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गोपालगंज: नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा SNCU, 24 घंटे तैनात रहते हैं डॉक्टर और नर्स - शिशुओं का गंभीर स्थिति में इलाज

गोपालगंज एसएनसीयू में डॉक्टर से लेकर एएनएम तक शिशुओं का विशेष ध्यान रखते हैं. यहां 24 घण्टे एसएनसीयू की सुविधा शिशुओं को दी जाती है. साथ ही जीएनएम, एएनएम के साथ डॉक्टर भी 24 घण्टे अपने ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. साल 2017 में बना एसएनसीयू सभी सुविधाओं से लैस है.

एसएनसीयू में शिशु का देखभाल करती नर्से
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Published : Nov 7, 2019, 8:01 PM IST

Updated : Nov 10, 2019, 4:58 PM IST

गोपालगंज: सरकारी अस्पताल को लेकर लोगों के मन में कई तरह की बातें होती हैं. कहते हैं अगर अस्पताल में मिलने वाली सरकारी सुविधा की बात की जाए तो कई तरह के सवाल होते हैं. लेकिन वहीं देखा जाए तो जिले में बने नवजात बच्चों के लिए एसएनसीयू (नवजात शिशु इकाई) शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां मिलने वाली सुविधा किसी प्राइवेट नर्सिंग होम से कम नहीं है.

SNCU सभी सुविधाओं से लैस
बता दें कि अस्पताल में डॉक्टर से लेकर एएनएम सभी शिशुओं का विशेष ध्यान रखते हैं. यहां 24 घण्टे एसएनसीयू की सुविधा शिशुओं को दी जाती है. साथ ही जीएनएम, एएनएम के साथ डॉक्टर भी 24 घण्टे अपने ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. साल 2017 में बना एसएनसीयू सभी सुविधाओं से लैस हैं. जिससे नवजात शिशु के इलाज में कोई कमी नहीं आती है. 1 से 28 दिन के बच्चों के लिए बना एसएनसीयू नवजातों के विशेष देखभाल में कारगर साबित हो रहा है. वहीं इस यूनिट को बनाने में करीब एक करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा SNCU

24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात
यूनिट इंचार्ज ज्योति प्रकाश ने बताया कि इस यूनिट में नवजातों के लिए एक साथ 15 सीट है. जिससे एक साथ कई बच्चों का इलाज करने में सुविधा होती है. 24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात रहते हैं. एसएनसीयू में डॉ. आरके आर्य और डॉ. नौशाद आलम की तैनाती है. एसएनसीयू में जन्म लेने के साथ ही स्वांस, जॉन्डिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, 9 माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थिति में इलाज किया जाता है.

gopalganj
एसएनसीयू में शिशु का देखभाल करती नर्स

फ्री में दी जाती है बेहतर सुविधा
सदर अस्पताल में नवजात शिशु का इलाज इलाज शुरू होने से जन्म-मृत्यु दर में भी कमी आई है. यहां पर फ्री में प्राइवेट नर्सिंग होम से बेहतर सुविधा मिलने लगी है. सदर अस्पताल में संचालित एसएनसीयू सिर्फ अस्पताल में जन्मे शिशुओं को ही ये सुविधा नहीं दी जाती. बल्कि, यहां पर गंभीर बीमारी से जूझ रहे शिशुओं का भी इलाज किया जाता है. इस यूनिट में बीते एक साल में कुल 1464 नवजातों का इलाज हो चुका है.

क्या है सुविधा

  • 3 फोटो थेरेपी
  • 13 वॉर्मर
  • 5 एएनएम
  • 5 जीएनएम
  • 2 डॉक्टर
  • आईसीयू
  • वेंटीलेटर
  • ऑक्सीजन

गोपालगंज: सरकारी अस्पताल को लेकर लोगों के मन में कई तरह की बातें होती हैं. कहते हैं अगर अस्पताल में मिलने वाली सरकारी सुविधा की बात की जाए तो कई तरह के सवाल होते हैं. लेकिन वहीं देखा जाए तो जिले में बने नवजात बच्चों के लिए एसएनसीयू (नवजात शिशु इकाई) शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां मिलने वाली सुविधा किसी प्राइवेट नर्सिंग होम से कम नहीं है.

SNCU सभी सुविधाओं से लैस
बता दें कि अस्पताल में डॉक्टर से लेकर एएनएम सभी शिशुओं का विशेष ध्यान रखते हैं. यहां 24 घण्टे एसएनसीयू की सुविधा शिशुओं को दी जाती है. साथ ही जीएनएम, एएनएम के साथ डॉक्टर भी 24 घण्टे अपने ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. साल 2017 में बना एसएनसीयू सभी सुविधाओं से लैस हैं. जिससे नवजात शिशु के इलाज में कोई कमी नहीं आती है. 1 से 28 दिन के बच्चों के लिए बना एसएनसीयू नवजातों के विशेष देखभाल में कारगर साबित हो रहा है. वहीं इस यूनिट को बनाने में करीब एक करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा SNCU

