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Bihar Politics: 'CM नीतीश मेरी सलाह मानते तो कोरोना काल में पैदल नहीं चलते बिहार के लोग'- प्रशांत किशोर - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार के गोपालगंज में प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा (Prashant Kishor Jan Suraj Padyatra in Gopalganj) का 114वां दिन पूरा हो चुका है. अब वह यात्रा की शुरुआत जिले के थावे प्रखंड अंतर्गत धतीवाना पंचायत से करेंगे. इस बीच मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोराना काल में अगर मुख्यमंत्री मेरी सलाह मान लेते तो बिहार के लोग अन्य राज्यों से सड़कों पर पैदल नहीं चलते.

जन सुराज पदयात्रा पर प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा पर प्रशांत किशोर
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Published : Jan 24, 2023, 2:36 PM IST

प्रशांत किशोर का नीतीश पर निशाना

गोपालगंज: प्रशांत किशोर (Prashant Kishor Jan Suraj Padyatra) ने गोपालगंज में मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोरोना के दौरान हजारों लोगों की मौत हुई. जब बिहार के लोग दर-दर की ठोकर खाकर पूरे भारत से पैदल लौट रहे थे, तब नीतीश कुमार अपने बंगले से नहीं निकल रहे थे. उन बच्चों के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे थे, जो बाहर फंस गए थे. प्रशांत ने कहा कि कोरोना के समय मैंने नीतीश कुमार को फोन किया कि दिल्ली में लड़के फंसे हुए हैं, इसलिए कुछ अफसरों को दिल्ली में बैठा दीजिए ताकि बच्चों को बस के सहारे बिहार लाया जा सके. अगर बिहार सरकार ने दिल्ली में 20 अफसरों को बैठा कर भी 100 बसों की भी व्यवस्था कर दी होती तो यह स्थिति सुधर सकती थी. हालांकि नीतीश कुमार ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया.

पढ़ें-'अगर आप वोट पुलवामा और पाकिस्तान के नाम पर करेंगे तो आपके गांव में सड़क कैसे बनेगी': प्रशांत किशोर

"कोरोना के समय मैंने नीतीश कुमार को फोन किया कि दिल्ली में लड़के फंसे हुए हैं, इसलिए कुछ अफसरों को दिल्ली में बैठा दीजिए ताकि बच्चों को बस के सहारे बिहार लाया जा सके. अगर बिहार सरकार ने दिल्ली में 20 अफसरों को बैठा कर भी 100 बसों की भी व्यवस्था कर दी होती तो यह स्थिति सुधर सकती थी. हालांकि नीतीश कुमार ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया."-प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

शिक्षा व्यवस्था को लेकर नीतीश और लालू पर वार: मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी राज्य की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाए तो उसकी आने वाली दो पीढ़ियां अनपढ़ हो सकती है. पीके ने शिक्षा का महत्व समझाते हुए बताया कि गरीबी से निकलने का एकमात्र साधन शिक्षा है. अपने जीवन का अनुभव साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जैसे हमारे दादा बैलगाड़ी चलाते थे, लेकिन पिताजी मेरे पढ़ाई की तो डॉक्टर बन गए. हम लोग सरकारी स्कूल से पढ़े हैं, तब भी यहां बैठ कर बात कर रहे है. उन्होंने कहा कि यदि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई होगी ही नहीं तो कोई गरीब का बच्चा बिहार में आगे नहीं निकल सकता है. बिहार की यह दुर्दशा इसलिए है क्योंकि समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के नाम पर गुणवत्ता की चिंता, शिक्षकों की चिंता, बच्चों की चिंता किए बिना लालू-नीतीश ने राज्य में सभी जगह स्कूल खोल दिया है.

क्या है जन सुराज का मतलब: जनसभा को संबोधित करते हुए पीके ने कहा कि जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से हमारा प्रयास है की जैसे दही से मथकर मक्खन निकाला जाता है, ठीक वैसे ही समाज से मथकर अच्छे लोगों को निकालना है. पदयात्रा के दौरान हम गांव, पंचायतों में जाकर लोगो से पूछ रहे हैं कि समाज में ऐसे कौन लोग है जो ठग नहीं है. एक बार समाज में ऐसे लोगों को चुनकर निकाल दे तो चाहे वो गरीब हो या अमीर, अगड़ा हो या पिछड़ा, हिन्दू हो या मुसलमान, महिला हो या पुरुष फिर इनके पीछे अपनी ताकत, शक्ति, पैसा लगाकर उन्हें चुनाव लड़वाकर जनता के आशिर्वाद और समर्थन से उन्हें जीता कर लाएंगे. जन सुराज का मतलब समझाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा की जन सुराज मतलब जनता का सुंदर राज है.

