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गोपालगंज: बदहाली के आंसू रोता मुक्तिधाम, उदघाटन के बाद से नहीं हुआ एक भी दाह संस्कार

मुक्तिधाम का उद्घाटन 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था. इसको बनाने में 42 लाख रूपये का खर्च आया था. लेकिन ये उद्घाटन के बाद से ही उपेक्षा का शिकार हो गया.

बदहाली के आंसू रोता मुक्तिधाम
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Published : Nov 14, 2019, 1:01 PM IST

Updated : Nov 15, 2019, 7:59 PM IST

गोपालगंज: जिले के कमला राय कॉलेज रोड के पास स्थित एकमात्र मुक्तिधाम खुद की मुक्ति की आस लगाए बैठा है. उद्घाटन के 5 साल बीत जाने के बाद भी यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो पाया है. वहीं, यह मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णीय नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.

इस मुक्तिधाम का उद्घाटन 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था. इसको बनाने में 42 लाख रूपये का खर्च आया था. लेकिन यह उद्घाटन के बाद से ही उपेक्षा का शिकार हो गया. इलाके के लोगों ने बताया कि उद्घाटन के बाद से यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका है. लेकिन अब यह मुक्तिधाम नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. यहां रात-दिन नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है. वह नशा करने के बाद आसपास से गुजरने वाली महिलाओं पर फब्तियां कसते हैं. लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है.

Gopalganj
जानकारी देते समाजसेवी

चोर भी काट रहे मलाई
मुक्तिधाम में नशेबाजों के अलावा चोर भी मलाई काट रहे हैं. चोरों ने यहां का गेट और लाखों कीमत की सोलर लाइट की बैटरियां चोरी कर ली हैं. इलाके के लोगों ने बताया कि सालों पहले इसके जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी. लेकिन यह योजना फाइलों में दबकर रह गई. जिसके चलते आज भी यह प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो चुका है.

पेश है रिपोर्ट

आरटीआई से मांगी थी जानकारी
इलाके के समाजसेवी विमल कुमार ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व: अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में मुक्तिधाम योजना की शुरूआत की गई थी. जिसके बाद गोपालगंज जिले में भी एक मुक्तिधाम बनाने के लिए सरकार से मांग की गई थी. जिस पर सरकार ने अमल करते हुए गोपालगंज को एक मुक्तिधाम बनाने की योजना तैयार कर कार्य की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि इसमें कुल 42 लाख रुपए खर्च हुए थे. लेकिन मुक्तिधाम उद्घाटन के बाद से ही प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया.

Gopalganj
जानकारी देते नगर परिषद के चेयरमैन

ढाई करोड़ की लागत से बनेगा इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह
नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने बताया कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद के जरिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा. जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.

गोपालगंज: जिले के कमला राय कॉलेज रोड के पास स्थित एकमात्र मुक्तिधाम खुद की मुक्ति की आस लगाए बैठा है. उद्घाटन के 5 साल बीत जाने के बाद भी यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो पाया है. वहीं, यह मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णीय नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.

इस मुक्तिधाम का उद्घाटन 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था. इसको बनाने में 42 लाख रूपये का खर्च आया था. लेकिन यह उद्घाटन के बाद से ही उपेक्षा का शिकार हो गया. इलाके के लोगों ने बताया कि उद्घाटन के बाद से यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका है. लेकिन अब यह मुक्तिधाम नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. यहां रात-दिन नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है. वह नशा करने के बाद आसपास से गुजरने वाली महिलाओं पर फब्तियां कसते हैं. लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है.

Gopalganj
जानकारी देते समाजसेवी

चोर भी काट रहे मलाई
मुक्तिधाम में नशेबाजों के अलावा चोर भी मलाई काट रहे हैं. चोरों ने यहां का गेट और लाखों कीमत की सोलर लाइट की बैटरियां चोरी कर ली हैं. इलाके के लोगों ने बताया कि सालों पहले इसके जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी. लेकिन यह योजना फाइलों में दबकर रह गई. जिसके चलते आज भी यह प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो चुका है.

पेश है रिपोर्ट

आरटीआई से मांगी थी जानकारी
इलाके के समाजसेवी विमल कुमार ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व: अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में मुक्तिधाम योजना की शुरूआत की गई थी. जिसके बाद गोपालगंज जिले में भी एक मुक्तिधाम बनाने के लिए सरकार से मांग की गई थी. जिस पर सरकार ने अमल करते हुए गोपालगंज को एक मुक्तिधाम बनाने की योजना तैयार कर कार्य की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि इसमें कुल 42 लाख रुपए खर्च हुए थे. लेकिन मुक्तिधाम उद्घाटन के बाद से ही प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया.

Gopalganj
जानकारी देते नगर परिषद के चेयरमैन

ढाई करोड़ की लागत से बनेगा इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह
नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने बताया कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद के जरिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा. जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.

Intro:जिले के एकमात्र शवों के दाह संस्कार के लिए बने मुक्तिधाम खुद के मुक्ति के लिए आस लगाए बैठा है। आलम यह है कि इस मुक्तिधाम पर ना ही प्रशासन की नजर जाती और ना ही जनप्रतिनिधियों की जिसे यह मुक्तिधाम उपेक्षित हो गया।

बाइट-हरेंद्र चौधरी, चेयरमैन नगर परिषद चेक शर्ट में
बाइट- विमल कुमार, समाजसेवी








Body:मुक्तिधाम के उपेक्षा के लिए स्थानीय लोग इसे प्रशासनिक निरंकुशता बता रहे हैं। इसके कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका। करीब 42 लाख की लागत से बनाया गया मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का ठिकाना बन गया है। यहां का गेट और यहां के सोलर लाइट की बैटरी गायब है। झाड़ियों से ढ़का यह मुक्तिधाम का वेटिंग रूम नशेड़ियों का धाम बन गया है। वर्षो पूर्व इसके जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण व विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी लेकिन यह योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी। शहर के कमला राय कॉलेज रोड स्थित पोस्टमार्टम हाउस के पास करीब पांच साल पहले 1 एकड़ 46 डिसमिल में जिले का एकमात्र मुक्तिधाम 42 लाख की लागत से बनाई गई थी इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबे ने किया था। लेकिन उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम पर प्रशासनिक उपेक्षा की मार पड़ गई। निर्माण के बाद से ही इसकी उपेक्षा करने का नतीजा यह रहा कि आज तक यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका। झाड़ियों के बीच मुक्तिधाम पूरी तरह घिर चुका है।
स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार द्वारा वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई थी। वही समाजसेवी विमल कुमार के माने तो उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मुक्तिधाम योजना का शुरूआत की गई थी जिसे देख गोपालगंज जिले में भी एक मुक्तिधाम बनाने के लिए सरकार से मांग की गई थी। जिस पर सरकार ने अमल करते हुए गोपालगंज को एक मुक्तिधाम बनाने की योजना तैयार कर कार्य को शुरुआत की गई। इस कार्य की योजना में कुल 42 लाख रुपए खर्च हुए और मुक्तिधाम बनकर तैयार हो गए। जिसका उद्घाटन वर्ष 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था। लेकिन यह मुक्तिधाम उद्घाटन के साथ ही उपेक्षा का शिकार हो गया। उन्होंने बताया कि नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण इसका पूर्ण विकास नहीं हो सका। इस संदर्भ में जब नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा की शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है नगर परिषद द्वारा सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है। उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा


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Last Updated : Nov 15, 2019, 7:59 PM IST
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