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रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में 8 महीने से बंद पड़ा है अल्ट्रासाउंड सेंटर

विभाग के इंचार्ज नियाज अहमद ने बताया कि सेंटर में संजय सिंह नाम के रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती की गई थी. सेंटर कुछ महीनों तक ठीक ठाक चला लेकिन संजय का प्रमोशन होने के बाद वह यहां से चले गए. उनके यहां से जाने के 8 महीने बाद से यह सेंटर बंद पड़ा है.

अल्ट्रासाउंड सेंटर
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Published : Oct 11, 2019, 1:06 PM IST

Updated : Oct 11, 2019, 3:02 PM IST

गोपालगंज: केन्द्र और राज्य सरकार बेहतर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर रही हैं. इसके बावजूद सूबे के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी बानगी गोपालगंज सदर अस्पताल में देखी जा सकती है. जहां अल्ट्रासाउंड सेंटर तो है लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के चलते, मरीजों को बाहर से मंहगे दामों पर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है. वहीं, स्वास्थ्य महकमे की कुम्भकर्णीय नींद है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही है.

Gopalganj
बंद पड़ी अल्ट्रासाउंड मशीन

मंहगे दामों पर अल्ट्रासाउंड करा रहे मरीज

सदर अस्पताल में मरीजों को मुफ्त अल्ट्रासाउंड सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सेंटर खोला गया था. विभाग के इंचार्ज नियाज अहमद ने बताया कि सेंटर में संजय सिंह नाम के रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती की गई थी. सेंटर कुछ महीनों तक ठीक ठाक चला लेकिन संजय का प्रमोशन होने के बाद वह यहां से चले गए. उनके यहां से जाने के 8 महीने से यह सेंटर बंद पड़ा है. वहीं, सेंटर बंद होने के चलते यहां आने वाले मरीजों को बाहर से 500 से 800 रूपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है.

रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में बंद पड़ा अल्ट्रासाउंड सेंटर

अल्ट्रासाउंड के लिए चल रही ट्रेनिंग
अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉक्टर सोनम ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था है. इसके लिए ट्रेनिंग भी चल रही है. लेकिन अभी यह सुविधा मरीजों को नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि यहां इलाज कराने वाले लगभग सभी मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जाती है. अब वो कहां से कराते हैं ये मुझे नहीं पता लेकिन अभी यहां अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं.

Gopalganj
इलाज के लिए खड़े मरीज

गोपालगंज: केन्द्र और राज्य सरकार बेहतर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर रही हैं. इसके बावजूद सूबे के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी बानगी गोपालगंज सदर अस्पताल में देखी जा सकती है. जहां अल्ट्रासाउंड सेंटर तो है लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के चलते, मरीजों को बाहर से मंहगे दामों पर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है. वहीं, स्वास्थ्य महकमे की कुम्भकर्णीय नींद है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही है.

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बंद पड़ी अल्ट्रासाउंड मशीन

मंहगे दामों पर अल्ट्रासाउंड करा रहे मरीज

सदर अस्पताल में मरीजों को मुफ्त अल्ट्रासाउंड सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सेंटर खोला गया था. विभाग के इंचार्ज नियाज अहमद ने बताया कि सेंटर में संजय सिंह नाम के रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती की गई थी. सेंटर कुछ महीनों तक ठीक ठाक चला लेकिन संजय का प्रमोशन होने के बाद वह यहां से चले गए. उनके यहां से जाने के 8 महीने से यह सेंटर बंद पड़ा है. वहीं, सेंटर बंद होने के चलते यहां आने वाले मरीजों को बाहर से 500 से 800 रूपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है.

रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में बंद पड़ा अल्ट्रासाउंड सेंटर

अल्ट्रासाउंड के लिए चल रही ट्रेनिंग
अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉक्टर सोनम ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था है. इसके लिए ट्रेनिंग भी चल रही है. लेकिन अभी यह सुविधा मरीजों को नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि यहां इलाज कराने वाले लगभग सभी मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जाती है. अब वो कहां से कराते हैं ये मुझे नहीं पता लेकिन अभी यहां अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं.

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इलाज के लिए खड़े मरीज
Intro:केंद्र से लेकर राज्य सरकार सबो द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के लिए हमेशा ही दम्भ भरती नजर आती है। लेकिन गोपलगंज जिले के सदर अस्पताल की व्यवस्था राम भरोसे है। यहां मरीजो को देने वाली सुविधा वर्षो बाद भी नदारद है। जिसपर स्वस्थ्य महकमा शायद पहल करने की कोशिश नही कर रही है। हम बात कर रहे है, ओपीडी में स्थिति अल्ट्रासाउंड सेंटर की जो एक वर्ष बाद भी शुरू नही हो सकी है। जिससे मरीज प्राइवेट में अल्ट्रासाउंड कराने को बाध्य होते है। ओपीडी में बंद बड़े इस केंद्र की शुरुआत करने की पहले आज से करीब एक वर्ष पहले की गई थी। इसके लिए एक कमरा में केंद्र खोलने के लिए रूम के बाहर मोटे मोटे अक्षरों में अल्ट्रासाउंड भी लिखा गया था। ताकि मरीज को इस केंद्र तक पहुंचने में परेशानी नही हो। इसके बाद लाखो रुपये के अल्ट्रासाउंड मशीन मंगवाई गई। लेकिन दुर्भाग्य से इस मशीन पर लगे प्लास्टिक ज्यो का त्यों लगा रह गया। लेकिन आज तक यानी एक वर्ष बाद भी इस मशीन पर से प्लास्टिक नही हट सकी अब यह मशीन भी खुद के उद्धार के लिए तरस रहा है। अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नही मिलने के कारण यहां इलाज कराने आने वाले मरीज बाहर के अल्ट्रासाउंड पर निर्भर रहते है। जिन्हें निजी सेंटर वाले 5 सौ से लेकर 8 सौ रुपये लेते है। जिससे निजी अल्ट्रासाउंड वालो की भी चांदी रहता है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिला को होती है जिन्हें डॉक्टरों द्वारा अल्ट्रासाउंड कराने के लिए सलाह दी जाती है। आर्थिक रूप से सम्पन्न मरीज तो किसी तरह अपना अल्ट्रासाउंड करवा लेते है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक रूप से कमजोर मरीजो को होती है जो अल्ट्रासाउंड के फी वहन करने में सक्षम नही होते है। ईटीवी भारत की टीम जब सदर अस्पताल के ओपीडी पहुंची तो लोगो ने अपनी दुखड़ा सुनाई। वही इस संदर्भ में जब अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक डॉ पूनम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यहां अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था मौजूद है और इसके लिए ट्रेनिंग भी शुरू है लेकिन अभी यह सुविधा मरीजो को नही मिल।रही है। यहां इलाज कराने आने वाली लगभग सभी मरीजो को अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जाती है अब वो कहा से कराती है मुझे नही पता लेकिन यहां अल्ट्रासाउंड नही हो रहे है। वही विभाग के इंचार्ज न्याज अहमद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यहां संजय कुमार नामक टेक्नीशियन मौजूद थे लेकिन उनकी पदोन्नति हो जाने के कारण यह बंद पड़ा है।




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Last Updated : Oct 11, 2019, 3:02 PM IST
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