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मानवता की मिसाल: बेसहारों का सहारा और लावारिसों के वारिस बने गोपालगंज के नवीन श्रीवास्तव

गोपालगंज जिले के माणिकपुर गांव निवासी सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले शिक्षक कोरोना काल में बेसहारों का सहारा और लवारिसों के वारिस बन मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

गोपालगंज
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Published : May 23, 2021, 9:11 PM IST

Updated : May 23, 2021, 10:33 PM IST

गोपालगंज: जिले में कोरोना महामारी में लगातार हो रही मौत के बीच हर कोई अपनी जिंदगी ढूंढ रहा है. समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलना, ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेडों का ना मिलना समेत तमाम तरह की असुविधाओं को देख पूरे राज्य के लोगों में भय का माहौल है. इतना ही नहीं इस कोरोना महामारी में अपने भी अपनों का साथ छोड़ कर मानवता को कलंकित कर रहे हैं. लेकिन, आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे भी बिरले हैं, जो अंजान लोगों के लिए अपना बनकर सामने आते हैं.

ये भी पढ़ें- बिहार में लॉकडाउन का असर: बेरोजगारी दर में इजाफा, कई क्षेत्रों के लाखों लोग प्रभावित

इंसानियत अभी जिंदा है..
बिरले लोगों में नवीन श्रीवास्तव ऐसे ही एक नाम हैं. नवीन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. लावारिस शव का वारिस बनकर कई दशकों से निःस्वार्थ भाव से शव का दाह संस्कार करते रहे हैं. वहीं, कोरोना काल में बेसहारा, लाचार और जरूतमन्दों के बीच पहुंचकर उन्होंने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि ये किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं.

बेसहारों का सहारा बने नवीन
जिले के सदर प्रखंड के माणिकपुर गांव निवासी सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले शिक्षक कोरोना काल में बेसहारों का सहारा और लावारिसों के वारिस बन मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं. नवीन खुद एम्बुलेंस चलाकर लोगों के बीच स्वास्थ्य सुविधा पहुंचा कर जान बचा रहे हैं, जिससे कई मरीज आज स्वस्थ्य होकर हंसी खुशी अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं.

मानवता की मिसाल
मानवता की मिसाल

स्वास्थ्य सुविधाएं करवा रहे मुहैया
इस कोरोना महामारी में सकारात्मक सोच लिए लगातार गरीबों और असहाय लोगों तक एंबुलेंस से लेकर ऑक्सीजन तक कि सुविधा पहुंचा रहे हैं. नवीन अपनी कमाई का सारा पैसा इस कोरोना महामारी में असहायों और जरूरतमन्दों की मदद में लगा रहे हैं. जरूरतमन्दों के एक फोन की घंटी बजते ही ये ऑक्सीजन के साथ एंबुलेंस लेकर उसके पास पहुंच जाते हैं और तब तक उनकी मदद करते हैं, जब तक वह स्वस्थ्य होकर अपने परिवार के साथ रहने न लगें. इतना ही नहीं अगर किसी की कोरोना से मौत हो जाने पर अपने मुंह मोड़ ले रहे हैं, ऐसे में ये उनका दाह संस्कार भी करते हैं.

ये भी पढ़ें- विपक्ष का आरोप: सरकार नहीं कर रही ब्लैक फंगस से निपटने की तैयारी, महामारी घोषित करने में हुई देर

लोगों को दे रहे नई जिंदगी
दरअसल, जब सदर प्रखंड के काकड़कुण्ड गांव निवासी सनेशर साह को सांस लेने में परेशानी हुई. चार पुत्री के साथ अपने आप को अकेली पाकर उसकी पत्नी के आंखों के सामने अंधेरा छा गया. पत्नी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करें. ना ही पास में पैसे थे और ना ही एंबुलेंस और सबसे बड़ी चीज की उसके पास ऑक्सीजन भी नहीं थी, ताकि उससे कुछ सहुलियत मिल सके. उस वक्त ऑक्सीजन की काफी किल्लत थी. तभी किसी ने सनेशर की पत्नी को नवीन श्रीवास्तव के बारे में बताया.

इलाके के लोग मान रहे भगवान
जानकारी पाकर वह महिला रोती बिलखती नवीन के पास पहुंची और अपनी आपबीती सुनाई. उसके पति का ऑक्सीजन लेवल महज 55% था. नवीन ने बिना देरी किये अपनी एंबुलेंस पर ऑक्सीजन रखा और महिला के साथ उसके घर पहुंच गए, इसके बाद ऑक्सीजन दिया गया. साथ ही उसे अस्पताल में भर्ती कराया. आज सनेशर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ स्वस्थ्य हैं. उनकी पत्नी और बेटी नवीन को भगवान मान रहे हैं.

