गोपालगंजः जिले के पांच प्रखण्ड बाढ़ की चपेट में हैं. लोग बाढ़ के पानी से पूरी तरह घिर चुके हैं. ऐसे में इन बाढ़ पीड़ितों को अब तक प्रशासनिक सुविधाएं नसीब नहीं हुई हैं. कई बार अपनी आपबीती सुनाते हुए बाढ़ पीड़ितों की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं.
दरअसल 23 जुलाई की रात बाल्मीकि नगर बराज से छोड़े गए साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी ने जिले के पांच प्रखण्डों में तबाही मचाकर कर रख दी. लोगों के घरों में घुसे पानी के कारण लोग छत पर प्लास्टिक लगाकर रह रहे हैं या कुछ ऐसे लोग हैं, जो घर छोड़ पलायन कर चुके हैं. वहीं, अधिकांश लोग बाढ़ के पानी में ही रहने को विवश हैं.
घरों के अंदर घुटने तक पानी
हम बात कर रहे हैं, जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 35 किलोमीटर दूर बरौली प्रखण्ड के खरवनवा गांव की. जहां की स्थिति बद से बदतर है. यहां के लोगों को आवागमन के लिए नाव ही एक सहारा है. लोगों के घरों में घुटने तक पानी घुस गया है. लेकिन शासन प्रशासन की सुविधा इन गांव के लोगों तक नहीं पहुंच रही है. प्रशासन और जन प्रतिनिधियों के खिलाफ यहां के लोगों मे गुस्सा व्याप्त है.
बाढ़ पीड़ितों को नहीं मिला उनका हक
ईटीवी भारत लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर जमीनी हकीकत से आपको रूबरू कराता रहा है. लोगों के हर दुःख दर्द को खबरों के माध्यम से सरकार के कानों तक पहुंचाने की कोशिश करता रहा है. ताकि सरकारी सुविधाओं से वंचित लोगों पर शासन प्रशासन की नजर पड़े. उन्हें उनका अधिकार जीसके वे हकदार है, उन्हें मिल सके.
बाढ़ के पानी से घिरा खरवनवा गांव
खरवनवा गांव की कुल आबादी करीब ढाई हजार है. यहां के लोग चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं. बाहर निकलने का साधन एक मात्र नाव है. हालांकि प्रशासन के तरफ से एक नाव मिली है जो पूरी तरह टूटी हुई है. मजबूरन यहां के लोग प्राइवेट नाव से आवागमन करने को बाध्य हैं.
ईटीवी भारत जब इस गांव में पहुंचा तब लोगों ने कहा कि आप ही पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो हमारे दुःखों को जानने पहुंचे हैं. लेकिन आज तक कोई हमारी परेशानी जानने नहीं आया. हम लोगों को खाने और रहने की काफी समस्या उत्पन्न हो गई है. लेकिन सरकारी व्यवस्था नहीं मिल रही है. सिर्फ दुसरे गांव के लोगों के द्वारा ही चूड़ा मीठा, खाने का समान मिल पा रहा है.
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संकट में 3.82 लाख की आबादी
बता दें कि जिले के पांच प्रखण्ड में आई बाढ़ के कारण करीब 3.82 लाख की आबादी संकट में है. पिछले कई दिनों से बाढ़ की त्रासदी झेल रहे ग्रामीणो का धैर्य अब जवाब देने लगा है. गांव में चारों ओर पानी ही पानी दिखायी दे रहा है. चारों ओर तबाही का मंजर है. गांव में जो जा रहा है उसे आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. सामाजिक संगठनों की ओर से पहुंचाई गई राहत ही एकमात्र सहारा है. जिलें में सर्वाधिक तबाही माझा, बरौली, सिधवलिया, तथा बैकुंठपुर प्रखण्ड के पंचायतों में है. जहां की स्थिति काफी भयावाह है.
जिले की प्रमुख स्थलों पर नदी की स्थिति
- विशंभरपुर -82 सेंटीमीटर
- पतहरा-78 सेंटीमीटर
- डुमरिया -44 सेंटीमीटर
- प्यारेपुर -38 सेंटीमीटर
बाढ़ का सरकारी आंकड़ा - पूर्ण प्रभावित पंचायत - 25
- आंशिक प्रभावित पंचायत -41
- 5 प्रखंड के प्रभावित गांव-274
- राहत केंद्र -2
- बाढ़ पीड़ितों की संख्या -38 2015
- घरों से निकाले गए -190039
- कम्युनिटी किचन कार्य -82
- कम्युनिटी किचन का लाभ लेने वाले लोग- 41 हजार
- राहत केंद्र में रह रहे लोग- 435
- एनडीआरएफ की टीम- 3
- एसडीआरएफ की टीम -1
- पीड़ित परिवारों को दिया गया मुआवजा- 61,100