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गोपालंगज: कोई इन्हें खोज कर लाए? सालों से लापता हैं यहां के 10 डॉक्टर - हाल बेहाल

सदर अस्पताल की तो यहां मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर 24 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन, मात्र 10 डॉक्टर ही अपनी सेवा दे रहे हैं.

मरीजों का लगा तांता
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Published : Jun 30, 2019, 9:31 PM IST

गोपालगंज: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बेहद ही दयनीय है. गोपालगंज सदर अस्पताल बदहाली की मार झेल रहा है. यहां कुव्यवस्था साफ दिखती है. जिले की 26 लाख आबादी पर यहां केवल 35 डॉक्टर बहाल हैं. उसमें भी यहां नियुक्त कई डॉक्टरों की सालों से कोई खोज-खबर नहीं है.

बदतर हैं हालात
वैसे तो पूरे जिले में 241डॉक्टरों के जगह मात्र 35 डॉक्टर ही सेवा दे रहे हैं. अगर बात की जाए सिर्फ सदर अस्पताल की इस अस्पताल को आईएसओ से मान्यता भी प्राप्त है. लेकिन, यहां मरीजो को उचित व्यवस्था नहीं दी जाती है. अस्पताल लंबे समय से डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहा है. आलम यह हैं कि कई ऐसे डॉक्टर हैं जो बिना बताये गायब हैं. लेकिन, इनका नाम अस्पताल सूची में जरूर मौजूद है.

gopalganj
बुनियादी सुविधाओं का अभाव

बिना छुट्टी के गायब हैं कई चिकित्सक

सदर अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि यहां कई चिकित्सक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित हैं, जिसमें, चिकित्सा पदाधिकारी भी शामिल हैं. यह रही सूची:

  1. डॉ असलम हुसैन 15 जनवरी 2015 से
  2. डॉक्टर शशिभूषण सिन्हा 6 नवंबर 2015 से
  3. डॉ कामोद झा 22 जुलाई 2016 से
  4. डॉ प्रभात कुमार नायक 7 अगस्त 2016 से
  5. डॉ प्रियंका 17 जुलाई 2016 से
  6. राखी सिंह 12 अगस्त 2013 से
  7. अशोक कुमार 25 दिसम्बर 2016 से
  8. डॉ मनवर आलम 1जून 2016 से
  9. डॉ संजू प्रसाद 26 जुलाई 2012 से
  10. डॉ आमिर रेहान 29 अप्रैल 2016 से गायब है

इनके बारे में अस्पताल प्रबंधन तक को कोई जानकारी नहीं है कि यह लोग कहां हैं और छोड़कर क्यों गए?

24 पदों पर तैनात है 10 डॉक्टर
पूरे जिले में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत पद 241 हैं. लेकिन, 58 डॉक्टर ही कार्यरत है. इसमें से भी 23 डॉक्टर आए दिन गायब रहते हैं. अगर बात की जाए सिर्फ सदर अस्पताल की तो यहां मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर 24 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन, मात्र 10 डॉक्टर ही अपनी सेवा दे रहे हैं. इमरजेंसी वार्ड में तीन शिफ्ट में डॉक्टर की तैनाती की जाती है. जिसमें सुबह 8 बजे से 2 बजे तक, 2 बजे से रात्रि 12 बजे तक और रात्रि 12 बजे से सुबह 8 बजे तक डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं. लेकिन, सच्चाई है कि रात के समय इमरजेंसी वार्ड में शायद ही कोई डॉक्टर ड्यूटी करते हों.

सदर अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

नवजात शिशु रोग विभाग में एक भी नहीं डॉक्टर
सदर अस्पताल के नवजात शिशु रोग वार्ड के संचालन के लिए एक भी विभागीय डॉक्टर नहीं है. जिस कारण मासूमों के परिजन अपने बच्चों को लेकर प्राइवेट की तरफ रुख कर रहे हैं. यहां डॉक्टर का अभाव होने के कारण अधिकांश मरीज को पटना और गोरखपुर रेफर कर दिया जाता है.

