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बाढ़ से उजड़े आशियाने को देख रो पड़े बाढ़ पीड़ित, अब तक नहीं मिली कोई मदद

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Published : Sep 14, 2020, 2:33 PM IST

Updated : Oct 15, 2020, 7:01 PM IST

बाढ़ पीड़ित कहते हैं कि हम लोग प्लास्टिक के नीचे गुजारा कर रहे हैं. कोई सरकारी कर्मी पूछने तक नहीं आये. सुना कि केंद्रीय टीम को आना था, वो भी नहीं आई. अभी तक खाते में पीएफएमएस का छह हजार रुपया भी नहीं आया है.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित

गोपालगंजः जिले में आई विनाशकारी बाढ़ ने कई लोगों को घर से बेघर कर दिया है. एक-एक पैसा जमाकर बनाया हुआ आशियाना बाढ़ के पानी में बह गया. बाढ़ पीड़ित अपने टूटे हुए घरों को देख रो पड़ते हैं.

सरकार ने इनके जख्मों पर मलहम लगाने के लिए 6 हजार रुपये आर्थिक मदद करने की घोषणा की थी. वो भी अब तक नहीं मिली. लेकिन ये बाढ़ पीड़ित सरकार की इस घोषणा का आसरा लगाए बैठे हैं.

ईटीवी भारत की टीम

'आंखों के सामने मकान हुए थे धराशयी'
बाढ़ पीड़ितों के हालात जानने और सरकारी घोषणाओं की रियलिटी चेक करने के लिए ईटीवी भारत की टीम बरौली प्रखंड के मोहनपुर गांव पहुंची. टीम को देख बाढ़ पीड़ितों के दर्द ऐसे छलक पड़े कि आंखों में आंसू लिए रुंधे आवाजों में अपना दुखड़ा सुनाने लगे. 3 जुलाई की रात बरौली प्रखण्ड के मोहनपुर गांव के लोगों के लिए काल बन कर आई थी. क्योंकि इस रात बाढ़ पीड़ितों के आंखों के सामने उनके मकान धराशयी हो गए थे.

बाढ़ में गिरा हुआ मकान
बाढ़ में गिरा हुआ मकान

चारों तरफ तबाही का मंजर
लोगों ने बताया कि बाढ़ के समय सारा सामान बाढ़ के पानी में विलीन होते देखते रहे. लेकिन कुछ कर नहीं सके. किसी तरह मजबूर लोग सिर्फ अपनी जान बचा सके. सारण तटबंध टूटने से आई विनाशकारी बाढ़ का पानी उतरने के बाद जब ये ग्रामीण अपने गांव लौटे तो तबाही का मंजर देख इनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस गांव में हर तरफ बाढ़ में ध्वस्त हुए घरों के मलवा नजर आता है. बाढ़ ने इस गांव के दो दर्जन से अधिक लोगों के आशियाने को तबाह कर दिया है.

'कोई सरकारी कर्मी पूछने तक नहीं आए'
ध्वस्त हुए मकान के सामने खड़े होकर अपने घर को निहार रहे मोहनपुर गांव निवासी पंकज के चेहरे पर एक खामोशी नजर आई. अपना दर्द भरा दुखड़ा सुनाते हुए पंकज कहते है कि बाढ़ में पानी के तेज कटाव से मकान के सभी कमरे पानी में गिर गए. घर से बाहर निकल गए लेकिन सभी समान पानी में बह गया. प्लास्टिक के नीचे गुजारा कर रहे हैं. कोई सरकारी कर्मी पूछने तक नहीं आये. सुना की केंद्रीय टीम को आना था, वो भी नहीं आई. अभी तक खाते में छह हजार रुपये भी नहीं आया है.

ध्वस्त हुआ मकान
ध्वस्त हुए मकान

अब तक नहीं मिली सरकारी राशि
यहां के लोग लगातार प्रखंड से लेकर जिले तक के अधिकारियों को अपनी परेशानियों से अवगत कराते रहे. लेकिन किसी ने बाढ़ पीड़ितों की एक नहीं सुनी. सरकार से मिलने वाली छह हजार रुपये की सहायता राशि भी अभी कई परिवारों को नसीब नहीं हो सकी है.

