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पशु-पक्षी का सहारा बने रिटायर्ड फौजी, पेंशन का आधा हिस्सा बेजुबानों पर करते हैं खर्च

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Published : Dec 13, 2022, 3:24 PM IST

गोपालगंज में पशु पक्षी प्रेमी हरि सिंह रिटायर (Animal bird lover retired soldier Hari Singh) होने के बाद बेजुबानों का सहरा हैं. जिले के सदर प्रखण्ड के भितभेरवा गांव निवासी एक रिटायर्ड फौजी पिछले कई वर्षों से बेजुबान पशु -पक्षियों का पालन पोषण कर रहे हैं. वह अपने पेंशन का आधा हिस्सा बेजुबानों पर खर्च कर एक मिसाल पेश कर रहे हैं आगे पढ़ें पूरी खबर...

गोपालगंज के फौजी का पशु प्रेम
गोपालगंज के फौजी का पशु प्रेम
गोपालगंज में पशु पक्षी प्रेमी हरि सिंह

गोपालगंज: दरअसल कहा जाता है कि यह मतलबी दुनिया है लेकिन इस मतलबी दुनिया में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो बिना किसी स्वार्थ के मदद करने को तैयार रहते हैं. कुछ लोग पशु पक्षियों से आगाढ़ प्रेम कर उन्हें अपने घर के सदस्यों की मानते हैं उनकी दिल से फिक्र करते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है गोपालगंज के रिटायर्ड फौजी हरि सिंह (Retired soldier Hari Singh of Gopalganj) की. वह सदर प्रखंड के भितभेरवा गांव निवासी हैं. हरि सिंह जितना प्रेम अपने बच्चों और परिवार से करते हैं उतना ही पशु और पक्षियों से भी है. नौकरी के दौरान शुरू किए गए इस कार्य को रिटायर्ड होने के बाद भी वह बखूबी निभा रहे हैं.

पढ़ें-पक्षी प्रेम हो तो ऐसा: एक घटना से प्रेरित होकर मकान को बना दिया 'गौरैया घर'

यहां से शुरू हुआ पसु-पक्षियों से प्रेम: भितभेरवा गांव निवासी हरि सिंह के साथ 1974 में घटी घटना ने उन्हें विचलित कर दिया और उसके बाद उनका ध्यान उन बेजुबान पशु-पक्षी की तरफ आ गया. उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया की बेजुबानों की सेवा करना उनका कर्त्तव्य होगा और उनका लगाव पशु पक्षियों की ओर बढ़ता चला गया. वह देश की सेवा के लिए 1982 में पारा मिलिट्री फोर्स में शामिल हुए. फौज में रहते हुए पशु-पक्षियों की सेवा में मनोयोग से जुटे गए. उन्होंने झारखंड के धनवाद से नौकरी शुरू की और वर्ष 2017 में दिल्ली सीआईएसएफ पारा मिलीट्री से रिटायर हुए. इसके के बाद घर पर भी उनकी यह सेवा चलती रही.


पेंशन से बेजुबान जानवरों को खिलाते हैं खाना: रिटायर होने के बाद गुजारे के लिए मिलने वाली पेंशन की आधी राशि वो पशु पक्षियों के भोजन में खर्च करने लगेऔर यह सिलसिला आज भी जारी है. 62 वर्षीय हरि सिंह बताते हैं कि नौकरी के दौरान और नौकरी के बाद भी यह सेवा चलती रही. 7 दिसंबर 2022 को उन्होंने सदर अस्पताल में बतौर गार्ड की नौकरी शुरू की. इसके बाद भी उनका नेक कार्य छूटा नहीं और वह ड्यूटी के दौरान भी बेजुबान कुत्तों को बिस्किट खिलाकर प्यार करते हुए नजर आते हैं. हरि सिंह के तीन बेटे हैं. दो बेटा एयरफोर्स में बतौर सर्जेन्ट है जबकि तीसरा बेटा जिले के डीएवी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत है. उनके इस कार्य में पत्नी पासपती समेत परिवार का भरपूर सहयोग मिलता है. आज तक किसी ने भी उनके इस कार्य पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया है.

ऐसे बने शाकाहारी: हरि सिंह बीते दिनों के बारे बताते हुए कहते हैं कि जब वो 20 वर्ष के थे तो वह एक बार मीट खरीदने गए. वहां पहुंच कर जब एक बकरे को काटा जा रहा था तो उसके बगल में दूसरा बकरा भयभीत होकर देख रहा था, उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे. यह देख कर मैं सहन नहीं कर सका और उसी दिन से बेजुबानों के प्रति प्रेम बढ़ने लगा. इसके बाद मांस खाना छोड़ कर शाकाहारी बन गया नौकरी लगने के बाद ड्यूटी के दौरान भी पशु पक्षियों को अपने खाने में से आधा खिलाने लगा इसके बाद तनख्वाह के आधे पैसे बेजुबानो पर खर्च करने लगा और आज भी ये परिपाटी जारी है.

"इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने मन की आवाज सुननी चाहिए और प्रकृति के लिए कुछ ना कुछ जरूर करना चाहिए. प्रत्येक नागरिक को भी सभी जीवों के प्रति करुणा रखनी चाहिए. इंसान से भी ज्यादा समझदार ये बेजुबान होते हैं." -हरि सिंह, रिटायर फौजी

क्या कहते हैं रिटायर फौजी: हरि सिंह का कहना है कि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने मन की आवाज सुननी चाहिए और प्रकृति के लिए कुछ ना कुछ जरूर करना चाहिए. प्रत्येक नागरिक को भी सभी जीवों के प्रति करुणा रखनी चाहिए. इंसान से भी ज्यादा समझदार ये बेजुबान होते हैं. सदर अस्पताल में रोजाना कुत्तों को बिस्किट खिलाना इनकी दिनचार्या है. यही कारण है कि आस पास के कुत्ते इनके प्रेम को समझ गए हैं. इनके हाथ में रखे डंडे से भी कुत्ते नहीं डरते हैं. वह इनके पास आकर प्यार से बैट जाते हैं.

