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लालू बिन सूनी 'फुलवरिया', लोग बोले- पता नहीं, कब आएगी रौनक

लालू यादव का पैतृक गांव आज उनके बिना सूना है. चुनावों के दौरान यहां जो रौनक देखने को मिलती थी, वो राजधानी पटना की रौनक से सीधे टकराती थी.

story of lalu yadav village phulwaria gopalganj
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Published : May 8, 2019, 7:41 PM IST

गोपालगंज: लोकसभा चुनाव 2019 का महासंग्राम अपने पूरे उफान पर है. वहीं, बिहार की राजनीति के योद्धा माने जाने वाले लालू यादव इस बार जनता के बीच नहीं है. उनको लेकर आरजेडी से कई बार ये प्रतिक्रिया भी आई कि लालू यादव की कमी खल रही है. लेकिन कोई और भी है जो आज लालू के बिना सूना है. जिसकी हैसियत कभी पटना के एक अणे मार्ग से बढ़कर थी.

'तुम बिन सूना लगता है, जग सूना लगता है'. कुछ यही बयां कर रहा है गोपालगंज का फुलवरिया गांव. ईटीवी भारत के संवाददाता जब इस गांव में पहुंचे, तो यहां वो रौनक नहीं दिखाई दी जो पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में दिखाई देती थी. राजद सुप्रीमो लालू यादव के जेल जाने के बाद से इस गांव की रौनक फीकी सी हो गई है. लालू के पैतृक गांव के लोग आज भी उनके इंतजार में टकटकी लगाए हुए हैं.

story of lalu yadav village phulwaria gopalganj
वीरान पड़ा लालू आवास

आशीर्वाद से बने कई बड़े नेता
गोपालगंज का फुलवरिया गांव बिहार ही नहीं, केंद्र की राजनीति में भी दो दशक तक छाया रहा है. 1989 से लेकर 2005 तक फुलवरिया की हैसियत पटना के एक अणे मार्ग से कम नहीं थी. फुलवरिया में सियासत के कई बड़े नेता सिर झुकाते थे. टिकट की मांग के लिए हो या पार्टी में शामिल होने के लिए इसी गांव में आकर लालू के सामने हाजिरी लगाते थे. मगर आज ये लालू की फुलवरिया सूनी पड़ी है.

जानकारी देते संवाददाता

हमारे बीच हैं लालू...
हालांकि, फुलवरिया गांव के कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका मानना है कि लालू आज भी हमारे बीच हैं...संवाददाता ने जब लोगों से पूछा कि लालू यादव कहां हैं, तो कुछ लोगों ने कहा कि वो कहीं गए हुए हैं. वहीं, कुछ लोगों ने कहा लालू जी भले हीं जेल में हो, लेकिन उनकी विचारधारा हमारे बीच है.

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आवास में बना गौशाला

अब नहीं होता कोई काम
वहीं, कुछ ने विकास को लेकर बताया कि लालू जी हमारे गांव के हैं, उनके रहने से हमारा गांव भी विकास के मामले में आगे था. मगर उनके जाते ही पूरा गांव मूलभूत सुविधाओं को लेकर तरस रहा है. उनके समय की बनवाई गईं सड़कें आज मरम्मत की राह देख रही हैं.

गोपालगंज: लोकसभा चुनाव 2019 का महासंग्राम अपने पूरे उफान पर है. वहीं, बिहार की राजनीति के योद्धा माने जाने वाले लालू यादव इस बार जनता के बीच नहीं है. उनको लेकर आरजेडी से कई बार ये प्रतिक्रिया भी आई कि लालू यादव की कमी खल रही है. लेकिन कोई और भी है जो आज लालू के बिना सूना है. जिसकी हैसियत कभी पटना के एक अणे मार्ग से बढ़कर थी.

'तुम बिन सूना लगता है, जग सूना लगता है'. कुछ यही बयां कर रहा है गोपालगंज का फुलवरिया गांव. ईटीवी भारत के संवाददाता जब इस गांव में पहुंचे, तो यहां वो रौनक नहीं दिखाई दी जो पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में दिखाई देती थी. राजद सुप्रीमो लालू यादव के जेल जाने के बाद से इस गांव की रौनक फीकी सी हो गई है. लालू के पैतृक गांव के लोग आज भी उनके इंतजार में टकटकी लगाए हुए हैं.

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वीरान पड़ा लालू आवास

आशीर्वाद से बने कई बड़े नेता
गोपालगंज का फुलवरिया गांव बिहार ही नहीं, केंद्र की राजनीति में भी दो दशक तक छाया रहा है. 1989 से लेकर 2005 तक फुलवरिया की हैसियत पटना के एक अणे मार्ग से कम नहीं थी. फुलवरिया में सियासत के कई बड़े नेता सिर झुकाते थे. टिकट की मांग के लिए हो या पार्टी में शामिल होने के लिए इसी गांव में आकर लालू के सामने हाजिरी लगाते थे. मगर आज ये लालू की फुलवरिया सूनी पड़ी है.

