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जहां कभी बनाई जाती थी आजादी के लिए रणनीतियां, आज हो रहा सरकारी उपेक्षा का शिकार

प्रखंड कार्यालय से सटे 1 किलोमीटर उत्तर स्थित आश्रम आजादी के इतिहास को बयां करता है. आश्रम की नींव गुलाम भारत में संस्कृत विद्यास्थली के रूप में पड़ी थी.आश्रम 1942 में आजादी के लिए मिशन स्थल बन चुका था.

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Published : Jan 27, 2020, 8:04 AM IST

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गोपालगंजः जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर बरौली प्रखंड के प्रखंड कार्यालय के पास स्थित है प्रेम नगर आश्रम. जो गुलामी और आजादी के बीच की गाथाओं को बयां करता है. यह कभी आजादी के दीवानों का पनाहगार हुआ करता था. इसके साथ ही यहां आजादी के लिए होने वाली जंग की नीतियां बनाई जाती थी. लेकिन आज यह सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

चंपारण सत्याग्रह के लिए बनाई गई थी रणनीति
कालांतर में भारत मां के लिए उपासना करता यह पावन स्थल आज संतो के लिए उपासना स्थल बन गया है. आश्रम के संत स्वामी नित्यानंद जी महाराज ने बताया कि यह जगह काफी महत्वपूर्ण है. यहां पर आजादी की लड़ाई के लिए रणनीतियां बनती थी. उन्होंने बताया कि यहां महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस भी आए थे. नित्यानंद जी महाराज ने बताया कि चंपारण सत्याग्रह के लिए भी यहां रणनीति बनाई गई थी.

प्रेम नगर आश्रम में कभी बनाई जाती थी आजादी के लिए रणनीतियां

संस्कृत विद्या स्थली
प्रखंड कार्यालय से सटे 1 किलोमीटर उत्तर स्थित आश्रम आजादी के इतिहास को बयां करता है. आश्रम की नींव गुलाम भारत में संस्कृत विद्या स्थली के रूप में पड़ी थी. तब यहां के संत संदर्शी सम्प्रदाय के संत शिरोमणी श्री दहाड़ी दास जी महाराज थे. इसके बाद इस विद्या स्थली की बागडोर संत विज्ञानानंद जी महाराज उर्फ ब्रह्मचारी जी ने संभाली. उनके अंदर भी देश प्रेम की भावना कूट कूट कर भरी थी. वैसे तो यहां संस्कृत की शिक्षा दी जाती थी लेकिन 1940 से ही आजादी की ज्वाला महाराज जी के मन में धधक रही थी.

आश्रम में बनाए जाते थे बम और बंदूक
आश्रम 1942 में आजादी के लिए मिशन स्थल बन चुका था. यहां आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ नीतियां, बम और बंदूक बनने लगे थे. आजादी के दीवानों में कमला राय हो या उमाकांत शुक्ला, किशुन कुंवर, चंद्रमा कोइरी, दीनानाथ तिवारी, सूर्य देव शर्मा, श्याम बहादुर तिवारी, बटुकेश्वर पांडे, मोहन पांडे, सरयू सिंह, मंगल चौबे, रामजी सिंह, भोज कानू सहित दर्जनों रणबांकुरों ने यहां से जंग की सीख ली और भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े.

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प्रेम नगर आश्रम

भारत छोड़ो आंदोलन
19 अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की आग की लपटें जब आश्रम से निकली तो आजादी के दीवानों ने बरौली थाना को जला डाला, रेल लाईन को उखाड़ दिया. उस समय यह आश्रम अंग्रेजों के आंखों की किरकिरी बन गई थी. जिस वजह से ब्रह्मचारी जी को भूमिगत होना पड़ा. लेकिन एक बार आजादी के लिए जली मशाल आजादी मिलने तक कभी नहीं बुझी.

