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मोहब्बत की अनोखी मिसालः बेटे ने मां के बगल में खुदवाई अपनी कब्र, कहा- मरने के बाद भी रहना चाहता हूं साथ - गोपालगंज के मंजूर हसन ने खुदवाई अपनी कब्र

मंजूर हसन अपनी मां की बातों को याद करके भावुक हो जाते हैं. उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि हर किसी को चाहिए कि अपनी मां से प्यार करे और उनकी खिदमत करे.

manzoor hasan
मंजूर हसन
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Published : May 26, 2020, 12:53 PM IST

Updated : May 26, 2020, 1:00 PM IST

गोपालगंजः आज तक आपने मां-बेटे के प्यार की कई कहानियां सुनी होंगी. वैसे तो हर बेटे के लिए उसकी मां किसी अनमोल हीरे से कम नहीं होती, लेकिन कुछ बेटे ऐसे भी हैं, जो अपना सारा जीवन और प्रेम अपनी मां को अर्पित कर देते हैं. गोपालगंज के बलहा गांव में रहने वाले एक मां-बेटे के प्रेम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

मां-बेटे के बेइंतहा मोहब्बत की ये कहानी जिले मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बरौली प्रखंड के बलहा गांव की है. जहां रहने वाले स्वर्गीय मुबारक हुसैन के बेटे मंजूर हसन ने अपनी मां से मोहब्बत की अनूठी मिसाल पेश की है. मंजूर हसन अपनी मां शाह शहरबानो हसनी से इस कदर प्यार करते हैं कि उन्होंने अपनी मां के कब्र के पास ही अपनी कब्र भी खुदवाई है. इतना ही नहीं मंजूर हसन अपने इंतकाल के बाद की सारी व्यवस्था भी खुद कर चुके हैं. उन्होंने खुद कफन भी खरीद लिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

1999 में हुआ था मां का इंतकाल
दअरसल, मंजूर हसन अपनी मां शाह शहरबानो हसनी से बेइंतहा प्यार करते थे, उनकी मां भी मंजूर से बहुत प्यार करती थी. मां का प्यार ही था कि मंजूर हसन मां से कभी अलग नहीं हुए. वो अपनी मां का काफी ख्याल रखते थे. तीन भाइयों में सबसे छोटे मंजूर के ऊपर उस वक्त दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा जब साल 1999 के जून महीने में उनकी मां का इंतकाल हो गया. मंजूर हसन काफी मुश्किल से खुद को संभल पाए थे.

manzoor hasan
मां की कब्र पर दुआ मांगते मंजूर हसन

मां की याद में बनवाई मजार
मां की याद में मंजूर हसन ने उनकी मजार बनवाई. दिन-रात उसी मजार पर रहते. उनकी सेवा करते हैं. खुद मजार की साफ सफाई करते हैं. अब उन्होंने अपनी मां के कब्र के पास ही खुद अपनी कब्र भी खुदवा डाली. ताकि मरने के बाद भी वो अपनी मां के साथ रह सकें. इतना ही नहीं उन्होंने खुद के लिए कफन भी खरीद लिया है.

manzoor hasan
मंजूर हसन

'जिंदगी लगने लगी थी बोझ'
मंजूर हसन कहते हैं कि मैं अपनी मां से अलग नहीं रहना चाहता हूं. उनके इंतेकाल के बाद काफी विचलित हो गया था. मेरी जिंदगी बोझ लगने लगी थी. लेकिन धीरे धीरे मैंने खुद को संभाला और मां की मजार बनवाई. यहीं पर ज्यादा समय बीतता है. मैंने अपनी जिंदगी में इसलिए अपनी कब्र खुदवा ली, ताकि मरने के बाद भी मां के बगल में ही रह संकू. मुझे कहीं और ना दफनाया जाए.

ये भी पढ़ेंः बोली ज्योति और उसके परिजन- बहुत खुश हैं कि लोग जान रहे हैं, Etv भारत को Thank You

'चाहता हूं हरे कफन में दफनाया जाए'
कफन के सिलसिले में उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद का कफन इसलिए खरीदा क्योंकि मरने के बाद लोग मुझे सफेद कफन में लिटा देते, लेकिन मुझे हरा कफन पसंद है. मैं चाहता हूं कि मुझे हरे कफन में दफनाया जाए. हरा रंग हुसैनी रंग होता है. उन्होंने बताया कि मुझे मां की बात हमेशा याद रहती है. मां हमेशा कहा करती थीं कि 'प्यार सबसे करना चाहिए किसी से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए, अगर प्यार करेंगे तो दुश्मनी अपने आप खत्म हो जाएगी'. उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि हर किसी को चाहिए कि अपनी मां से प्यार करे और उनकी खिदमत करे.