24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात
यूनिट इंचार्ज ज्योति प्रकाश ने बताया कि इस यूनिट में नवजातों के लिए एक साथ 15 सीट है. जिससे एक साथ कई बच्चों का इलाज करने में सुविधा होती है. 24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात रहते हैं. एसएनसीयू में डॉ. आरके आर्य और डॉ. नौशाद आलम की तैनाती है. एसएनसीयू में जन्म लेने के साथ ही स्वांस, जॉन्डिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, 9 माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थिति में इलाज किया जाता है.

gopalganj
एसएनसीयू में शिशु का देखभाल करती नर्स

फ्री में दी जाती है बेहतर सुविधा
सदर अस्पताल में नवजात शिशु का इलाज इलाज शुरू होने से जन्म-मृत्यु दर में भी कमी आई है. यहां पर फ्री में प्राइवेट नर्सिंग होम से बेहतर सुविधा मिलने लगी है. सदर अस्पताल में संचालित एसएनसीयू सिर्फ अस्पताल में जन्मे शिशुओं को ही ये सुविधा नहीं दी जाती. बल्कि, यहां पर गंभीर बीमारी से जूझ रहे शिशुओं का भी इलाज किया जाता है. इस यूनिट में बीते एक साल में कुल 1464 नवजातों का इलाज हो चुका है.

क्या है सुविधा

  • 3 फोटो थेरेपी
  • 13 वॉर्मर
  • 5 एएनएम
  • 5 जीएनएम
  • 2 डॉक्टर
  • आईसीयू
  • वेंटीलेटर
  • ऑक्सीजन
Intro:कहते है अगर अस्पताल में मिलने वाले सरकारी सुविधा की बात की जाए तो मन मे कई तरह के सवाल उत्पन्न होने लगते है। लोगो के मन मे सकारात्मकता कम नकारात्मकता अधिक आने लगती है। लेकिन इस बीच मे अगर बात करे नवजात बच्चो के लिए बने एसएनसीयू(नवजात शिशु इकाई) की तो यहां मिलने वाली सुविधा किसी प्राइवेट नर्सिंग होम से कम नही है।


Body:निजी नर्सिंग होम के तर्ज पर ही इस इकाई में डॉक्टर से लेकर एएनएम तक बच्चो को विशेष ध्यान देने में पीछे नही हटते। 24 घण्टा यह इकाई बच्चो के लिए खुला रहता है। साथ ही जीएनएम एएनएम के साथ डॉक्टर भी 24 घण्टे अपने ड्यूटी पर तैनात रहते है।वर्ष 2017 में बना एसएनसीयू में वो सभी सुविधाएं लैस है जिससे नवजातों की इलाज में कोई कमी ना हो। जीरो से 28 दिन के बच्चों के लिए बना एसएनसीयू नवजातों के विशेष देखभाल कारगर साबित हो रहा है। या यूं कहें कि यहां कारगर कर्मियों द्वारा नजात् शिशुओ को संपूर्ण इलाज कर उनको जीवनदान दे रहा है। इस यूनिट को बनाने में करीब एक करोड़ रुपये खर्च हुई है।
इस यूनिट में नवजातों के लिए एक साथ 15 सीट है। जिससे एक साथ इलाज करने की सुविधा है।24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात रहते हैं। एसएनसीयू में डॉक्टर आरके आर्य व डॉ नौशाद आलम की तैनाती है। एसएनसीयू में जन्म लेने के साथ ही स्वांस, जॉन्डिस,दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम,9 माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थिति में इलाज किया जाता है। सदर अस्पताल में नवजात शिशु का इलाज इलाज शुरू होने से जन्म मृत्यु दर में भी कमी आई है। अब नवजात शिशुओं के इलाज के टेंशन खत्म हो गई है। पैसों के लिए प्राइवेट नर्सिंग होम से बेहतर सुविधा सदर अस्पताल में मिलने लगी है। वह भी बिल्कुल फ्री। सदर अस्पताल में संचालित एसएनसीयू सिर्फ अस्पताल में जन्मे बच्चो को ही ये सुविधा नही दी जाती बल्कि सभी सरकारी व निजी शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा भी गंभीर बीमारी से जूझ रहे बच्चों को यहां रेफर किए गए बच्चो को भी इलाज किया जाता है। यहां नवजात को भर्ती कराने के बाद उनके अभिभावक को बाहर रखा जाता है। इस यूनिट में इलाजरत नवजातों केपिछले एक वर्ष के आंकड़ो पर गौर करे तो अब तक कुल नवजातों का इलाज 1464 हुआ। वही 786 नवजातों को डिस्चार्ज किया गया। अपने मर्जी से नवजातों को परिजन द्वारा ले जाने के मामले कुल 127 रहे, जबकि 112 नवजातों की मौत हुई है।


क्या है सुविधा

फोटो थेरैपी 3
वारमर 13
एएनएम 5
जीएनएम 5
डॉक्टर। 2
आईसीयू,
वेंटीलेटर,
ऑक्सीजन
वही इस संदर्भ में यूनिट इंचार्ज ज्योति प्रकाश से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि जो भी बच्चे यहां इलाज के लिए आते है उन्हें बेहतर व ससमय देखभाल व ट्रीटमेंट किया जाता है चिकित्सा पदाधिकारी या एएनएम अपने कार्य का बखूबी निर्वाहन करते है


Conclusion:na
Last Updated : Nov 10, 2019, 4:58 PM IST
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