गोपालगंज: जिले में बाढ़ के पानी ने लोगों पर कहर बरपाया है. बाढ़ के पानी के बीच आज भी कई गांव के लोग अपना जीवन-यापन करने के लिए विवश हैं. ईटीवी भारत की टीम जिले के अलग-अलग हिस्सों से ग्राउंड रिपोर्ट दिखा रही है. ईटीवी भारत संवाददाता ने बाढ़ प्रभावित बरौली प्रखंड के बभनौली गांव का जायजा लिया. यहां के लोग समाजिक कार्यकर्ताओं के सहारे अपना दिन गुजार रहे हैं. बाढ़ प्रभावित इस गांव में अब तक प्रशासनिक सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. हजारों की आबादी वाले इस गांव में बाढ़ का पानी पूरी तरह फैल चुका है.
23 जुलाई की रात आई विनाशकारी बाढ़ ने लोगों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. लोगों के घरों में बाढ़ के पानी ने कई तरह की समस्याएं खड़ी कर दी है. ऐसे में ये बाढ़ पीड़ितों तक प्रशासन की तरफ से मदद पहुंचाने के दावे विफल साबित हो रहा है. प्रशासन के दावे की हकीकत तभी समाने आती है जब जमीनी स्तर पर इनकी पड़ताल की जाती हो. ईटीवी भारत लगातार ग्राउंड जीरो पर पहुंच कर प्रशानिक दावे की पोल खोल रही है. ऐसे में हमारे संवाददाता लगातार बाढ़ पीड़ितों की दुःख दर्द और बाढ़ की भयावह तस्वीरे अपने कैमरे में कैद कर जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों तक पहुंचा रहे हैं. ताकि, इन पीड़ितों को हर संभव मदद मिल सके.
नाव के लिए तरस रहे बाढ़ प्रभावित
एक बार फिर संवाददाता अटल बिहारी पांडे जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर बरौली प्रखण्ड के बभनौली गांव पहुंचे. जहां की स्थिति बद से बदतर है. इस गांव में हजारों की आबादी निवास करती है. गांव के चारो तरफ 3 से 4 फीट बाढ़ का पानी फैल चुका है. लोग इसी पानी के बीच रहने को विवश है. बाढ़ प्रभावितों के बीच कम्यूनिटी किचन, रहने की व्यवस्था से लेकर अब तक नाव की व्यवस्था तक नहीं की गई है. खास बात यह है कि अब तक इस गांव में बाढ़ की समस्या झेल रहे लोगों का हाल जानने के लिए स्थानीय प्रशासन के अधिकारी तक नहीं पहुंच पाए हैं.
अधिकारी और जन प्रतिनिधी के खिलाफ गुस्सा
पीड़ितों के बीच इस हालात में जन प्रतिनिधियों के नहीं पहुंचने से गांव के लोग खासे नाराज हैं. लोगों का कहना है कि चुनाव जीतने से पहले नेता लंबी लंबी बाते बोल कर वोट लेकर सो जाते हैं. जनता इन नेताओं के बहकावे में आकर अपना बहुमुल्य वोट देकर राजसत्ता तक पहुंचाती है. बावजूद इसके जन प्रतिनिधि विकट परिस्थिति में भी साथ नही खड़ा हो रहे हैं. ऐसे में गांव के लोगों का कहना है कि बाढ़ के बाद जो भी अधिकारी और जन प्रतिनिधि आएंगे उनलोगों को गांव से बाहर का रास्ता दिखा देंगे.