हालांकि अनुमंडल दंडाधिकारी उपेंद्र कुमार पाल का दावा है कि 1,01,699 बाढ़ प्रभावित परिवारों की प्रविष्टि किया जा चुका है. जिसमे 80,041 परिवारों का पीएफएमएस क्लियर कर दिया गया है. उसमें 76,294 परिवारों के बैंक खाते में छह हजार प्रति के दर से भेज दिया गया है. शेष जो बच गए हैं. वो भी चार से पांच दिनों में पीएफएमएस क्लियर होगा और उनके खाते में चला जायेगा.

गोपालगंजः जिले में आई विनाशकारी बाढ़ ने कई लोगों को घर से बेघर कर दिया है. एक-एक पैसा जमाकर बनाया हुआ आशियाना बाढ़ के पानी में बह गया. बाढ़ पीड़ित अपने टूटे हुए घरों को देख रो पड़ते हैं.

सरकार ने इनके जख्मों पर मलहम लगाने के लिए 6 हजार रुपये आर्थिक मदद करने की घोषणा की थी. वो भी अब तक नहीं मिली. लेकिन ये बाढ़ पीड़ित सरकार की इस घोषणा का आसरा लगाए बैठे हैं.

ईटीवी भारत की टीम

'आंखों के सामने मकान हुए थे धराशयी'
बाढ़ पीड़ितों के हालात जानने और सरकारी घोषणाओं की रियलिटी चेक करने के लिए ईटीवी भारत की टीम बरौली प्रखंड के मोहनपुर गांव पहुंची. टीम को देख बाढ़ पीड़ितों के दर्द ऐसे छलक पड़े कि आंखों में आंसू लिए रुंधे आवाजों में अपना दुखड़ा सुनाने लगे. 3 जुलाई की रात बरौली प्रखण्ड के मोहनपुर गांव के लोगों के लिए काल बन कर आई थी. क्योंकि इस रात बाढ़ पीड़ितों के आंखों के सामने उनके मकान धराशयी हो गए थे.

बाढ़ में गिरा हुआ मकान
बाढ़ में गिरा हुआ मकान

चारों तरफ तबाही का मंजर
लोगों ने बताया कि बाढ़ के समय सारा सामान बाढ़ के पानी में विलीन होते देखते रहे. लेकिन कुछ कर नहीं सके. किसी तरह मजबूर लोग सिर्फ अपनी जान बचा सके. सारण तटबंध टूटने से आई विनाशकारी बाढ़ का पानी उतरने के बाद जब ये ग्रामीण अपने गांव लौटे तो तबाही का मंजर देख इनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस गांव में हर तरफ बाढ़ में ध्वस्त हुए घरों के मलवा नजर आता है. बाढ़ ने इस गांव के दो दर्जन से अधिक लोगों के आशियाने को तबाह कर दिया है.

'कोई सरकारी कर्मी पूछने तक नहीं आए'
ध्वस्त हुए मकान के सामने खड़े होकर अपने घर को निहार रहे मोहनपुर गांव निवासी पंकज के चेहरे पर एक खामोशी नजर आई. अपना दर्द भरा दुखड़ा सुनाते हुए पंकज कहते है कि बाढ़ में पानी के तेज कटाव से मकान के सभी कमरे पानी में गिर गए. घर से बाहर निकल गए लेकिन सभी समान पानी में बह गया. प्लास्टिक के नीचे गुजारा कर रहे हैं. कोई सरकारी कर्मी पूछने तक नहीं आये. सुना की केंद्रीय टीम को आना था, वो भी नहीं आई. अभी तक खाते में छह हजार रुपये भी नहीं आया है.

ध्वस्त हुआ मकान
ध्वस्त हुए मकान

अब तक नहीं मिली सरकारी राशि
यहां के लोग लगातार प्रखंड से लेकर जिले तक के अधिकारियों को अपनी परेशानियों से अवगत कराते रहे. लेकिन किसी ने बाढ़ पीड़ितों की एक नहीं सुनी. सरकार से मिलने वाली छह हजार रुपये की सहायता राशि भी अभी कई परिवारों को नसीब नहीं हो सकी है.

हालांकि अनुमंडल दंडाधिकारी उपेंद्र कुमार पाल का दावा है कि 1,01,699 बाढ़ प्रभावित परिवारों की प्रविष्टि किया जा चुका है. जिसमे 80,041 परिवारों का पीएफएमएस क्लियर कर दिया गया है. उसमें 76,294 परिवारों के बैंक खाते में छह हजार प्रति के दर से भेज दिया गया है. शेष जो बच गए हैं. वो भी चार से पांच दिनों में पीएफएमएस क्लियर होगा और उनके खाते में चला जायेगा.

Last Updated : Oct 15, 2020, 7:01 PM IST
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