गोपालगंज: एक तरफ सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे कर रही है. दूसरी तरफ गांव के विद्यालय इन दावों की पोल खोल रहे हैं. जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के पांडेय परसौनी गांव में जान हथेली पर रख रेलवे लाइन पार कर बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से उनके लिए आजतक किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई है.
स्कूल जाने के लिए नहीं है कोई रास्ता
इस स्कूल में पहुंचने के लिए कोई उचित रास्ता नहीं है. यही कारण है कि बच्चे रेलवे लाइन को ही अपना रास्ता बना कर स्कूल पहुंचते हैं. इन बच्चों को यह भी पता नहीं होता है कि सामने से कब कौन सी ट्रेन आ जाएगी.
खतरनाक चचरी का पुल
हालांकि इन बच्चों के लिए स्कूल के प्रिंसिपल ने बांस की चचरी का पुल बनवाया है, लेकिन वह भी उनके लिए खतरे से खाली नहीं है. उस पुल पर चलने से बच्चों को डर लगता है कि कहीं पुल टूट न जाए और वो पानी में न गिर पड़ें.
2006 में हुआ था स्कूल का निर्माण
गांव की आबादी से दूर बीच खेत में और रेलवे लाइन के ठीक बगल में नवसृजित प्राथमिक स्कूल का निर्माण वर्ष 2006 में हुआ था. स्कूल तो बन गया, लेकिन इस स्कूल में बच्चे कैसे पहुंचेंगे इसकी चिंता किसी ने नहीं की. तब से लेकर आज तक यह स्कूल सड़क विहीन है. बच्चे जैसे-तैसे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं.
150 छात्रों के लिए 5 शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय पहुंचने के लिए बच्चों को एक किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. इस विद्यालय में करीब 150 छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं और इनके लिए यहां मात्र पांच शिक्षक उपस्थित होते हैं. इस गांव में दूसरा कोई अन्य प्राथमिक विद्यालय नहीं होने के कारण यहां अधिकतर दलित-महादलित के बच्चे पढ़ने आते हैं.
बच्चों ने बताई अपनी समस्या
स्कूल के बच्चों की मानें तो उन्हें दो तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है. रेलवे ट्रैक पार करते वक्त उन्हें डर सताता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए. दूसरा उन्हें चचरी पुल पार करते वक्त भी उसके टूटने का डर लगा रहता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, स्कूल के प्राचार्य अजय मिश्रा ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए बताया कि यहां करीब 150 बच्चे प्रतिदिन आते हैं. रेलवे ट्रैक पार कर आना उनकी मजबूरी है. इसलिए बच्चों को हिदायत दी जाती है कि सावधानी से वे स्कूल पहुंचे. वहीं, इस संदर्भ में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.