विशेषज्ञ डॉक्टर के अभाव में सामान्य डॉक्टरों से कराया जा रहा इलाज
जिला अस्पताल में कई विभाग के डॉक्टर नदारद हैं. संविदा पर कार्यरत डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं. स्त्री रोग विशेषज्ञ 8 पद है. लेकिन, एक भी सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है. इसी प्रकार मानसिक रोग विशेषज्ञ का एक पद है वह भी खाली है. चर्म रोग विशेषज्ञ के दो पद भी खाली हैं. ईएनटी के 2 और रेडियोलॉजिस्ट के 5 पद भी खाली है.

बच्चों की हो रही मौत
ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों का इलाज कैसे किया जाता होगा. वर्तमान में पूरा बिहार चमकी बुखार से त्राहिमाम कर रहा है. विभिन्न जिलों में सैकड़ों बच्चों को लगातार मौत हो रही है. हालांकि अभी तक गोपालगंज जिले में एक भी चमकी बुखार के मरीज नहीं पाए गए हैं. लेकिन, जिस रफ्तार से यह बुखार अपना पांव पसार रहा है, उससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि यह जिला भी आने वाले दिनों में अछूता नहीं होगा.

गोपालगंज: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बेहद ही दयनीय है. गोपालगंज सदर अस्पताल बदहाली की मार झेल रहा है. यहां कुव्यवस्था साफ दिखती है. जिले की 26 लाख आबादी पर यहां केवल 35 डॉक्टर बहाल हैं. उसमें भी यहां नियुक्त कई डॉक्टरों की सालों से कोई खोज-खबर नहीं है.

बदतर हैं हालात
वैसे तो पूरे जिले में 241डॉक्टरों के जगह मात्र 35 डॉक्टर ही सेवा दे रहे हैं. अगर बात की जाए सिर्फ सदर अस्पताल की इस अस्पताल को आईएसओ से मान्यता भी प्राप्त है. लेकिन, यहां मरीजो को उचित व्यवस्था नहीं दी जाती है. अस्पताल लंबे समय से डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहा है. आलम यह हैं कि कई ऐसे डॉक्टर हैं जो बिना बताये गायब हैं. लेकिन, इनका नाम अस्पताल सूची में जरूर मौजूद है.

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बुनियादी सुविधाओं का अभाव

बिना छुट्टी के गायब हैं कई चिकित्सक

सदर अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि यहां कई चिकित्सक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित हैं, जिसमें, चिकित्सा पदाधिकारी भी शामिल हैं. यह रही सूची:

  1. डॉ असलम हुसैन 15 जनवरी 2015 से
  2. डॉक्टर शशिभूषण सिन्हा 6 नवंबर 2015 से
  3. डॉ कामोद झा 22 जुलाई 2016 से
  4. डॉ प्रभात कुमार नायक 7 अगस्त 2016 से
  5. डॉ प्रियंका 17 जुलाई 2016 से
  6. राखी सिंह 12 अगस्त 2013 से
  7. अशोक कुमार 25 दिसम्बर 2016 से
  8. डॉ मनवर आलम 1जून 2016 से
  9. डॉ संजू प्रसाद 26 जुलाई 2012 से
  10. डॉ आमिर रेहान 29 अप्रैल 2016 से गायब है

इनके बारे में अस्पताल प्रबंधन तक को कोई जानकारी नहीं है कि यह लोग कहां हैं और छोड़कर क्यों गए?

24 पदों पर तैनात है 10 डॉक्टर
पूरे जिले में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत पद 241 हैं. लेकिन, 58 डॉक्टर ही कार्यरत है. इसमें से भी 23 डॉक्टर आए दिन गायब रहते हैं. अगर बात की जाए सिर्फ सदर अस्पताल की तो यहां मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर 24 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन, मात्र 10 डॉक्टर ही अपनी सेवा दे रहे हैं. इमरजेंसी वार्ड में तीन शिफ्ट में डॉक्टर की तैनाती की जाती है. जिसमें सुबह 8 बजे से 2 बजे तक, 2 बजे से रात्रि 12 बजे तक और रात्रि 12 बजे से सुबह 8 बजे तक डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं. लेकिन, सच्चाई है कि रात के समय इमरजेंसी वार्ड में शायद ही कोई डॉक्टर ड्यूटी करते हों.

