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गोपालगंज की प्रसिद्ध सेव-बुनिया लोगों की है पहली पसंद, दूर-दूर से खाने आते हैं लोग - गोपालगंज की सेव बुनिया

गोपालगंज में मिलने वाला सेव-बुनिया इतना खास है कि यहां आने वाले लोग इसके स्वाद का कायल हो जाते हैं. स्वाद भी ऐसा जो सालों साल याद रहे. आखिर क्या खासियत है इस सेव-बुनिया की, क्या कुछ अलग विधि इसे बनाने में अपनाई जाती है, आखिर इतनी फेमस यह रेसिपी गोपालगंज में मिलती कहां है, इन सब सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में हैं. पढ़ें पूरी खबर..

गोपालगंज की सेव-बुनिया
गोपालगंज की सेव-बुनिया
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 5, 2024, 6:45 AM IST

गोपालगंज की सेव-बुनिया

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज के आर्य नगर मोहल्ला निवासी विरेंद्र महतो एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने पिता से सेव बुनिया बनाने की विधि सीखकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनकी बनाई सेव-बुनिया शुद्ध और गुणवत्तायुक्त होती है. इस वजह से दूर-दूर से लोग सेव बुनिया खाने के लिए आते हैं. दरअसल, विरेंद्र का ये व्यवसाय पिछले तैंतीस वर्षों से चल रहा है. विरेंद्र का जन्म शहर के आर्य नगर में हुआ था. उनके पिता स्व फागू महतो भी सेव बुनिया बनाने का काम करते थे.

पिता के साथ ही शुरू किया था सेव-बुनिया बनाना : विरेंद्र बचपन से ही अपने पिता के साथ सेव बुनिया बनाने का काम करते थे. उन्हें इस काम में बहुत दिलचस्पी थी. उन्होंने अपने पिता से सेव बुनिया बनाने की सारी विधियां सीख ली. जब बिरेंद्र बड़े हुए तो 1982 में उनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद वह बड़े भाई ने इसे बनाना शुरू किया. उनकी भी मौत हो जाने के बाद विरेंद्र ने इस व्यवसाय को संभाला और 1990 से वे इस व्यवसाय से जुड़ गए.

सेव बुनिया बेचते दुकानदार
सेव बुनिया बेचते दुकानदार

पिता से ही सीखी कारीगिरी : विरेंद्र ने अपने पिता से सीखी हुई विधियों के इस्तेमाल करते हुए एक बेहतरीन सेव बुनिया बनाने की तकनीक विकसित की. उनकी सेव-बुनिया शुद्ध घी और शुद्ध सामग्री से बनती है. इसलिए उनकी सेव बुनिया की गुणवत्ता बहुत अच्छी है. सेव बुनिया की प्रसिद्धि आसपास के गांवों में फैल गई. लोग उनके सेव बुनिया को खाने के लिए दूर-दूर से आने लगे. सेव बुनिया की मांग इतनी बढ़ गई कि उन्हें अपना व्यवसाय बढ़ाना पड़ा. सेव बुनिया की प्रसिद्धि आज पूरे जिले में फैल चुकी है.

"शुद्ध बेसन की बुनिया बनाता हूं. हर दिन 30 किलो बेसन का सेव बुनिया बनाता हूं. अलग विधि से हमलोग सेव बुनिया बनाता हूं. इसे लोग काफी पसंद करते हैं."- विरेंद्र महतो, दुकानदार

विरेंद्र कहलाते है सेव-बुनिया के बादशाह : लोग विरेंद्र को सेव बुनिया का बादशाह भी कहते हैं. सेव बुनिया की वजह से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी हो गई है. एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने मेहनत और लगन से एक छोटा सा व्यवसाय को एक सफल व्यवसाय में बदल दिया है. उनकी सफलता की कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि अगर हम मेहनत और लगन से काम करें तो हम किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं. इनके दुकान में सेव बुनिया के अलावा अन्य मिठाइयां भी मिलती हैं.

विशु सेव बुनिया का स्वाद इतना अच्छा होता है कि लोग इसे एक बार खाकर बार-बार आने लगते हैं. सेव बुनिया में कोई मिलावट नहीं होती है. यही कारण है कि इनके सेव बुनिया इतने स्वादिष्ट और गुणवत्तापूर्ण होते हैं. बुनिया कम मीठा का होता है जिसे सुगर रोगी भी खा सकते है. जबकि सेव शुद्ध बेसन का बना है.