प्रशांत किशोर का नीतीश पर निशाना

गोपालगंज: प्रशांत किशोर (Prashant Kishor Jan Suraj Padyatra) ने गोपालगंज में मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोरोना के दौरान हजारों लोगों की मौत हुई. जब बिहार के लोग दर-दर की ठोकर खाकर पूरे भारत से पैदल लौट रहे थे, तब नीतीश कुमार अपने बंगले से नहीं निकल रहे थे. उन बच्चों के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे थे, जो बाहर फंस गए थे. प्रशांत ने कहा कि कोरोना के समय मैंने नीतीश कुमार को फोन किया कि दिल्ली में लड़के फंसे हुए हैं, इसलिए कुछ अफसरों को दिल्ली में बैठा दीजिए ताकि बच्चों को बस के सहारे बिहार लाया जा सके. अगर बिहार सरकार ने दिल्ली में 20 अफसरों को बैठा कर भी 100 बसों की भी व्यवस्था कर दी होती तो यह स्थिति सुधर सकती थी. हालांकि नीतीश कुमार ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया.

पढ़ें-'अगर आप वोट पुलवामा और पाकिस्तान के नाम पर करेंगे तो आपके गांव में सड़क कैसे बनेगी': प्रशांत किशोर

"कोरोना के समय मैंने नीतीश कुमार को फोन किया कि दिल्ली में लड़के फंसे हुए हैं, इसलिए कुछ अफसरों को दिल्ली में बैठा दीजिए ताकि बच्चों को बस के सहारे बिहार लाया जा सके. अगर बिहार सरकार ने दिल्ली में 20 अफसरों को बैठा कर भी 100 बसों की भी व्यवस्था कर दी होती तो यह स्थिति सुधर सकती थी. हालांकि नीतीश कुमार ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया."-प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

शिक्षा व्यवस्था को लेकर नीतीश और लालू पर वार: मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी राज्य की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाए तो उसकी आने वाली दो पीढ़ियां अनपढ़ हो सकती है. पीके ने शिक्षा का महत्व समझाते हुए बताया कि गरीबी से निकलने का एकमात्र साधन शिक्षा है. अपने जीवन का अनुभव साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जैसे हमारे दादा बैलगाड़ी चलाते थे, लेकिन पिताजी मेरे पढ़ाई की तो डॉक्टर बन गए. हम लोग सरकारी स्कूल से पढ़े हैं, तब भी यहां बैठ कर बात कर रहे है. उन्होंने कहा कि यदि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई होगी ही नहीं तो कोई गरीब का बच्चा बिहार में आगे नहीं निकल सकता है. बिहार की यह दुर्दशा इसलिए है क्योंकि समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के नाम पर गुणवत्ता की चिंता, शिक्षकों की चिंता, बच्चों की चिंता किए बिना लालू-नीतीश ने राज्य में सभी जगह स्कूल खोल दिया है.

क्या है जन सुराज का मतलब: जनसभा को संबोधित करते हुए पीके ने कहा कि जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से हमारा प्रयास है की जैसे दही से मथकर मक्खन निकाला जाता है, ठीक वैसे ही समाज से मथकर अच्छे लोगों को निकालना है. पदयात्रा के दौरान हम गांव, पंचायतों में जाकर लोगो से पूछ रहे हैं कि समाज में ऐसे कौन लोग है जो ठग नहीं है. एक बार समाज में ऐसे लोगों को चुनकर निकाल दे तो चाहे वो गरीब हो या अमीर, अगड़ा हो या पिछड़ा, हिन्दू हो या मुसलमान, महिला हो या पुरुष फिर इनके पीछे अपनी ताकत, शक्ति, पैसा लगाकर उन्हें चुनाव लड़वाकर जनता के आशिर्वाद और समर्थन से उन्हें जीता कर लाएंगे. जन सुराज का मतलब समझाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा की जन सुराज मतलब जनता का सुंदर राज है.

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