ETV Bharat / state

गोपालगंज: खटिए पर पड़े देवतानंद को मदद की दरकार, इलाज के लिए नहीं हैं पैसे

मजदूरी कर अपने घर के सात लोगों का पेट पालता देवतानंद परिजनों के लिए किसी देवता से कम नहीं था. लेकिन जब से उसे ब्रेनहेमरेज हुआ तबसे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

author img

By

Published : Sep 24, 2019, 1:26 PM IST

देवता को मदद की दरकार

गोपालगंज: जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर मांझा प्रखंड के मधु सरेया गांव में एक शख्स ब्रेनहेमरेज होने के कारण जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है. इलाज के लिए उसे मदद की जरूरत है. पैसे के आभाव में उसका इलाज नहीं हो पा रहा है. वहीं, दिव्यांग पत्नी, बूढ़ी मां और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है.

खटिए पर पड़े देवतानंद को मदद की दरकार

पत्नी लगा रही मदद की गुहार
मधु सरेया गांव निवासी देवतानंद यादव को आठ दिन पहले ब्रेनहेमरेज हो गया था. देवतानंद के घर में दिव्यांग पत्नी के अलावा पांच मासूम बच्चे और बूढ़ी मां हैं. पत्नी कांति ने बताया कि बीते 16 सिंतबर को पति रात को शौच करने उठे. पैर फिसलने की वजह से अचानक गिर पड़े. स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें इलाज के लिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया.

Gopalganj
देवतानंद के पास बच्चों के साथ बैठी पत्नी

इलाज में खर्च होंगे 5 लाख रूपये
कांति ने बताया कि डॉक्टरों ने पति के इलाज में पांच लाख रूपये का खर्च होने की बात कही है. लेकिन घर में पैसे नहीं होने के कारण पति का इलाज करवाना असंभव हो गया है. पत्नी ने बताया कि हमारी स्थिति देखकर कुछ स्थानीय लोगों ने चंदा करके पैसे दिए थे. लेकिन कुछ दिन की दवा लेने के बाद वो भी खत्म हो गए. अब पैसों की किल्लत से पति को घर लाने पर मजबूर हो गए और उनका इलाज नहीं हो पा रहा है.

Gopalganj
8 दिनों से नहीं जल रहा घर का चूल्हा

मजदूरी कर चलाता था घर
मजदूरी करके अपने घर के सात लोगों का पेट पालता देवतानंद परिजनों के लिए किसी देवता से कम नहीं था. लेकिन जब से उसे ब्रेनहेमरेज हुआ तबसे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. उसपर दिव्यांग पत्नी कांति, पांच मासूम बच्चों और बूढ़ी मां की जिम्मेदारी है. उनकी पत्नी ने बताया कि पति पैसे जरूर कम कमाते थे लेकिन घर में खुशियां ही खुशियां थीं. लेकिन बीमार होने के बाद से घर की हालत ये है कि 8 दिनों से घर का चूल्हा भी नहीं जल रहा है. कांति का कहना है कि परिवार की ऐसी हालत देखकर आसपास के लोग मासूम बच्चों को खाना खिला देते हैं. लेकिन पति को इस हालत में देखकर उनकी भूख पूरी तरह से मिट चुकी है. ऐसे में उसकी पत्नी को अपने बच्चों के पालन-पोषण की चिंता सताने लगी है.

Gopalganj
देवतानंद के मासूम बच्चे

मदद की भीख मांग रही पत्नी
पैसे के अभाव में देवतानंद इलाज के लिए लखनऊ नहीं जा सका. वह बेसुध होकर घर के कोने में एक चारपाई पर पड़ा रहता है. देवतानंद पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है लेकिन अब वह अपनी जिंदगी के लिए लोगों से मदद की आस लगाए हुए हैं. पति की ऐसी हालत देख दिव्यांग पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. उसकी आंखों से सिर्फ और सिर्फ आंसू निकल रहे हैं. उसकी पत्नी इलाज के लिए घर-घर जाकर मदद की भीख मांग रही है.

Gopalganj
रोती हुई पत्नी और बूढ़ी मां

गोपालगंज: जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर मांझा प्रखंड के मधु सरेया गांव में एक शख्स ब्रेनहेमरेज होने के कारण जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है. इलाज के लिए उसे मदद की जरूरत है. पैसे के आभाव में उसका इलाज नहीं हो पा रहा है. वहीं, दिव्यांग पत्नी, बूढ़ी मां और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है.

खटिए पर पड़े देवतानंद को मदद की दरकार

पत्नी लगा रही मदद की गुहार
मधु सरेया गांव निवासी देवतानंद यादव को आठ दिन पहले ब्रेनहेमरेज हो गया था. देवतानंद के घर में दिव्यांग पत्नी के अलावा पांच मासूम बच्चे और बूढ़ी मां हैं. पत्नी कांति ने बताया कि बीते 16 सिंतबर को पति रात को शौच करने उठे. पैर फिसलने की वजह से अचानक गिर पड़े. स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें इलाज के लिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया.

Gopalganj
देवतानंद के पास बच्चों के साथ बैठी पत्नी

इलाज में खर्च होंगे 5 लाख रूपये
कांति ने बताया कि डॉक्टरों ने पति के इलाज में पांच लाख रूपये का खर्च होने की बात कही है. लेकिन घर में पैसे नहीं होने के कारण पति का इलाज करवाना असंभव हो गया है. पत्नी ने बताया कि हमारी स्थिति देखकर कुछ स्थानीय लोगों ने चंदा करके पैसे दिए थे. लेकिन कुछ दिन की दवा लेने के बाद वो भी खत्म हो गए. अब पैसों की किल्लत से पति को घर लाने पर मजबूर हो गए और उनका इलाज नहीं हो पा रहा है.