बेसहारा के सहारा नवीन श्रीवास्तव
बेसहारा के सहारा नवीन श्रीवास्तव

''नवीन श्रीवास्तव भगवान से कम नहीं हैं, जिन्होंने मेरे पति को नई जिंदगी लौटाई है. साथ ही आर्थिक मदद और खाने पीने का सामान भी दे रहे हैं. उसके गांव के अन्य लोग भी नवीन श्रीवास्तव की सराहना करते नहीं थकते हैं.''- कुंती देवी, स्थानीय

35 से 40 लोगों की बचाई जान
नवीन के द्वारा की गई मदद में अकेले एक सनेशर ही नहीं है, जिसकी उन्होंने जान बचाई है. बल्कि उनके जैसे करीब 35 से 40 लोग हैं, जिन्हें उन्होंने नया जीवन दिया है. नवीन श्रीवास्तव के इस कार्य में उनकी अर्धांगिनी शिल्पी श्रीवास्तव की भी भूमिका कम नहीं है. एक ओर इस कोरोना महामारी में कई महिलाएं अपने पति या बेटे को घर से बाहर नहीं निकलने देना चाहती हैं. वहीं, दूसरी ओर शिल्पी अपने पति के द्वारा किये गए कार्यो की सराहना कर उनका हौसला बढ़ाती हैं.

ये भी पढ़ें- तेजस्वी यादव ने CM नीतीश को तीसरी बार लिखा पत्र, कहा- छीन रहे हैं जनप्रतिनिधियों के अधिकार

''आज गांव की हालत ठीक नहीं है, लोग हॉस्पिटल तक संसाधनों की कमी के कारण देर से पहुंचते हैं. जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता है. जिसको देखते हुए सुदूर गांव के लोगों तक जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचा कर काफी सुकून मिलता है.''- नवीन श्रीवास्तव, मददगार

देखिए ये रिपोर्ट

नवीन श्रीवास्तव की सराहनीय पहल
नवीन इसके पहले भी कोरोना काल में लागू लॉकडाउन के दौरान लोगों के लिए काफी मददगार साबित हुए थे. उस वक्त भी कई लावारिस शव का दाह संस्कार करते रहे. इसी बीच वे कोरोना पॉजिटिव भी हुए, बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और तब भी ईटीवी भारत से कहा था कि ठीक होने के बाद फिर मैं जरूरतमंदों के पास जाऊंगा और उन्हें मदद करने की कोशिश करूंगा.

ये भी पढ़ें- केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने लिया कोरोना का पहला टीका, कहा- 'कोरोना को एकजुट होकर उखाड़ फेकेंगे'

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गोपालगंज: जिले में कोरोना महामारी में लगातार हो रही मौत के बीच हर कोई अपनी जिंदगी ढूंढ रहा है. समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलना, ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेडों का ना मिलना समेत तमाम तरह की असुविधाओं को देख पूरे राज्य के लोगों में भय का माहौल है. इतना ही नहीं इस कोरोना महामारी में अपने भी अपनों का साथ छोड़ कर मानवता को कलंकित कर रहे हैं. लेकिन, आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे भी बिरले हैं, जो अंजान लोगों के लिए अपना बनकर सामने आते हैं.

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इंसानियत अभी जिंदा है..
बिरले लोगों में नवीन श्रीवास्तव ऐसे ही एक नाम हैं. नवीन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. लावारिस शव का वारिस बनकर कई दशकों से निःस्वार्थ भाव से शव का दाह संस्कार करते रहे हैं. वहीं, कोरोना काल में बेसहारा, लाचार और जरूतमन्दों के बीच पहुंचकर उन्होंने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि ये किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं.

बेसहारों का सहारा बने नवीन
जिले के सदर प्रखंड के माणिकपुर गांव निवासी सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले शिक्षक कोरोना काल में बेसहारों का सहारा और लावारिसों के वारिस बन मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं. नवीन खुद एम्बुलेंस चलाकर लोगों के बीच स्वास्थ्य सुविधा पहुंचा कर जान बचा रहे हैं, जिससे कई मरीज आज स्वस्थ्य होकर हंसी खुशी अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं.