गोपालगंजः आज तक आपने मां-बेटे के प्यार की कई कहानियां सुनी होंगी. वैसे तो हर बेटे के लिए उसकी मां किसी अनमोल हीरे से कम नहीं होती, लेकिन कुछ बेटे ऐसे भी हैं, जो अपना सारा जीवन और प्रेम अपनी मां को अर्पित कर देते हैं. गोपालगंज के बलहा गांव में रहने वाले एक मां-बेटे के प्रेम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

मां-बेटे के बेइंतहा मोहब्बत की ये कहानी जिले मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बरौली प्रखंड के बलहा गांव की है. जहां रहने वाले स्वर्गीय मुबारक हुसैन के बेटे मंजूर हसन ने अपनी मां से मोहब्बत की अनूठी मिसाल पेश की है. मंजूर हसन अपनी मां शाह शहरबानो हसनी से इस कदर प्यार करते हैं कि उन्होंने अपनी मां के कब्र के पास ही अपनी कब्र भी खुदवाई है. इतना ही नहीं मंजूर हसन अपने इंतकाल के बाद की सारी व्यवस्था भी खुद कर चुके हैं. उन्होंने खुद कफन भी खरीद लिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

1999 में हुआ था मां का इंतकाल
दअरसल, मंजूर हसन अपनी मां शाह शहरबानो हसनी से बेइंतहा प्यार करते थे, उनकी मां भी मंजूर से बहुत प्यार करती थी. मां का प्यार ही था कि मंजूर हसन मां से कभी अलग नहीं हुए. वो अपनी मां का काफी ख्याल रखते थे. तीन भाइयों में सबसे छोटे मंजूर के ऊपर उस वक्त दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा जब साल 1999 के जून महीने में उनकी मां का इंतकाल हो गया. मंजूर हसन काफी मुश्किल से खुद को संभल पाए थे.

manzoor hasan
मां की कब्र पर दुआ मांगते मंजूर हसन

मां की याद में बनवाई मजार
मां की याद में मंजूर हसन ने उनकी मजार बनवाई. दिन-रात उसी मजार पर रहते. उनकी सेवा करते हैं. खुद मजार की साफ सफाई करते हैं. अब उन्होंने अपनी मां के कब्र के पास ही खुद अपनी कब्र भी खुदवा डाली. ताकि मरने के बाद भी वो अपनी मां के साथ रह सकें. इतना ही नहीं उन्होंने खुद के लिए कफन भी खरीद लिया है.

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मंजूर हसन

'जिंदगी लगने लगी थी बोझ'
मंजूर हसन कहते हैं कि मैं अपनी मां से अलग नहीं रहना चाहता हूं. उनके इंतेकाल के बाद काफी विचलित हो गया था. मेरी जिंदगी बोझ लगने लगी थी. लेकिन धीरे धीरे मैंने खुद को संभाला और मां की मजार बनवाई. यहीं पर ज्यादा समय बीतता है. मैंने अपनी जिंदगी में इसलिए अपनी कब्र खुदवा ली, ताकि मरने के बाद भी मां के बगल में ही रह संकू. मुझे कहीं और ना दफनाया जाए.

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'चाहता हूं हरे कफन में दफनाया जाए'
कफन के सिलसिले में उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद का कफन इसलिए खरीदा क्योंकि मरने के बाद लोग मुझे सफेद कफन में लिटा देते, लेकिन मुझे हरा कफन पसंद है. मैं चाहता हूं कि मुझे हरे कफन में दफनाया जाए. हरा रंग हुसैनी रंग होता है. उन्होंने बताया कि मुझे मां की बात हमेशा याद रहती है. मां हमेशा कहा करती थीं कि 'प्यार सबसे करना चाहिए किसी से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए, अगर प्यार करेंगे तो दुश्मनी अपने आप खत्म हो जाएगी'. उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि हर किसी को चाहिए कि अपनी मां से प्यार करे और उनकी खिदमत करे.

Last Updated : May 26, 2020, 1:00 PM IST
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