पढ़ें-इस पक्षी प्रेमी को देखकर आप भी कह उठेंगे, 'वाह क्या बात है'

गोपालगंज में पशु पक्षी प्रेमी हरि सिंह

गोपालगंज: दरअसल कहा जाता है कि यह मतलबी दुनिया है लेकिन इस मतलबी दुनिया में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो बिना किसी स्वार्थ के मदद करने को तैयार रहते हैं. कुछ लोग पशु पक्षियों से आगाढ़ प्रेम कर उन्हें अपने घर के सदस्यों की मानते हैं उनकी दिल से फिक्र करते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है गोपालगंज के रिटायर्ड फौजी हरि सिंह (Retired soldier Hari Singh of Gopalganj) की. वह सदर प्रखंड के भितभेरवा गांव निवासी हैं. हरि सिंह जितना प्रेम अपने बच्चों और परिवार से करते हैं उतना ही पशु और पक्षियों से भी है. नौकरी के दौरान शुरू किए गए इस कार्य को रिटायर्ड होने के बाद भी वह बखूबी निभा रहे हैं.

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यहां से शुरू हुआ पसु-पक्षियों से प्रेम: भितभेरवा गांव निवासी हरि सिंह के साथ 1974 में घटी घटना ने उन्हें विचलित कर दिया और उसके बाद उनका ध्यान उन बेजुबान पशु-पक्षी की तरफ आ गया. उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया की बेजुबानों की सेवा करना उनका कर्त्तव्य होगा और उनका लगाव पशु पक्षियों की ओर बढ़ता चला गया. वह देश की सेवा के लिए 1982 में पारा मिलिट्री फोर्स में शामिल हुए. फौज में रहते हुए पशु-पक्षियों की सेवा में मनोयोग से जुटे गए. उन्होंने झारखंड के धनवाद से नौकरी शुरू की और वर्ष 2017 में दिल्ली सीआईएसएफ पारा मिलीट्री से रिटायर हुए. इसके के बाद घर पर भी उनकी यह सेवा चलती रही.


पेंशन से बेजुबान जानवरों को खिलाते हैं खाना: रिटायर होने के बाद गुजारे के लिए मिलने वाली पेंशन की आधी राशि वो पशु पक्षियों के भोजन में खर्च करने लगेऔर यह सिलसिला आज भी जारी है. 62 वर्षीय हरि सिंह बताते हैं कि नौकरी के दौरान और नौकरी के बाद भी यह सेवा चलती रही. 7 दिसंबर 2022 को उन्होंने सदर अस्पताल में बतौर गार्ड की नौकरी शुरू की. इसके बाद भी उनका नेक कार्य छूटा नहीं और वह ड्यूटी के दौरान भी बेजुबान कुत्तों को बिस्किट खिलाकर प्यार करते हुए नजर आते हैं. हरि सिंह के तीन बेटे हैं. दो बेटा एयरफोर्स में बतौर सर्जेन्ट है जबकि तीसरा बेटा जिले के डीएवी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत है. उनके इस कार्य में पत्नी पासपती समेत परिवार का भरपूर सहयोग मिलता है. आज तक किसी ने भी उनके इस कार्य पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया है.

ऐसे बने शाकाहारी: हरि सिंह बीते दिनों के बारे बताते हुए कहते हैं कि जब वो 20 वर्ष के थे तो वह एक बार मीट खरीदने गए. वहां पहुंच कर जब एक बकरे को काटा जा रहा था तो उसके बगल में दूसरा बकरा भयभीत होकर देख रहा था, उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे. यह देख कर मैं सहन नहीं कर सका और उसी दिन से बेजुबानों के प्रति प्रेम बढ़ने लगा. इसके बाद मांस खाना छोड़ कर शाकाहारी बन गया नौकरी लगने के बाद ड्यूटी के दौरान भी पशु पक्षियों को अपने खाने में से आधा खिलाने लगा इसके बाद तनख्वाह के आधे पैसे बेजुबानो पर खर्च करने लगा और आज भी ये परिपाटी जारी है.

"इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने मन की आवाज सुननी चाहिए और प्रकृति के लिए कुछ ना कुछ जरूर करना चाहिए. प्रत्येक नागरिक को भी सभी जीवों के प्रति करुणा रखनी चाहिए. इंसान से भी ज्यादा समझदार ये बेजुबान होते हैं." -हरि सिंह, रिटायर फौजी

क्या कहते हैं रिटायर फौजी: हरि सिंह का कहना है कि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने मन की आवाज सुननी चाहिए और प्रकृति के लिए कुछ ना कुछ जरूर करना चाहिए. प्रत्येक नागरिक को भी सभी जीवों के प्रति करुणा रखनी चाहिए. इंसान से भी ज्यादा समझदार ये बेजुबान होते हैं. सदर अस्पताल में रोजाना कुत्तों को बिस्किट खिलाना इनकी दिनचार्या है. यही कारण है कि आस पास के कुत्ते इनके प्रेम को समझ गए हैं. इनके हाथ में रखे डंडे से भी कुत्ते नहीं डरते हैं. वह इनके पास आकर प्यार से बैट जाते हैं.

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