मानवता की मिसाल
मानवता की मिसाल

स्वास्थ्य सुविधाएं करवा रहे मुहैया
इस कोरोना महामारी में सकारात्मक सोच लिए लगातार गरीबों और असहाय लोगों तक एंबुलेंस से लेकर ऑक्सीजन तक कि सुविधा पहुंचा रहे हैं. नवीन अपनी कमाई का सारा पैसा इस कोरोना महामारी में असहायों और जरूरतमन्दों की मदद में लगा रहे हैं. जरूरतमन्दों के एक फोन की घंटी बजते ही ये ऑक्सीजन के साथ एंबुलेंस लेकर उसके पास पहुंच जाते हैं और तब तक उनकी मदद करते हैं, जब तक वह स्वस्थ्य होकर अपने परिवार के साथ रहने न लगें. इतना ही नहीं अगर किसी की कोरोना से मौत हो जाने पर अपने मुंह मोड़ ले रहे हैं, ऐसे में ये उनका दाह संस्कार भी करते हैं.

ये भी पढ़ें- विपक्ष का आरोप: सरकार नहीं कर रही ब्लैक फंगस से निपटने की तैयारी, महामारी घोषित करने में हुई देर

लोगों को दे रहे नई जिंदगी
दरअसल, जब सदर प्रखंड के काकड़कुण्ड गांव निवासी सनेशर साह को सांस लेने में परेशानी हुई. चार पुत्री के साथ अपने आप को अकेली पाकर उसकी पत्नी के आंखों के सामने अंधेरा छा गया. पत्नी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करें. ना ही पास में पैसे थे और ना ही एंबुलेंस और सबसे बड़ी चीज की उसके पास ऑक्सीजन भी नहीं थी, ताकि उससे कुछ सहुलियत मिल सके. उस वक्त ऑक्सीजन की काफी किल्लत थी. तभी किसी ने सनेशर की पत्नी को नवीन श्रीवास्तव के बारे में बताया.

इलाके के लोग मान रहे भगवान
जानकारी पाकर वह महिला रोती बिलखती नवीन के पास पहुंची और अपनी आपबीती सुनाई. उसके पति का ऑक्सीजन लेवल महज 55% था. नवीन ने बिना देरी किये अपनी एंबुलेंस पर ऑक्सीजन रखा और महिला के साथ उसके घर पहुंच गए, इसके बाद ऑक्सीजन दिया गया. साथ ही उसे अस्पताल में भर्ती कराया. आज सनेशर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ स्वस्थ्य हैं. उनकी पत्नी और बेटी नवीन को भगवान मान रहे हैं.

बेसहारा के सहारा नवीन श्रीवास्तव
बेसहारा के सहारा नवीन श्रीवास्तव

''नवीन श्रीवास्तव भगवान से कम नहीं हैं, जिन्होंने मेरे पति को नई जिंदगी लौटाई है. साथ ही आर्थिक मदद और खाने पीने का सामान भी दे रहे हैं. उसके गांव के अन्य लोग भी नवीन श्रीवास्तव की सराहना करते नहीं थकते हैं.''- कुंती देवी, स्थानीय

35 से 40 लोगों की बचाई जान
नवीन के द्वारा की गई मदद में अकेले एक सनेशर ही नहीं है, जिसकी उन्होंने जान बचाई है. बल्कि उनके जैसे करीब 35 से 40 लोग हैं, जिन्हें उन्होंने नया जीवन दिया है. नवीन श्रीवास्तव के इस कार्य में उनकी अर्धांगिनी शिल्पी श्रीवास्तव की भी भूमिका कम नहीं है. एक ओर इस कोरोना महामारी में कई महिलाएं अपने पति या बेटे को घर से बाहर नहीं निकलने देना चाहती हैं. वहीं, दूसरी ओर शिल्पी अपने पति के द्वारा किये गए कार्यो की सराहना कर उनका हौसला बढ़ाती हैं.

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''आज गांव की हालत ठीक नहीं है, लोग हॉस्पिटल तक संसाधनों की कमी के कारण देर से पहुंचते हैं. जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता है. जिसको देखते हुए सुदूर गांव के लोगों तक जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचा कर काफी सुकून मिलता है.''- नवीन श्रीवास्तव, मददगार

देखिए ये रिपोर्ट

नवीन श्रीवास्तव की सराहनीय पहल
नवीन इसके पहले भी कोरोना काल में लागू लॉकडाउन के दौरान लोगों के लिए काफी मददगार साबित हुए थे. उस वक्त भी कई लावारिस शव का दाह संस्कार करते रहे. इसी बीच वे कोरोना पॉजिटिव भी हुए, बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और तब भी ईटीवी भारत से कहा था कि ठीक होने के बाद फिर मैं जरूरतमंदों के पास जाऊंगा और उन्हें मदद करने की कोशिश करूंगा.

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Last Updated : May 23, 2021, 10:33 PM IST
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