गोपालगंजः सरकार गन्ना किसानों को चाहे जितनी भी सहूलियत देने की बात करे. लेकिन किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. अब समय से गन्ने का खेत खाली ना होने से गेहूं की फसल भी प्रभावित हो रही है. जिससे किसान काफी परेशान हैं.
शुगर मिल की ओर से देरी से दी जाती है पर्ची
गन्ना किसानों के सामने कई परेशानियां है. जिसमें सबसे बड़ी समस्या गन्ना किसानों को यह है कि शुगर मिल की ओर से देर से पर्ची दी जाती है. जिससे किसान अपने खेतों में गन्ना लगाए रहते है. उससे गेंहू की फसल प्रभावित होती है. मजबूरन ये गन्ना किसान दूसरे के नाम पर कटे पर्ची पर अपना गन्ना बेचने को बाध्य होते है, ताकि गेंहू की फसल पीछे ना रहे.
गन्ना किसान हो रहे परेशान
आलम यह है कि अब गन्ना किसानगन्ने की खेती करने से पीछे हट रहे है. किसान अपना गन्ना लेकर जब शुगर मिल पहुंचते हैं तो उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि आपकी गन्ना रिजेक्टेड है. मजबूर किसानों को किसी भी दाम पर अपना गन्ना मिल को बेचना पड़ता है. किसानों की माने तो शुगर मिल पहले समय से बीज नहीं देता है. जिससे हम खेतों में मसय से गन्ना नहीं लगा पाते है और जब मेहनत और पैसे लगाकर गन्ना की खेती कर मिल में लाते है तो यहां कहा जाता है की आपकी गन्ना रिजेक्टेड है. मजबूर किसान गन्ना की खेती छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं.
क्या कहते हैं शुगर मिल के महाप्रबंधक
विष्णु शुगर मिल के महाप्रबंधक पीआरएस पाणिकर से ने बताया कि इस साल सितंबर माह में काफी बरसात हुआ है.ऐसे में गन्ना की फसल कम हुई होगी. हमें लोगों से उम्मीद हैं कि पहले की अपेक्षा कम उत्पादन नहीं होने चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्चा नहीं मिलने पर 50 हजार कुंतल गन्ना पेरने की क्षमता है इससे ज्यादा एक ही दिन में किसानों को पर्चा देना संभव नहीं है. पर्चा हिसाब से बांटा जा रहा है.