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गोपालगंज: सिर्फ हाजिरी लगाने आते हैं डॉक्टर और कर्मी, अस्पताल से सुविधाएं भी हैं नदारद - गोपालगंज का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

ग्रामीणों का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्स हर वक्त नहीं मौजूद रहते. इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त दवाएं नहीं मिलती. साथ ही अस्पताल में शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था भी नदारद है.

गोपालगंज का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
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Published : Nov 7, 2019, 12:27 PM IST

गोपालगंज: जिले के बथुआ बाजार स्थित फुलवरिया गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत खराब है. डाक्टरों की घोर कमी से जूझ रहे इस अस्पताल के ओपीडी कक्ष में ताले लटके पड़े हैं. साथ ही मरीजों को पर्याप्त दवाएं नहीं मिलती. ऐसे में लोगों को किसी निजी अस्पताल या गोपालगंज सदर अस्पताल का रुख करना पड़ता है.

अस्पताल में है सुविधाओं की घोर कमी
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी साफ तौर पर देखने को मिलती है. ग्रामीणों का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्स हर वक्त नहीं मौजूद रहते. उनका कोई टाइम-टेबल नहीं है. इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त दवाएं नहीं मिलती. मरीजों को पटना, गोरखपुर या गोपालगंज सदर अस्पताल इलाज के लिए जाना पड़ता है. यही नहीं अस्पताल में शौचालय भी नहीं है. साथ ही पीने के पानी की व्यवस्था नदारद है.

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं हैं नदारद

समय के साथ-साथ अस्पताल हुआ बदहाल
बथुआ बाजार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना 1963 में हुई थी. तब इस स्वास्थ्य केंद्र में छोटे पैमाने पर इलाज किया जाता था. जिसके बाद इसको अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बदल दिया गया. यह अस्पताल लोगों को आसानी से स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए बनाया गया था. लेकिन बदलते समय के साथ-साथ यह अस्पताल बदहाली के आंसू रोने लगा. इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 बेड हैं, कुल 2 डॉक्टर और करीब 7 स्वास्थ्यकर्मी हैं. बावजूद इसके स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहता है.

primary health center worsens in gopalganj
मुख्यमंत्री की ओर से शिलान्यास किए जाने वाले अस्पताल की हालत जर्जर

30 बेड वाला अस्पताल नहीं बन सका है पूरा
साल 2006 में स्थानीय लोगों के नाम पर इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बगल में मुख्यमंत्री ने 30 बेड वाला अस्पताल खोलने के लिए शिलान्यास किया था. जिसके बाद काम शुरू भी कर दिया था. ऐसे में लोगों को यह उम्मीद जगी कि अब स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य व्यवस्था और बेहतर मिलेगी. लेकिन साल 2009 में किसी कारण से इसका निर्माण बंद हो गया. अब यह अधूरा भवन जर्जर स्थिति में बड़ी-बड़ी झाड़ियों के बीच घिरा हुआ है.

गोपालगंज: जिले के बथुआ बाजार स्थित फुलवरिया गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत खराब है. डाक्टरों की घोर कमी से जूझ रहे इस अस्पताल के ओपीडी कक्ष में ताले लटके पड़े हैं. साथ ही मरीजों को पर्याप्त दवाएं नहीं मिलती. ऐसे में लोगों को किसी निजी अस्पताल या गोपालगंज सदर अस्पताल का रुख करना पड़ता है.

अस्पताल में है सुविधाओं की घोर कमी
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी साफ तौर पर देखने को मिलती है. ग्रामीणों का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्स हर वक्त नहीं मौजूद रहते. उनका कोई टाइम-टेबल नहीं है. इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त दवाएं नहीं मिलती. मरीजों को पटना, गोरखपुर या गोपालगंज सदर अस्पताल इलाज के लिए जाना पड़ता है. यही नहीं अस्पताल में शौचालय भी नहीं है. साथ ही पीने के पानी की व्यवस्था नदारद है.

