गोपालगंज: जिला मुख्यालय से करीब 28 किलो मीटर दूर हथुआ प्रखण्ड का बरवा कपरपूरा के राजकीय मध्य विद्यालय चर्चा का विषय बना है. दरअसल नए प्राचार्य के आने के बाद स्कूल में आमूलचूल परिवर्तन आया है. आज ये विद्यालय अपने इलाके में आदर्श विद्यालय के रूप में जाना जाता है.
स्कूल में नहीं था अनुशासन
स्कूल की स्थापना वर्ष 1975 में हुई थी. इसके बाद आसपास के बच्चे यहां पढ़ने आते थे. लेकिन स्कूल में अनुशासन नहीं था. बच्चे अपनी मर्जी से आते-जाते थे. ना तो स्कूल में पंखे थे ना ही पीने का साफ पानी. चारों ओर गंदगी फैली रहती थी. 2018 तक ये सिलसिला चलता रहा. फरवरी 2018 में स्कूल में वर्तमान प्रिंसिपल सुभाष चन्द्र सिंह ने अपना योगदान दिया और फिर इसके बाद की कहानी मिसाल बन गई.
बेहतर मैनेजमेंट से बदली स्कूल की काया
प्रिंसिपल ने बेहतर मैनेजमेंट से स्कूल की काया पलट कर दी. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 395 जबकि शिक्षकों की संख्या 14 है. यहां मैनेजमेंट स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित है. शुद्ध और ताजी हवा के साथ ही ठंडी हवा के लिए एक से बढ़कर एक पेड़ लगाए गए हैं. स्कूल परिसर में बागवानी की गई है. तरह तरह के फूल और क्रोटन के पौधे लगाए गए हैं. साफ सफाई पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.
'विद्यालय की तस्वीर बदल कर ही लेंगे दम'
प्राचार्य सुभाषचंद्र बताते हैं कि जब उन्होंने इस विद्यालय में योगदान दिया तब यहां की हालत अच्छी नहीं थी. इसपर उनके मन मे कई तरह के ख्याल आए. तब इन्होंने यह ठान लिया कि इस विद्यालय की तस्वीर बदल कर ही दम लेंगे. छात्र-छात्राओं को अच्छे माहौल में शिक्षा दी जाएगी. प्राचार्य की पहल पर हर क्लास में पंखे और शिक्षकों की मदद से आरओ मशीन भी लगाए गए हैं. अक्सर बेहतर शिक्षा देने के लिए प्राचार्य शिक्षकों से चर्चा भी करते हैं.