गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में नेपाल और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही तेज बारिश और वाल्मीकिनगर बराज (Valmiki Nagar Gandak Barrage) से छोड़े गए 4 लाख क्वीसेक पानी के कारण गंडक नदी (Gandak River) उफान पर है. जिससे दियरा इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ गई है.
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15 से 20 गांवों का आवागमन ठप
बाढ़ का पानी तेजी से दियरा इलाके में प्रवेश कर रहा है. जिससे जनजीवत अस्त-व्यस्त हो गया है. जिले के मांझा प्रखण्ड के मुंगराहा गांव के पास बाढ़ के पानी में सड़क ध्वस्त हो गई. बाढ़ के पानी में सड़क के बह जाने से करीब 15 से 20 गांवों के लोगों का आवागमन बाधित हो गया है. संपर्क मार्ग टूट जाने से यहां के लोग अपने-अपने गांवों में ही कैद हो गए हैं, लेकिन अभी तक प्रशासनिक सुविधाएं नहीं पहुंच रही हैं.
दो माह पहले बनी सड़क बही
घरों में कैद हो चुके लोग प्रशासन से सुरक्षा और सहायता की गुहार लगा रहे हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो दो माह पहले इस ध्वस्त सड़क का निर्माण हुआ था, लेकिन बाढ़ के पानी ने उस सड़क को ध्वस्त कर दिया है. साथ ही कई एकड़ में लगाये गए गन्ने की फसल भी बर्बाद हो गई है. कई जगह कमर तक पानी सड़कों पर बहने लगा है, कई लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हैं.
मूसलाधार बारिश से बिगड़े हालात
बता दें कि बिहार और नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्रों में पिछले 24 घंटों से हो रही बारिश के कारण कई जगहों पर बाढ़ जैसे हालात हैं. कहीं नगर क्षेत्र की सड़कों से होकर पानी गुजर रहा है, तो कहीं पर स्कूलों में पानी भर गया है. वहीं कई अप्रोच पथ भी ध्वस्त होने केकगार पर है. मानसून के शुरुआत में ही बारिश के कहर से लोग भयभीत हैं. बता दें कि यह मानसून का पहला सप्ताह है. दो दिन में ही नेपाल बराज ने पानी छोड़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है.
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तेजी से बढ़ रहा मॉनसून
इधर, बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में सक्रिय चक्रवाती हवा और निम्न हवा के दबाव के क्षेत्र के साथ नमी की वजह से काफी तेजी से मानसून (Monsoon) आगे बढ़ रहा है. बिहार के साथ नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. गंडक नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है. इससे तराई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.
CM नीतीश कुमार के निर्देश:
- जल संसाधन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग तथा प. चंपारण, पूर्वी चंपारण एवं गोपालगंज जिला पूरी तरह अलर्ट रहे.
- जल संसाधन विभाग अपने सभी अभियंताओं को खतरे वाली जगहों पर पूरी तरह अलर्ट रखें. ताकि तटबंधों की पूर्ण सुरक्षा की जा सके.
- एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की टीमों को भी पूरी तरह अलर्ट मोड में रखा जाए.
बाढ़ हर साल लेकर आती है तबाही
यहां बाढ़ हर साल तबाही लेकर आती है. प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. सड़कों पर 5 से फीट 10 फीट तक पानी भरा रहता है. कई गांव ऐसे भी हैं जहां पर बाढ़ के समय नाव ही एकमात्र सहारा होती है. बताया जाता है कि यहां हर साल नदी का कटाव होता है. ग्रामीणों का कहना है कि वे रात-रात भर जाग कर टॉर्च से नदी के तटबंध की निगरानी करते हैं. ताकि अगर अचानक से तेज कटाव होने लगे तो परिवार संग घर छोड़कर भाग सकें.
ऊंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर लोग
बाढ़ से हर साल किसानों को भारी नुकसान होता है. नदी में कई घर डूब जाते हैं. लोगों को अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ता है. ऐसे में उनके सामने एक तो बाढ़ की तबाही होती है तो दूसरी तरफ भुखमरी की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है.
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