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं हैं नदारद

समय के साथ-साथ अस्पताल हुआ बदहाल
बथुआ बाजार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना 1963 में हुई थी. तब इस स्वास्थ्य केंद्र में छोटे पैमाने पर इलाज किया जाता था. जिसके बाद इसको अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बदल दिया गया. यह अस्पताल लोगों को आसानी से स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए बनाया गया था. लेकिन बदलते समय के साथ-साथ यह अस्पताल बदहाली के आंसू रोने लगा. इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 बेड हैं, कुल 2 डॉक्टर और करीब 7 स्वास्थ्यकर्मी हैं. बावजूद इसके स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहता है.

primary health center worsens in gopalganj
मुख्यमंत्री की ओर से शिलान्यास किए जाने वाले अस्पताल की हालत जर्जर

30 बेड वाला अस्पताल नहीं बन सका है पूरा
साल 2006 में स्थानीय लोगों के नाम पर इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बगल में मुख्यमंत्री ने 30 बेड वाला अस्पताल खोलने के लिए शिलान्यास किया था. जिसके बाद काम शुरू भी कर दिया था. ऐसे में लोगों को यह उम्मीद जगी कि अब स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य व्यवस्था और बेहतर मिलेगी. लेकिन साल 2009 में किसी कारण से इसका निर्माण बंद हो गया. अब यह अधूरा भवन जर्जर स्थिति में बड़ी-बड़ी झाड़ियों के बीच घिरा हुआ है.

Intro:सुबह के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतरी के लिए चाहे जितने दावे करें पर जमीनी स्तर पर सारे दावे दम तोड़ती नजर आ रही हैं गोपालगंज जिले के स्वास्थ्य केंद्रों की तो ऐसी बदहाली है जहां डाक्टरों के अभाव के हैं या स्वास्थ्य की लापरवाही के कारण स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटक गई हैं


Body:सुबह के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतरी के लिए चाहे जितने भी दावे पेश कर ले लेकिन उनके दावे जमीनी स्तर पर दम तोड़ती नजर आती है। अगर बात करें गोपालगंज जिले के स्वास्थ्य केंद्रों की तो कई ऐसे स्वास्थ्य केंद्र हैं जो बदहाली का दंश झेल रहा है ।जहां डाक्टरों के अभाव कहे या स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटक गई है । हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 30 किलोमीटर दूर बथुआ बाजार के पास बने अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जहां डाक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के मनमानी साफ तौर पर देखने को मिलती है । इस प्राथमिक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना 1963 में हुई थी तब यह स्वास्थ्य केंद्र छोटे पैमाने पर इलाज किया जाता था । इसके बाद स्वास्थ्य केंद्र को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित कर दिया गया। ताकि यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा आसानी से मिल सके लेकिन बदलते समय के अनुसार आज यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाली के स्थिति में है इस 6 बेड वाले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 2 डॉक्टर के अलावे करीब 7 स्वास्थ्यकर्मी हैं । बावजूद इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहता है इस केंद्र के दीवारों पर मोटे मोटे अक्षरों में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि अब ऐसे में जब यहां ताला ही लगा है तो फिर मरीजों के इलाज कैसे होगा और मरीज कैसे स्वस्थ रह सकते हैं । स्थानीय लोगों के नाम पर इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बगल में 30 बेड वाला अस्पताल खोले जाने के लिए सुबह के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2006 में स्टेडियम में से इस अस्पताल का शिलान्यास किया था । इसके बाद इस अस्पताल में काम शुरू हुआ तब यहां के 15000 की आबादी को यह उम्मीद जगी कि अब स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर मिलेगी लेकिन उनकी यह उम्मीद बहुत दिनों तक नहीं दे रही और वर्ष 2009 में किसी कारण बस इसका निर्माण थप्पड़ गया अब इस नवनिर्मित अधूरे भवन में बड़े-बड़े झाड़ियां उग आए हैं झाड़ियों में पूरा भवन ढक गया है लेकिन आज तक इस में काम नहीं लग सके । अब ऐसे में यहां के लोगों को इस एकलौता अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर भी चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त दवा नहीं मिलती मरीजों को पटना गोरखपुर या गोपालगंज सदर अस्पताल पर ही निर्भर होना पड़ता है । या फिर यहां मरीजों को भर्ती कर इलाज करने की कोई व्यवस्था नहीं है गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने के लिए बना है लेकिन आज तक एक भी महिला का प्रसव नहीं कराया गया प्रसव के लिए यहां कोई व्यवस्था विभाग द्वारा अब तक नहीं की गई है यहां शौचालय भी नहीं है तथा पीने के लिए पानी का नल भी नहीं है इलाज कराने आने वाले मरीजों खास करके महिलाओं को सो जाने में परेशानी होती है तथा उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है ग्रामीणों ने यह भी बताया कि यहां एक भी महिला प्रसव नहीं कराया गया है


Conclusion:NA

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