गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज सिविल कोर्ट के अधिवक्ता राजेश पांडेय की हत्या (Lawyer Murder in Gopalganj) को लेकर वकीलों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा. हत्या के दूसरे दिन भी बार एसोसिएशन के अधिवक्ता हड़ताल पर (Gopalganj Advocates Strike) चले गये. इसके कारण सिविल कोर्ट की अदालतों में कामकाज ठप रहा. इस दौरान अधिवक्ताओं ने सिविल कोर्ट के मुख्य द्वार पर धरना देकर आक्रोश व्यक्त किया. उन्होंने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए अपनी मांगें रखीं.
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दरअसल, वकीलों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस प्रशासन को अधिवक्ताओं की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. हर साल अधिवक्ताओं की हत्या पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती है. अधिवक्ता खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. न्याय दिलाने वाले अब खुद न्याय पाने की बात कर रहे हैं. इसके बावजूद न्याय मिलती नहीं दिख रही. वकीलों ने कहा कि हाल ही में कई अधिवक्ताओं पर हमले हुए. इसमें अब तक कार्रवाई नहीं की गयी. इसके कारण अधिवक्ता न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. अब उन्हें सिर्फ और सिर्फ कोर्ट पर ही भरोसा है.
वहीं, वकीलों की हड़ताल की वजह से मुव्वकील इधर-उधर भटकते रहें. महत्वपूर्ण मुकदमों की भी पैरवी नहीं हो पायी. इधर, कुचायकोट पुलिस ने अधिवक्ता की हत्या के मामले में मृतक के भाई अशोक पांडेय के बयान पर अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की है. हत्या के दूसरे दिन भी बदमाशों की गिरफ्तारी नहीं हो पायी है. एसपी आनंद कुमार के मुताबिक सदर एसडीपीओ संजीव कुमार सिंह के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है. गोपालगंज और यूपी के सीमावर्ती इलाकों में लगातार छापेमारी की जा रही है.
बता दें कि कुचायकोट थाने के कुचायकोट बाजार के रहने वाले अधिवक्ता राजेश पांडेय सात दिसंबर की सुबह बाइक से सिविल कोर्ट जा रहे थे. रास्ते में पोखरभिंडा गांव के पास एनएच-27 पर अपराधियों ने ओवरटेक कर बाइक रुकवाई और गोली मार दी. गोली लगने से अधिवक्ता राजेश पांडेय की मौके पर ही मौत हो गयी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तीन गोली लगने की बात बतायी गयी.
पोस्टमार्टम के बाद शव घर पर पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मचा है. इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राम बाबू सिंह ने बताया कि घर से कोर्ट आने के दौरान बदमाशों ने गोली मारकर साथी वकील की हत्या कर दी. पुलिस हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार करें और अधिवक्ताओं को प्रोटेक्शन दें. डीएम-एसपी से मांग की गयी है कि वकीलों को ऑर्म्स का लाइसेंस दिया जाये, ताकि खुद अपनी सुरक्षा कर सकें.
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