गोपालगंजः जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर बरौली प्रखंड के प्रखंड कार्यालय के पास स्थित है प्रेम नगर आश्रम. जो गुलामी और आजादी के बीच की गाथाओं को बयां करता है. यह कभी आजादी के दीवानों का पनाहगार हुआ करता था. इसके साथ ही यहां आजादी के लिए होने वाली जंग की नीतियां बनाई जाती थी. लेकिन आज यह सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

चंपारण सत्याग्रह के लिए बनाई गई थी रणनीति
कालांतर में भारत मां के लिए उपासना करता यह पावन स्थल आज संतो के लिए उपासना स्थल बन गया है. आश्रम के संत स्वामी नित्यानंद जी महाराज ने बताया कि यह जगह काफी महत्वपूर्ण है. यहां पर आजादी की लड़ाई के लिए रणनीतियां बनती थी. उन्होंने बताया कि यहां महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस भी आए थे. नित्यानंद जी महाराज ने बताया कि चंपारण सत्याग्रह के लिए भी यहां रणनीति बनाई गई थी.

प्रेम नगर आश्रम में कभी बनाई जाती थी आजादी के लिए रणनीतियां

संस्कृत विद्या स्थली
प्रखंड कार्यालय से सटे 1 किलोमीटर उत्तर स्थित आश्रम आजादी के इतिहास को बयां करता है. आश्रम की नींव गुलाम भारत में संस्कृत विद्या स्थली के रूप में पड़ी थी. तब यहां के संत संदर्शी सम्प्रदाय के संत शिरोमणी श्री दहाड़ी दास जी महाराज थे. इसके बाद इस विद्या स्थली की बागडोर संत विज्ञानानंद जी महाराज उर्फ ब्रह्मचारी जी ने संभाली. उनके अंदर भी देश प्रेम की भावना कूट कूट कर भरी थी. वैसे तो यहां संस्कृत की शिक्षा दी जाती थी लेकिन 1940 से ही आजादी की ज्वाला महाराज जी के मन में धधक रही थी.

आश्रम में बनाए जाते थे बम और बंदूक
आश्रम 1942 में आजादी के लिए मिशन स्थल बन चुका था. यहां आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ नीतियां, बम और बंदूक बनने लगे थे. आजादी के दीवानों में कमला राय हो या उमाकांत शुक्ला, किशुन कुंवर, चंद्रमा कोइरी, दीनानाथ तिवारी, सूर्य देव शर्मा, श्याम बहादुर तिवारी, बटुकेश्वर पांडे, मोहन पांडे, सरयू सिंह, मंगल चौबे, रामजी सिंह, भोज कानू सहित दर्जनों रणबांकुरों ने यहां से जंग की सीख ली और भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े.

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प्रेम नगर आश्रम

भारत छोड़ो आंदोलन
19 अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की आग की लपटें जब आश्रम से निकली तो आजादी के दीवानों ने बरौली थाना को जला डाला, रेल लाईन को उखाड़ दिया. उस समय यह आश्रम अंग्रेजों के आंखों की किरकिरी बन गई थी. जिस वजह से ब्रह्मचारी जी को भूमिगत होना पड़ा. लेकिन एक बार आजादी के लिए जली मशाल आजादी मिलने तक कभी नहीं बुझी.

Intro:प्रेम नगर आश्रम जहाँ अंग्रेजों के खिलाफ बनती थी, रणनीतिया
----- कई आजादी के दीवाने यहां बनाया था अपना पनाहगार

गोपालगंज।पूरा देश जहाँ 71वें गणतंत्र दिवस को धूम धाम से मनाकर वीर सपूतों को याद कर रहा है वही गोपालगंज जिले में भी कई ऐसे वीर सपूत हुए जो आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाये थे। ये वीर सपूत अपना ठिकाना भी कई ऐसे जगहों को बनाये थे जो आज उन वीर वांकुडो की याद दिलाती है।



