस साल सितंबर माह में काफी बरसात हुआ है.ऐसे में गन्ना की फसल कम हुई होगी. हमें लोगों से उम्मीद हैं कि पहले की अपेक्षा कम उत्पादन नहीं होने चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्चा नहीं मिलने पर 50 हजार कुंतल गन्ना पेरने की क्षमता है इससे ज्यादा एक ही दिन में किसानों को पर्चा देना संभव नहीं है. पर्चा हिसाब से बांटा जा रहा है.

गोपालगंजः सरकार गन्ना किसानों को चाहे जितनी भी सहूलियत देने की बात करे. लेकिन किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. अब समय से गन्ने का खेत खाली ना होने से गेहूं की फसल भी प्रभावित हो रही है. जिससे किसान काफी परेशान हैं.

शुगर मिल की ओर से देरी से दी जाती है पर्ची
गन्ना किसानों के सामने कई परेशानियां है. जिसमें सबसे बड़ी समस्या गन्ना किसानों को यह है कि शुगर मिल की ओर से देर से पर्ची दी जाती है. जिससे किसान अपने खेतों में गन्ना लगाए रहते है. उससे गेंहू की फसल प्रभावित होती है. मजबूरन ये गन्ना किसान दूसरे के नाम पर कटे पर्ची पर अपना गन्ना बेचने को बाध्य होते है, ताकि गेंहू की फसल पीछे ना रहे.

देखें पूरी रिपोर्ट

गन्ना किसान हो रहे परेशान
आलम यह है कि अब गन्ना किसानगन्ने की खेती करने से पीछे हट रहे है. किसान अपना गन्ना लेकर जब शुगर मिल पहुंचते हैं तो उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि आपकी गन्ना रिजेक्टेड है. मजबूर किसानों को किसी भी दाम पर अपना गन्ना मिल को बेचना पड़ता है. किसानों की माने तो शुगर मिल पहले समय से बीज नहीं देता है. जिससे हम खेतों में मसय से गन्ना नहीं लगा पाते है और जब मेहनत और पैसे लगाकर गन्ना की खेती कर मिल में लाते है तो यहां कहा जाता है की आपकी गन्ना रिजेक्टेड है. मजबूर किसान गन्ना की खेती छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं.

gopalganj
गन्ने की मिल

क्या कहते हैं शुगर मिल के महाप्रबंधक
विष्णु शुगर मिल के महाप्रबंधक पीआरएस पाणिकर से ने बताया कि इस साल सितंबर माह में काफी बरसात हुआ है.ऐसे में गन्ना की फसल कम हुई होगी. हमें लोगों से उम्मीद हैं कि पहले की अपेक्षा कम उत्पादन नहीं होने चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्चा नहीं मिलने पर 50 हजार कुंतल गन्ना पेरने की क्षमता है इससे ज्यादा एक ही दिन में किसानों को पर्चा देना संभव नहीं है. पर्चा हिसाब से बांटा जा रहा है.

Intro:गन्ना किसानों की मुश्किलें नही हो रही है कम
-- काफी मेहनत करने के बाद भी गन्ना किसान औने पौने दामो पर गन्ना बेचने को है मजबूर
सरकार गन्ना किसानों को चाहे जितनी सहूलियत देने की बात करें लेकिन किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। अब समय से गन्ने का खेत खाली ना होने से गेहूं की बुवाई भी प्रभावित हो रही है। किसानों का हितैषी होने का दावा करने वाली नीतीश सरकार में गन्ना किसान परेशान हैं।









Body:वैसे तो गन्ना किसानों के सामने कई तरह की परेशानियां देखने को मिल रही है जिसमें सबसे बड़ी समस्या गन्ना किसानों को यह है कि शुगर मिल द्वारा गन्ना किसानों को देर से पर्ची दी जाती है जिससे किसान अपने खेतों में गन्ना लगाए रहते है जिससे गेंहू की फसल प्रभावित होती है। मजबूरन ये गन्ना किसान दुसरे के नाम पर कटे पर्ची पर अपना गन्ना बेचने को बाध्य होते है ताकि गेंहू की बुवाई पीछे ना रहे ।

बाइट-बलिस्ट चौधरी,किसान

किसानो की परेशानी यही खत्म नही होती बल्कि उन्हें जब मिल में अपना गन्ना औने पौने दामो में बेचने पड़ते है जिससे ये किसान काफी परेशान होते है।
आलम यह है कि अब गन्ना किसान गन्ना की खेती करने से पीछे हट रहे हैं। किसान अपना गन्ना लेकर जब सुगर मिल पहुंचता है तो उसे यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि आपकी गन्ना रिजेक्टेड है मजबूर किसान औने पौने दाम पर अपना गन्ना मिल को बेचता है। किसानो के माने तो शुगर मिल तो पहले समय से बीज नही देता है जिससे हम गन्ना अपने खेतों में समय से नही लगा पाते है और जब मेहनत और पैसे लगाकर गन्ना की खेती कर मिल में लाते है तो यहां कहा जाता है की आपकी गन्ना रिजेक्टेड है। वही किसानों को पर्ची के लिए कम समय मिलता है। कम समय मिलने से खेत में खड़े गन्ने को जब तक काट कर साफ कर और फिर मिल तक पहुंचता है तब तक उसकी पर्ची एक्सपायर हो जाती है।जिसे फिर से वापस कर दिया जाता है। इस पर भारी कठिनाई से किसान काफी हैरान और परेशान है। मजबूर किसान गन्ना की खेती करनी अब घाटे के सौदा हो रहा है, किसान गन्ना की खेती करना छोड़ रहे है है

बाइट-अनिल कुमार पांडेय, किसान

वही इस संदर्भ में विष्णु सुगर मिल के महाप्रबंधक पीआरएस पाणिकर से बात की गई तो।उन्होने कहा कि इस वर्ष सितंबर माह में काफी बरसात हुआ है ऐसे में गन्ना की कम बुवाई हुई होगी। हम लोगो को उम्मीद है कि पहले के अपेक्षा कम उत्पादन नही होने चाहिए।उन्होंने कहा कि पर्चा नही मिलने पर कहा कि 50 हजार कुंतल गन्ना पेरने का क्षमता है इससे ज्यादा एक ही दिन में किसानों को पर्चा देना संभव नही है पर्चा हिसाब से बांटा जा रहा है।।
बाइट-पीआरएस पाणिकर, महाप्रबंधक



Conclusion:सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी इन किसानों को नहीं मिल पा रहा है। जिससे उन्हें काफी परेशानियां हो रही है।गन्ना की खेती से किसानों की रुचि हटती जा रही है। अगर समय रहते किसानों की समस्याओं का हल नही होगा तो आने वाले दिनों में गन्ना किसान गन्ने की खेती करना छोड़ देंगे।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.