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Gopalganj News: गोपालगंज में पारको पाइन से तटबंध को किया जा रहा सुरक्षित... जानिए कैसे करेगा काम?

बिहार के गोपालगंज में बाढ़ को लेकर बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है. सारण गंडक नदी के तटबंध को पारको पाइन से सुरक्षित किया जा रहा है. प्रशासन का दावा है कि इससे बहुत हद तक कटाव को कम किया जा सकता है. गोपालगंज में ढाई करोड़ की लागत से तटबंध को सुरक्षित करने का काम किया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 8, 2023, 10:08 PM IST

सचिन कुमार, एसडीओ, बाढ़ नियंत्रण व जल संसाधन

गोपालगंजः बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) हर साल आती है. इस बाढ़ के कारण लाखों लोग विस्थापित हो जाते हैं. बिहार में बाढ़ कोई नई बात नहीं है. सरकार बाढ़ से निपटने के लिए हर साल तैयारी करती है, लेकिन रिजल्ट वही रहता है, जैसे हर साल का होता है. हर साल लोगों के घर डूबते हैं. इस बार भी बाढ़ से पहले सरकार की ओर से तैयारी की जा रही है. नदी के तटबंध को मजबूत किया जा रहा है. बिहार के गोपालगंज में गंडक नदी खूब तबाही मचाती है. इस बार गंडक नदी के तटबंध को मजबूत करने के लिए परको पाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः सिवान में बाढ़ राहत घोटाले की जांच करेगी EoU, आरोपी पर कार्रवाई नहीं करने पर HC ने दिखाई सख्ती

गंडक नदी के तटबंध को किया जा रहा मजबूतः प्रशासन का दावा है कि परको पाइन से काफी हद तक बाढ़ को रोका जा सकता है. अधिकारी तो इसे 100 प्रतिशत सफल मानते हैं. इसी कारण गोपालगंज में 2 करोड़ की लागत से गंडक नदी के तटबंध को मजबूत किया जा रहा है. जिले के बैकुंठपुर प्रखंड के मुंजा गांव के पास बाढ़ नियंत्रण एवं जल संसाधन विभाग द्वारा दो करोड़ 60 लाख की लागत से परको पाइन का निर्माण कराया जा रहा है. इससे सारण तटबंध को सुरक्षित किया जाएगा. इसको लेकर विभाग द्वारा युद्ध स्तर पर काम किए जा रहे हैं।

पानी का दबाव कम बनता हैः दरअसल गोपालगंज जिले के लोग बाढ़ और कटाव के विभीषिका से काफी परेशान रहते हैं. बाढ़ और कटाव ने न जाने कितने लोगों के घर और कई एकड़ जमीन को अपने आगोश में ले लिया है. सारण तटबंध को सुरक्षित रखने के लिए बैकुंठपुर प्रखंड के मुंजा गांव के पास गंडक नदी के किनारे 2 करोड़ 60 लाख के लागत से पारको पाइन का निर्माण करा कर कटाव रोधी कार्य किए जा रहे है. बता दें कि परको पाइन सीमेंट से बनाया जाता है, जो क्रॉस नूमा बनाकर बांध के किनारे लगाया जाता है, इसके बांध में पानी का दबाव कम बनता है और कटाव कम होता है.

"25 फरवरी से यह काम शुरू हुआ था, जिसे 15 मई तक पूरा करनें का लक्ष्य रखा गया है. जिसे हम लोग पूरा कर लेंगे. इसमें दो तरह के नेचर वर्ग के काम किए जा रहे है. एक जिओ गैबियन और दूसरा 460 मीटर में परको पाइन का काम किया जा रहा है. परको पाइन से काफी हद तक बाढ़ को टाला जा सकता है. इससे कटाव कम होता है." -सचिन कुमार, एसडीओ, बाढ़ नियंत्रण व जल संसाधन

सचिन कुमार, एसडीओ, बाढ़ नियंत्रण व जल संसाधन

गोपालगंजः बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) हर साल आती है. इस बाढ़ के कारण लाखों लोग विस्थापित हो जाते हैं. बिहार में बाढ़ कोई नई बात नहीं है. सरकार बाढ़ से निपटने के लिए हर साल तैयारी करती है, लेकिन रिजल्ट वही रहता है, जैसे हर साल का होता है. हर साल लोगों के घर डूबते हैं. इस बार भी बाढ़ से पहले सरकार की ओर से तैयारी की जा रही है. नदी के तटबंध को मजबूत किया जा रहा है. बिहार के गोपालगंज में गंडक नदी खूब तबाही मचाती है. इस बार गंडक नदी के तटबंध को मजबूत करने के लिए परको पाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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गंडक नदी के तटबंध को किया जा रहा मजबूतः प्रशासन का दावा है कि परको पाइन से काफी हद तक बाढ़ को रोका जा सकता है. अधिकारी तो इसे 100 प्रतिशत सफल मानते हैं. इसी कारण गोपालगंज में 2 करोड़ की लागत से गंडक नदी के तटबंध को मजबूत किया जा रहा है. जिले के बैकुंठपुर प्रखंड के मुंजा गांव के पास बाढ़ नियंत्रण एवं जल संसाधन विभाग द्वारा दो करोड़ 60 लाख की लागत से परको पाइन का निर्माण कराया जा रहा है. इससे सारण तटबंध को सुरक्षित किया जाएगा. इसको लेकर विभाग द्वारा युद्ध स्तर पर काम किए जा रहे हैं।

पानी का दबाव कम बनता हैः दरअसल गोपालगंज जिले के लोग बाढ़ और कटाव के विभीषिका से काफी परेशान रहते हैं. बाढ़ और कटाव ने न जाने कितने लोगों के घर और कई एकड़ जमीन को अपने आगोश में ले लिया है. सारण तटबंध को सुरक्षित रखने के लिए बैकुंठपुर प्रखंड के मुंजा गांव के पास गंडक नदी के किनारे 2 करोड़ 60 लाख के लागत से पारको पाइन का निर्माण करा कर कटाव रोधी कार्य किए जा रहे है. बता दें कि परको पाइन सीमेंट से बनाया जाता है, जो क्रॉस नूमा बनाकर बांध के किनारे लगाया जाता है, इसके बांध में पानी का दबाव कम बनता है और कटाव कम होता है.

"25 फरवरी से यह काम शुरू हुआ था, जिसे 15 मई तक पूरा करनें का लक्ष्य रखा गया है. जिसे हम लोग पूरा कर लेंगे. इसमें दो तरह के नेचर वर्ग के काम किए जा रहे है. एक जिओ गैबियन और दूसरा 460 मीटर में परको पाइन का काम किया जा रहा है. परको पाइन से काफी हद तक बाढ़ को टाला जा सकता है. इससे कटाव कम होता है." -सचिन कुमार, एसडीओ, बाढ़ नियंत्रण व जल संसाधन

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