Body:आज पूरा देश गणतंत्र दिवस के जश्न से सराबोर होगा। आज की युवा पीढ़ी पुरखों की कमाई गई धरोहर को याद कर कई संकल्प लेगी। जश्न ए आजादी जश्न को हमारे जिले के कई स्थल न सिर्फ देख रहा है बल्कि गुलामी और आज़ादी के बीच की गाथाओं को बयां कर रहा है। इसमें से एक स्थल है, गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 30 किलो मीटर दूर बरौली प्रखण्ड के प्रखण्ड कार्यालय के पास स्थित प्रेम नगर आश्रम। जो न सिर्फ आजादी के दीवानों का पनाहगार हुआ करता था । बल्कि अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने तथा जंगे ए आजादी की नीतियां यहां बनती थी। प्रखंड कार्यालय से सटे 1 किलोमीटर उत्तर स्थिति आश्रम गणतंत्र 71 वे गणतंत्र दिवस के जश्न ए आजादी संजोए इतिहास को बयां कर रहा है। आश्रम की नींव गुलाम भारत में संस्कृत विद्या स्थली के रूप में पड़ी थी। तब यह के संत संदर्शी सम्प्रदाय के संत शिरोमणी श्री दहाड़ी दास जी महाराज थे। इसके बाद इस विद्या स्थली की बागडोर संत विज्ञानानंद जी महाराज उर्फ ब्रह्मचारी जी संभाली। उनके अंदर भी देश प्रेम की भावना कूट कूट कर भरी थी। वैसे तो यहां संस्कृति की शिक्षा दी जाती थी लेकिन 1940 से ही आजादी की ज्वाला महाराज जी के मन मे धधक रही थी। 1942 आते आते आश्रम के आजादी के लिए मिशन स्थल बन चुका था। और सजने लगी थी आजादी के दीवानों की महफ़िल साथ ही बनने लगी अंग्रेजों के खिलाफ नीतियां। आश्रम में बम और बंदूक भी बनने लगी। आजादी के दीवानों में कमला राय हो या उमाकांत शुक्ला,किशुन कुंवर, चंद्रमा कोइरी,दीनानाथ तिवारी,सूर्य देव शर्मा, श्याम बहादुर तिवारी, बटुकेश्वर पांडे,मोहन पांडे,सरयू सिंह, मंगल चौबे, रामजी सिंह, भोज कानू सहित दर्जनों रणबांकुरे यहां से जंग की सीख ली और भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। 19 अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की आग की लपट जब आश्रम से निकली तो आज़ादी के दीवानों ने बरौली थाना को जला डाला रेल लाईन को उखाड़ दिया। उस समय यह आश्रम अंग्रेजों के आंखों की किरकिरी बन गया था। ब्रह्मचारी जी को भूमिगत होना पड़ा। लेकिन एक बार आजादी के लिए जली मशाल आजादी मिलने तक कभी बुझी नही। यह कालांतर में भारत मां के लिए उपासना करता यह पावन स्थल आज सन्तो के लिए उपासना स्थली है। इस संदर्भ में आश्रम में मौजूद सन्त स्वामी नित्यानंद जी महाराज ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। यहां पर आजादी की लड़ाई के लिए रणनीतिया बनती थी। कई ऐसे बीर सपूतों का यह पनाहगाह हुआ करता था। इस स्थान पर महात्मा गांधी सुबास चन्द्र बोष भी आये थे और चंपारण सत्याग्रह के लिए भी यहां रणनीतिक बनी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि यहां विवेकानंद भी आये थे और एक रात यहां गुजारे थे।

बाइट-स्वामी नित्यानंद जी महाराज, आश्रम के महन्त




Conclusion:देश को आजाद करने में गोपालगंज जिले के भी दर्जनों से ज्यादा वीर बाँकुड़ा हुए जी अंगेजो के खिलाफ लोहा लेकर वीर गति को प्राप्त हुए साथ ही प्रेम नगर आश्रम भी उस इतिहास का गवाह है जहां अंगेजो के खिलाफ हमारे वीर योद्धाओं ने रणनीति बनाकर अंगेजो को छक्के छुड़ाये थे लेकिन ऐसे स्थान को सरकार द्वारा उपेक्षित किया जाता है।
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