गोपालगंज: देशभर में विख्यात शक्तिपीठ गोपालगंज स्थित मां थावे भवानी मंदिर (Thave Bhavani temple) में नवरात्रि के अष्टमी तिथि के मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस तिथि को मध्य रात्रि में आयोजित होने वाली महानिशा पूजा में श्रद्धालु भक्ति में लीन दिखे. माता रानी के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान रहा.
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शारदीय नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां थावे भवानी की निशा पूजा काफी खास मानी जाती है. दूर-दूर से श्रद्धालु इस पूजा में शामिल होने के लिए आते हैं. बिहार, झारखंड, यूपी सहित नेपाल से भी श्रद्धालु माता के दर्शन हेतु यहां पहुंचते हैं. इस मौके पर मध्य रात्रि में आयोजित होने वाली माता की पूजा काफी खास मानी जाती है. इसे लेकर सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार मंदिर परिसर में लगना शुरू हो जाता है.
बुधवार की रात में भी माता की निशा पूजा भव्य तरीके से आयोजित हुई. मध्य रात्रि में ही धूम-धाम से माता का भव्य श्रृंगार किया गया. मंदिर के गर्भ गृह में पूजा के बाद रातभर मंदिर का द्वार श्रद्धालुओं के लिए खुला रहा. मंदिर के मुख्य पुजारी पं.सुरेश पांडेय के नेतृत्व में पूजा-अर्चना के बाद भक्तों के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया.
विद्वान बताते हैं कि महानिशा काल में महागौरी के पूजन का विशेष महत्व है. इस तिथि को रात में ध्यान और पूजन करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है. महागौरी सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी हैं. महानिशा में ही भवानी की उत्पत्ति होती है और मां अपने भक्तों को सिद्धि प्रदान करती हैं. इस रात में देवी का जागरण या हवन करके भी मां भगवती से मनचाहा आशीर्वाद मांग सकते हैं. माता की पूजा से नाकारात्मक शक्ति भी घर से दूर होती है.
माता रानी की पूजा और आराधना से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम भाव बना रहता है. आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं. बताया जाता है कि महानिशा की रात सबसे शक्तिशाली रात होती है. इस रात्रि में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा का विशेष महत्व है. इस रात्रि को पूजा, भजन, ईश्वर का ध्यान और साधना करने के लिए माना गया है. महानिशा की रात तंत्र साधना भी की जाती है.
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तंत्र शास्त्र के अनुसार, तंत्र साधना के लिए इससे बेहतर कोई समय नहीं होता है. इस रात साधना करने से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. अष्टमी जिस रात्रि को प्राप्त होती है उसी तिथि की रात्रि को महानिशा पूजा कहते हैं. इसमें माता दुर्गा और माता काली की पूजा अर्चना की जाती है. माता को प्रसन्न करने के लिए बलि भी दी जाती है.