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पीएम मोदी के मन की बात सुन छोड़ दी बैंक की नौकरी, अब महिलाओं को बना रहे आत्मनिर्भर

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Published : Nov 28, 2022, 11:58 PM IST

गोपालगंज के राम सागर यादव (Ram Sagar Yadav of Gopalganj) पीएम मोदी के मन की बात से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एसबीआई बैंक की नौकरी छोड़कर खुद का बिजनेस शुरू कर दिया. आज वो खादी कपड़ों के व्यवसाय कर 70 महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं.

गोपालगंज में खादी कपड़ों के व्यवसाय
गोपालगंज में खादी कपड़ों का व्यवसाय

गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज के फुलवरिया प्रखंड के इमलिया माझा गांव (Imalia majha village of Phulwaria block) में इन दिनों महिलाएं आत्मनिर्भर (Gopalganj Women became independent) बन रही हैं. ये संभव हो पा रहा है यहां के रहने वाले राम सागर यादव के कारण, जिन्होंने पीएम मोदी के मन की बात से प्रेरणा लेकर खादी कपड़ों के व्यवसाय शुरू किया और आज वो 70 महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें स्वावलंबी बना रहे हैं. कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग संस्थान (Kushgram Khadi Village Industry Institute) के नाम से खोली कंपनी में महिलाओ द्वारा सूत कटाई से लेकर कपड़े का बुनाई ,रंगाई कर निर्माण किया जाता है. ग्रामोउद्योग से बने कपड़ों की डिमांड बिहार के अलावा लखनऊ में ज्यादा है.

ये भी पढ़ेंः मशरूम से उत्पाद बनाकर बेच रहीं महिलाएं, आत्मनिर्भर होने के साथ दूसरों को दे रहीं काम

एसबीआई बैंक की नौकरी छोड़ीः दरअसल फुलवरिया प्रखंड के इमलिया माझा गांव के रहने वाले 45 वर्षीय राम सागर यादव पीएम मोदी के सपनों को साकार कर रहे हैं. रामसागर एसबीआई बैंक में बतौर ब्रांच मैनेजर में कार्यरत थे, लेकिन पीएम मोदी के मन की बात सुन कर उन्हें प्रेरणा जगी की स्वरोजगार करने के अलावे अन्य लोगों को भी रोजागर से जोड़ें. आज उन्होंने खादी के कपड़ों का उत्पाद कर और सूत कटाई के जरिए 70 महिलाओं को रोजगार दिया है. इसके साथ ग्रामोद्योग के सामान जिसमें हल्दी, साबुन, टूथपेस्ट जैसे अन्य सामान बनाए जाते हैं. जिसमें सैकड़ो लोगों को रोजगार दिया गया है.

5 साल पहले की थी शुरुआतः राम सागर यादव के मुताबिक वे और उनके पार्टनर नागेन्द्र कुमार ने आज से 5 साल पहले चंपारण के भीतहरवा गांव का दौरा किया था. जहां पर गांधी ने अपनी चंपारण यात्रा की शुरुआत की थी. इस जगह का दौरा करने के बाद उनके मन में भी खादी के प्रति और महिलाओं को रोजगार देने के प्रति एक विचार आया. उसके बाद उन्होंने खादी पर काम करना शुरू किया. वे पीएम मोदी के खादी ग्रामोद्योग के विचार से इस कदर प्रेरित हुए कि उन्होंने खुद की कंपनी की शुरुआत कर दी.

कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग में काम करती महिला
कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग में काम करती महिला

"सरकारी संस्थान से रुई लेकर आते हैं. जिससे सूत की कताई की जाती है. फिर इससे धागा बनाया जाता है और धागा बनाने के बाद इससे खादी के डिज़ाइनर कपड़े का निर्माण किया जाता है. आज अपनी कंपनी में खादी के शर्ट पैंट, जैकेट, कोट, शॉल से लेकर डिजाइनर कुर्ती और हैंडमेड कपड़े के सामान का निर्माण किया जाता है. खादी के उत्पाद और ग्रामोद्योग के जरिए हमारी कंपनी के द्वारा साबुन, टूथपेस्ट, मेटल के बर्तन, हल्दी जैसे घरेलू उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं. जिसके जरिए सैकड़ों लोगों को रोजगार दिया गया है"- राम सागर यादव, मालिक, कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग संस्थान

गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज के फुलवरिया प्रखंड के इमलिया माझा गांव (Imalia majha village of Phulwaria block) में इन दिनों महिलाएं आत्मनिर्भर (Gopalganj Women became independent) बन रही हैं. ये संभव हो पा रहा है यहां के रहने वाले राम सागर यादव के कारण, जिन्होंने पीएम मोदी के मन की बात से प्रेरणा लेकर खादी कपड़ों के व्यवसाय शुरू किया और आज वो 70 महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें स्वावलंबी बना रहे हैं. कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग संस्थान (Kushgram Khadi Village Industry Institute) के नाम से खोली कंपनी में महिलाओ द्वारा सूत कटाई से लेकर कपड़े का बुनाई ,रंगाई कर निर्माण किया जाता है. ग्रामोउद्योग से बने कपड़ों की डिमांड बिहार के अलावा लखनऊ में ज्यादा है.

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एसबीआई बैंक की नौकरी छोड़ीः दरअसल फुलवरिया प्रखंड के इमलिया माझा गांव के रहने वाले 45 वर्षीय राम सागर यादव पीएम मोदी के सपनों को साकार कर रहे हैं. रामसागर एसबीआई बैंक में बतौर ब्रांच मैनेजर में कार्यरत थे, लेकिन पीएम मोदी के मन की बात सुन कर उन्हें प्रेरणा जगी की स्वरोजगार करने के अलावे अन्य लोगों को भी रोजागर से जोड़ें. आज उन्होंने खादी के कपड़ों का उत्पाद कर और सूत कटाई के जरिए 70 महिलाओं को रोजगार दिया है. इसके साथ ग्रामोद्योग के सामान जिसमें हल्दी, साबुन, टूथपेस्ट जैसे अन्य सामान बनाए जाते हैं. जिसमें सैकड़ो लोगों को रोजगार दिया गया है.

5 साल पहले की थी शुरुआतः राम सागर यादव के मुताबिक वे और उनके पार्टनर नागेन्द्र कुमार ने आज से 5 साल पहले चंपारण के भीतहरवा गांव का दौरा किया था. जहां पर गांधी ने अपनी चंपारण यात्रा की शुरुआत की थी. इस जगह का दौरा करने के बाद उनके मन में भी खादी के प्रति और महिलाओं को रोजगार देने के प्रति एक विचार आया. उसके बाद उन्होंने खादी पर काम करना शुरू किया. वे पीएम मोदी के खादी ग्रामोद्योग के विचार से इस कदर प्रेरित हुए कि उन्होंने खुद की कंपनी की शुरुआत कर दी.

कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग में काम करती महिला
कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग में काम करती महिला

"सरकारी संस्थान से रुई लेकर आते हैं. जिससे सूत की कताई की जाती है. फिर इससे धागा बनाया जाता है और धागा बनाने के बाद इससे खादी के डिज़ाइनर कपड़े का निर्माण किया जाता है. आज अपनी कंपनी में खादी के शर्ट पैंट, जैकेट, कोट, शॉल से लेकर डिजाइनर कुर्ती और हैंडमेड कपड़े के सामान का निर्माण किया जाता है. खादी के उत्पाद और ग्रामोद्योग के जरिए हमारी कंपनी के द्वारा साबुन, टूथपेस्ट, मेटल के बर्तन, हल्दी जैसे घरेलू उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं. जिसके जरिए सैकड़ों लोगों को रोजगार दिया गया है"- राम सागर यादव, मालिक, कुशग्राम खादी ग्रामोद्योग संस्थान

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