Gopalganj
8 दिनों से नहीं जल रहा घर का चूल्हा

मजदूरी कर चलाता था घर
मजदूरी करके अपने घर के सात लोगों का पेट पालता देवतानंद परिजनों के लिए किसी देवता से कम नहीं था. लेकिन जब से उसे ब्रेनहेमरेज हुआ तबसे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. उसपर दिव्यांग पत्नी कांति, पांच मासूम बच्चों और बूढ़ी मां की जिम्मेदारी है. उनकी पत्नी ने बताया कि पति पैसे जरूर कम कमाते थे लेकिन घर में खुशियां ही खुशियां थीं. लेकिन बीमार होने के बाद से घर की हालत ये है कि 8 दिनों से घर का चूल्हा भी नहीं जल रहा है. कांति का कहना है कि परिवार की ऐसी हालत देखकर आसपास के लोग मासूम बच्चों को खाना खिला देते हैं. लेकिन पति को इस हालत में देखकर उनकी भूख पूरी तरह से मिट चुकी है. ऐसे में उसकी पत्नी को अपने बच्चों के पालन-पोषण की चिंता सताने लगी है.

Gopalganj
देवतानंद के मासूम बच्चे

मदद की भीख मांग रही पत्नी
पैसे के अभाव में देवतानंद इलाज के लिए लखनऊ नहीं जा सका. वह बेसुध होकर घर के कोने में एक चारपाई पर पड़ा रहता है. देवतानंद पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है लेकिन अब वह अपनी जिंदगी के लिए लोगों से मदद की आस लगाए हुए हैं. पति की ऐसी हालत देख दिव्यांग पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. उसकी आंखों से सिर्फ और सिर्फ आंसू निकल रहे हैं. उसकी पत्नी इलाज के लिए घर-घर जाकर मदद की भीख मांग रही है.

Gopalganj
रोती हुई पत्नी और बूढ़ी मां
Intro:गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर मांझा प्रखंड के मधु सरिया गांव में एक शख्स पैसे के अभाव में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। चारपाई पर लेटे हुए इस शख्स को किसी मददगार का इंतजार है। जो उसका मदद करें और इसे एक नई जिंदगी दे। दरअसल मधु सरेया गांव निवासी रामायण यादव के पुत्र देवतानंद यादव ब्रेन हैमरेज से पीड़ित है। डॉक्टरों ने लखनऊ ले जाने की सलाह दी है। लेकिन इसके पत्नी कांति के पास उतने पैसे नही है कि वह अपने पति के इलाज कराने लखनऊ लेकर जा सके। अब ऐसे में इसकी पत्नी लोगो से मदद के गुहार लगा रही है।

बाइट-कांति, पत्नी








Body:इस व्यक्ति के ऊपर पाँच मासूम बच्चे व दिव्यांग पत्नी कांति की जिम्मेदारी थी। मेहनत मजदूरी कर के अपने परिवार का भरण पोषण करता था। मेहनत मजदूरी के बल पर वह अपने परिवार को हर खुशी देता था। लेकिन अचानक ईश्वर ने वह कर दिखाया जिसे ये कभी सोचा भी नही था। आज यह व्यक्ति वेसुध होकर चारपाई पर लेटा हुआ है। इसके दिव्यांग पत्नी के आंखों से लगातार आंसू की धारा बह रही है मासूम बच्चो के चेहरे पर एक अलग ही खामोशी छाई हुई है। लाचार बेवस पत्नी लोगो से कर्ज लेकर अपने पति का इलाज कराना शुरू किया। अब लोग कर्ज भी नही देते है। स्थानीय लोग परिवार के स्थिति देखकर मदद के लिए आगे आये। इसके बाद इलाज के लिए लोगों से चंदे लिए गए। अपने समर्थ के अनुसार लोगो ने चंदा देकर उसे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए ले गए। लेकिन डॉक्टरो ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए लखनऊ रेफर कर दिया। साथ ही इनके इलाज में 5 लाख रुपये खर्च होने की बात कही गई। अब इतने पैसे की जुगाड़ लाचार दिव्यांग पत्नी नही कर पा रही है। अपने बीमार पति को लेकर घर पर ही आ गई। अब तो नाही कोई चंदा दे रहा है और नही कोई कर्ज। हालात ये उतपन्न हो गए है कि इसके घर मे चुन्हे भी नही जल रहे है, मासूम बच्चो को किसी तरह आस पास के लोग कुछ खिला दे रहे है। इसकी पत्नी को अपने 5 मासूम बच्चो की चिंता सता रही है। की इन पांचों बच्चो का पालन पोषण कैसे होगा। अब इसे सिर्फ ऊपर वालो की ही भरोसा है।।पिछले आठ दिन पहले यह रात को शौच करने उठा था लेकिन वह अचानक गिर गया। स्थानीय लोगो के मदद से इसे सदर अस्पताल ले जाया गया। जहाँ चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए लखनऊ भेज दिया है। पैसे के अभाव में देवतानंद लखनऊ नही जा सका। आज बेसुध अपने घर पर ही एक चारपाई पर युही पड़ा हुआ है। इस पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है लेकिन अब यह सिर्फ और सिर्फ अपने जिंदगी के लिए लोगों से मदद की आस लगाए हुए है। अपने पति की स्थिति को देख दिव्यांग पत्नी कांति के रो रो कर बुरा हाल है। उसके आंखों से सिर्फ और सिर्फ आंसू निकल रहे हैं। लगातार उसकी पत्नी लोगों के पास जाकर मदद की भीख मांग रही है।



Conclusion:na
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.