सदर अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

नवजात शिशु रोग विभाग में एक भी नहीं डॉक्टर
सदर अस्पताल के नवजात शिशु रोग वार्ड के संचालन के लिए एक भी विभागीय डॉक्टर नहीं है. जिस कारण मासूमों के परिजन अपने बच्चों को लेकर प्राइवेट की तरफ रुख कर रहे हैं. यहां डॉक्टर का अभाव होने के कारण अधिकांश मरीज को पटना और गोरखपुर रेफर कर दिया जाता है.

विशेषज्ञ डॉक्टर के अभाव में सामान्य डॉक्टरों से कराया जा रहा इलाज
जिला अस्पताल में कई विभाग के डॉक्टर नदारद हैं. संविदा पर कार्यरत डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं. स्त्री रोग विशेषज्ञ 8 पद है. लेकिन, एक भी सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है. इसी प्रकार मानसिक रोग विशेषज्ञ का एक पद है वह भी खाली है. चर्म रोग विशेषज्ञ के दो पद भी खाली हैं. ईएनटी के 2 और रेडियोलॉजिस्ट के 5 पद भी खाली है.

बच्चों की हो रही मौत
ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों का इलाज कैसे किया जाता होगा. वर्तमान में पूरा बिहार चमकी बुखार से त्राहिमाम कर रहा है. विभिन्न जिलों में सैकड़ों बच्चों को लगातार मौत हो रही है. हालांकि अभी तक गोपालगंज जिले में एक भी चमकी बुखार के मरीज नहीं पाए गए हैं. लेकिन, जिस रफ्तार से यह बुखार अपना पांव पसार रहा है, उससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि यह जिला भी आने वाले दिनों में अछूता नहीं होगा.

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Body:वैसे तो पूरे जिले में 241डॉक्टरों के जगह मात्र 35 डॉक्टर ही सेवा दे रहे है। अगर बात की जाए सिर्फ सदर अस्पताल की इस अस्पताल को आईएसओ से मान्यता भी प्राप्त है, जिले के सबसे बड़े स्वास्थ्य व्यवस्था के रूप में भी जाना जाता है यहां मरीजो को उचित चिकित्सकीय व्यवस्था नही दी जाती है। आलम यह है कि यहां आने वाले मरीजों को हमेशा भय सताती है कि यहां से से उन्हें उचित स्वास्थ्य व्यवस्था मिल पाएगी या नहीं क्योंकि यह अस्पताल लंबे समय से डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहा है साथ ही मरीजों के लिए मिलने वाले मूलभूत सुविधा भी मयस्सर नहीं होती इससे बुरी स्थिति और क्या होगी कि 26 लाख आबादी पर महज 10 डॉक्टर ही अपनी सेवा दे रहे हैं।
आलम यह हैं की कई ऐसे डॉक्टर है जो बिना बताये या यूं कहे कि
अनाधिकृत रूप से दस डॉक्टर वर्षो से अनुपस्थित है जिसमे

बिना छुट्टी के गायब हैं कई चिकित्सक
सदर अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि यहां कई चिकित्सक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित है जिसमे चिकित्सा पदाधिकारी 1.डॉ असलम हुसैन 15 जनवरी 2015 से
2.डॉक्टर शशिभूषण सिन्हा 6 नवंबर 2015 से
3.डॉ कामोद झा 22 जुलाई 2016 से
4.डॉ प्रभात कुमार नायक 7 अगस्त 2016 से
5.डॉ प्रियंका 17 जुलाई 2016 से
6.राखी सिंह 12 अगस्त 2013 से
7.अशोक कुमार 25 दिसम्बर 2016 से
8.डॉ मनवर आलम 1जून 2016 से
9.डॉ संजू प्रसाद 26 जुलाई 2012 से
10डॉ आमिर रेहान 29 अप्रैल 2016 से गायब है जिनका अब तक को पता नही है कि आखिर ये डॉक्टर क्यों छोड़ कर चले गए






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