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गोपालगंज में मिट्टी के दीये की बढ़ी डिमांड, कुंभकारों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

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Published : Nov 13, 2020, 6:49 PM IST

गोपालगंज में इस साल अधिकांश लोगों ने चाइनीज लाइटों का बहिष्कार कर दिया है. वहीं, मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल दीपावली के साथ-साथ छठ पूजा में भी जमकर होगा. जिसकी वजह से दीयों की बिक्री इन दिनों बढ़ी हुई है.

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गोपालगंज

गोपालगंज: दिवाली में पिछले कुछ सालों से भले ही आधुनिकता की चकाचौंध में चाक की रफ्तार धीमी पड़ गई थी. लेकिन इस बार की दीवाली में कुंभकारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है. इस बार की दीवाली में अधिकांश लोग मिट्टी के दिये से अपने घर को रौशन करने के लिए मिट्टी के दिये खरीदने लगे है. जिससे चाइनीज लाइटो की डिमांड घट गई है.

मिट्टी के दीयों की बढ़ी डिमांड
दीपोत्सव के पर्व के महत्व को देखते गए बाजारों में मिट्टी के दीयों की मांग एकाएक काफी बढ़ गई है. मिट्टी के दीयों की बढ़ती मांग देखकर कुंभकार के चाक की स्पीड भी काफी तेज हो गई है. इस साल चाइनीज लाइटों का बहिष्कार कर मिट्टी के दिये खरीदना लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसके पहले दीपावली में कुम्भकार बहुत मुश्किल से अपने दीये बेच पाते थे. उनके दुकानों तक ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे थे. कुंभकारों के चेहरे पर मायूसी छाई रहती थी. लेकिन इस साल कुंभकारों के चेहरे खिल उठे है. उनके दुकानो पर ग्राहकों की काफी भीड़ लगने लगी है. कुम्भकारो के माने तो इस साल मिट्टी के दीयों की बिक्री खूब तेजी से हो रही है. दीपावली में दीए बनाने के लिए उन्होंने एक महीने पहले से ही तैयारी कर ली थी. मिट्टी के दीयों का स्टॉक भी पर्याप्त मात्रा में है.

चाइनीस लाइटों का बहिष्कार
बता दें कि चाइनीस लाइटों के आगे दीये की रोशनी फीकी हो गई थी, लेकिन इस साल अधिकांश लोगों ने चाइनीस लाइटों का बहिष्कार कर दिया है. लोगों का मानना है कि हम जो पैसे देकर चाइनीज लाइट खरीदते हैं वह पैसे विदेशों में जाता है. यही कारण है कि एक बार फिर से कुम्हार की चाक ने स्पीड पकड़ लिया है. उनकी रोजी-रोटी एक बार फिर से चलने लगी है. घर से लेकर सरकारी कार्यालय तक मिट्टी के दीयों से दिपावली में लोग सजाते हैं. दिपावली के लिए बाजार भी सज धज कर तैयार है. दीपावली के मौके पर बाजार में मिट्टी के दीये भी हर वैरायटी के मौजूद है. छोटे और बड़े दिए के अलावा कढ़ाई किये हुए दिए भी बाजार में मौजूद है.

गोपालगंज: दिवाली में पिछले कुछ सालों से भले ही आधुनिकता की चकाचौंध में चाक की रफ्तार धीमी पड़ गई थी. लेकिन इस बार की दीवाली में कुंभकारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है. इस बार की दीवाली में अधिकांश लोग मिट्टी के दिये से अपने घर को रौशन करने के लिए मिट्टी के दिये खरीदने लगे है. जिससे चाइनीज लाइटो की डिमांड घट गई है.

मिट्टी के दीयों की बढ़ी डिमांड
दीपोत्सव के पर्व के महत्व को देखते गए बाजारों में मिट्टी के दीयों की मांग एकाएक काफी बढ़ गई है. मिट्टी के दीयों की बढ़ती मांग देखकर कुंभकार के चाक की स्पीड भी काफी तेज हो गई है. इस साल चाइनीज लाइटों का बहिष्कार कर मिट्टी के दिये खरीदना लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसके पहले दीपावली में कुम्भकार बहुत मुश्किल से अपने दीये बेच पाते थे. उनके दुकानों तक ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे थे. कुंभकारों के चेहरे पर मायूसी छाई रहती थी. लेकिन इस साल कुंभकारों के चेहरे खिल उठे है. उनके दुकानो पर ग्राहकों की काफी भीड़ लगने लगी है. कुम्भकारो के माने तो इस साल मिट्टी के दीयों की बिक्री खूब तेजी से हो रही है. दीपावली में दीए बनाने के लिए उन्होंने एक महीने पहले से ही तैयारी कर ली थी. मिट्टी के दीयों का स्टॉक भी पर्याप्त मात्रा में है.

चाइनीस लाइटों का बहिष्कार
बता दें कि चाइनीस लाइटों के आगे दीये की रोशनी फीकी हो गई थी, लेकिन इस साल अधिकांश लोगों ने चाइनीस लाइटों का बहिष्कार कर दिया है. लोगों का मानना है कि हम जो पैसे देकर चाइनीज लाइट खरीदते हैं वह पैसे विदेशों में जाता है. यही कारण है कि एक बार फिर से कुम्हार की चाक ने स्पीड पकड़ लिया है. उनकी रोजी-रोटी एक बार फिर से चलने लगी है. घर से लेकर सरकारी कार्यालय तक मिट्टी के दीयों से दिपावली में लोग सजाते हैं. दिपावली के लिए बाजार भी सज धज कर तैयार है. दीपावली के मौके पर बाजार में मिट्टी के दीये भी हर वैरायटी के मौजूद है. छोटे और बड़े दिए के अलावा कढ़ाई किये हुए दिए भी बाजार में मौजूद है.

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