"मैं जब भी गोपालगंज आता हूं तो यहां आकर सेव बुनिया जरूर खाता हूं. यहां की खासियत यह है कि यहां काफी शुद्धता और साफ-सफाई होती है." - ग्राहक

ये भी पढ़ें : ये 'बाढ़ की लाई' है कुछ खास, स्वाद ऐसा कि आपको भी दीवाना बना दे

गोपालगंज की सेव-बुनिया

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज के आर्य नगर मोहल्ला निवासी विरेंद्र महतो एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने पिता से सेव बुनिया बनाने की विधि सीखकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनकी बनाई सेव-बुनिया शुद्ध और गुणवत्तायुक्त होती है. इस वजह से दूर-दूर से लोग सेव बुनिया खाने के लिए आते हैं. दरअसल, विरेंद्र का ये व्यवसाय पिछले तैंतीस वर्षों से चल रहा है. विरेंद्र का जन्म शहर के आर्य नगर में हुआ था. उनके पिता स्व फागू महतो भी सेव बुनिया बनाने का काम करते थे.

पिता के साथ ही शुरू किया था सेव-बुनिया बनाना : विरेंद्र बचपन से ही अपने पिता के साथ सेव बुनिया बनाने का काम करते थे. उन्हें इस काम में बहुत दिलचस्पी थी. उन्होंने अपने पिता से सेव बुनिया बनाने की सारी विधियां सीख ली. जब बिरेंद्र बड़े हुए तो 1982 में उनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद वह बड़े भाई ने इसे बनाना शुरू किया. उनकी भी मौत हो जाने के बाद विरेंद्र ने इस व्यवसाय को संभाला और 1990 से वे इस व्यवसाय से जुड़ गए.

सेव बुनिया बेचते दुकानदार
सेव बुनिया बेचते दुकानदार

पिता से ही सीखी कारीगिरी : विरेंद्र ने अपने पिता से सीखी हुई विधियों के इस्तेमाल करते हुए एक बेहतरीन सेव बुनिया बनाने की तकनीक विकसित की. उनकी सेव-बुनिया शुद्ध घी और शुद्ध सामग्री से बनती है. इसलिए उनकी सेव बुनिया की गुणवत्ता बहुत अच्छी है. सेव बुनिया की प्रसिद्धि आसपास के गांवों में फैल गई. लोग उनके सेव बुनिया को खाने के लिए दूर-दूर से आने लगे. सेव बुनिया की मांग इतनी बढ़ गई कि उन्हें अपना व्यवसाय बढ़ाना पड़ा. सेव बुनिया की प्रसिद्धि आज पूरे जिले में फैल चुकी है.

"शुद्ध बेसन की बुनिया बनाता हूं. हर दिन 30 किलो बेसन का सेव बुनिया बनाता हूं. अलग विधि से हमलोग सेव बुनिया बनाता हूं. इसे लोग काफी पसंद करते हैं."- विरेंद्र महतो, दुकानदार

विरेंद्र कहलाते है सेव-बुनिया के बादशाह : लोग विरेंद्र को सेव बुनिया का बादशाह भी कहते हैं. सेव बुनिया की वजह से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी हो गई है. एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने मेहनत और लगन से एक छोटा सा व्यवसाय को एक सफल व्यवसाय में बदल दिया है. उनकी सफलता की कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि अगर हम मेहनत और लगन से काम करें तो हम किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं. इनके दुकान में सेव बुनिया के अलावा अन्य मिठाइयां भी मिलती हैं.

विशु सेव बुनिया का स्वाद इतना अच्छा होता है कि लोग इसे एक बार खाकर बार-बार आने लगते हैं. सेव बुनिया में कोई मिलावट नहीं होती है. यही कारण है कि इनके सेव बुनिया इतने स्वादिष्ट और गुणवत्तापूर्ण होते हैं. बुनिया कम मीठा का होता है जिसे सुगर रोगी भी खा सकते है. जबकि सेव शुद्ध बेसन का बना है.

"मैं जब भी गोपालगंज आता हूं तो यहां आकर सेव बुनिया जरूर खाता हूं. यहां की खासियत यह है कि यहां काफी शुद्धता और साफ-सफाई होती है." - ग्राहक

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