जानकारी देते संवाददाता

हमारे बीच हैं लालू...
हालांकि, फुलवरिया गांव के कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका मानना है कि लालू आज भी हमारे बीच हैं...संवाददाता ने जब लोगों से पूछा कि लालू यादव कहां हैं, तो कुछ लोगों ने कहा कि वो कहीं गए हुए हैं. वहीं, कुछ लोगों ने कहा लालू जी भले हीं जेल में हो, लेकिन उनकी विचारधारा हमारे बीच है.

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आवास में बना गौशाला

अब नहीं होता कोई काम
वहीं, कुछ ने विकास को लेकर बताया कि लालू जी हमारे गांव के हैं, उनके रहने से हमारा गांव भी विकास के मामले में आगे था. मगर उनके जाते ही पूरा गांव मूलभूत सुविधाओं को लेकर तरस रहा है. उनके समय की बनवाई गईं सड़कें आज मरम्मत की राह देख रही हैं.

Intro:लोक सभा चुनाव के छठे चरण का मतदान अब महज कुछ दिन ही शेष है ऐसे में विभिन्न पार्टी के स्टार प्रचारक व बड़े नेता लगातार चुनावी सभा कर रहे है। इस चुनावी सभा मे एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौरा भी जारी है। लेकिन इस चुनावी समर में सत्ता और सियासत के माहिर खिलाड़ी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पहली बार इस सभा मे दिखाई नही दे रहे है। लेकिन उनके पुत्र तेजश्वी यादव अपने पिता के बदले इस चुनावी समर में लगातार चुनावी सभा कर रहे है और अपने प्रत्यासियो के पक्ष में जनता से वोट देने की अपील कर अपने पिता को फंसाकर जेल भेजने की बात जनता को बताने में भी पीछे नही हट रहे है। अब ऐसे में गोपालगंज जिला के फुलवरिया गाँव जहाँ लालू प्रसाद यादव का पैतृक गाँव के लोग आज भी लालू यादव के इंतजार में टकटकी लगाए हुए है। लेकिन फुलवरिया के लोगो की मलाला इस बात की है कि इस चुनाव में उन्हें जेल में ही रहना पड़ रहा है। गोपालगंज का फुलवरिया गांव बिहार ही नहीं केंद्र की राजनीति में भी दो दशक तक छाया रहा है 1989 से लेकर 2005 तक फुलवरिया की हैसियत पटना के एक अन्य मार्ग से कम नहीं थी फुलवरिया में सियासत सिर झुकाते थी। यहां से नेताओं को आशीर्वाद मिलने पर ही सांसद विधायक तक की कुर्सी हासिल होती थी। चुनाव के दिनों में बात ही कुछ और होती थी। राजद के नेता हो या कार्यकर्ता फुलवरिया का इकबाल प्राप्त करने के लिए यहां दरबार लगाए रहते थे। चुनाव में कौन जीत हासिल करेगा यहां तय होता था। लेकिन आज चारों तरफ वीरानगी ही है। गांव में ना तो बैठके हो रही है। और ना ही सियासत पर चर्चा। लोगों के चेहरे पर मायूसी दिख रही है। राजनीति सफर में पहली बार ऐसा है कि चुनाव के दिनों में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद जेल में है। इस कारण आज फुलवरिया गुमसुम है। भले ही राज्य में विपक्ष की भूमिका में राजद मैदान में है। लेकिन फुलवरिया को लालू के नहीं रहने का मलाल कम नहीं है। ईटीवी भारत के संवाददाता जब लोगो के राय जानने फुलवरिया गाँव उनके आवास पहुंचे तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था। घर मे भी किसी की आहट नही मिल रही थी। आस पास के लोगो से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कही गए है। लेकिन हमारे संवाददाता ने कुछ लोगो से जब इस चुनावी समर में लालू यादव के नही रहने के बारे में बात की तो कुछ लोगो ने कहा कि उनकी कमी काफी खलती है विरोधियों ने शाजिस के तहत फंसा कर जेल में डाल दिया। वही कुछ लोगो ने कहा कि लालू यादव के जेल जाने से कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि उनका बेटा मैदान में है और विरोधियो से मुकाबला करने के लिए काफी है।। लालू यादव अपने कार्यकाल में फुलवरिया के काफी विकास किया है यहां रेलवे स्टेशन, अस्पताल, रजिस्ट्री ऑफिस समेत कई सुविधाए दी है। जब हमारे संवाददाता ने गाँव के उपेंद्र प्रसाद यादव से बात किया तो उन्होंने बताया कि लालू यादव की कमी नही खलती है जेल में है तब भी उनके साथ उनके बिचारधाराओ से जुड़े है और तेजश्वी के नेतृत्व में काम कर रहे है। सेम केस में कोई बरी होता है तो कोई जेल में रहता है एक साजिश के तहत फंसाया गया है। लालू यादव के शासन काल मे यहां रोड का निर्माण हुआ लेकिन उनके बाद आज तक सड़क की मरमत्ती नही हो सकी। सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए है जदयू भाजपा की सरकार ने लालू के गांव होने के कारण मरमती नही कराई। वही लालू यादव के भतीजा नीतीश यादव समेत कई लोगों ने कहा की उनकी कमी बहुत खलती है अगर वो जेल।से बाहर रहते तो विरोधियों की चाल पर पानी फेर देते लेकिन फिर भी विश्वास है कि इस बार की चुनाव में राजद की जीत जरूर जरूर होगी





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