गोपालगंजः जिले में सिधवलिया प्रखण्ड के बखरौर बथान टोला गांव स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में विभाग की घोर लापरवाही देखने को मिल रही है. यहां पढ़ाने वाले शिक्षक तो हैं, लेकिन पढ़ने वाले बच्चे गायब हैं. ये सिलसिला पूरे एक साल से चल रहा है लेकिन आज तक विभाग की नजर इस तरफ नहीं पहुंची.
2006 में हुई थी स्थापना
स्कूल की स्थापना साल 2006 में हुई थी, तब इसमें काफी संख्या में बच्चे पढ़ने आते थे. स्कूल का दो मंजिला भवन भी काफी खूबसूरती से बनाया गया था. बच्चों के पढ़ने के लिए अलग-अलग वर्ग, किचन शेड के साथ शौचालय और प्राचार्य के कक्ष बनाए गए थे.
तालों पर जमा हैं धूल
दीवारों पर मोटे-मोटे अक्षरों में 'गइया बकरियां चरती जाएं, मुनिया बेटी पढ़ती जाए', 'पढ़ी लिखी बहना, घर की है गहना' जैसे स्लोगन लिखे गए हैं. लेकिन दुर्भाग्यवश न इसमें मुनिया बेटी पढ़ती है और न ही बहना शिक्षा ग्रहण करती है. स्कूल के चारों ओर बड़े-बड़े घास उग गए हैं. क्लास रूम के दरवाजों पर लगे ताले पर धूल और जंग लग गए हैं. जिसे देखकर पता चलता है कि ये सालों से बंद है.
बिना पढ़ाए मिल रहा शिक्षकों को वेतन
बस्ती से दूर एकांत में स्थित स्कूल की शिक्षिका रेणु ने बताया कि ये प्रशासनिक उदासीनता, आपसी रंजिश और जातिवाद की भेंट चढ़ चुका है. अभिभावकों के मना करने की वजह से बच्चे यहां पढ़ने नहीं आते हैं, लेकिन शिक्षक नियमित तौर पर आते हैं. बिना पढ़ाए शिक्षा विभाग इन शिक्षकों को नियमित वेतन भी दे रहा है.
विभाग की अनदेखी
स्कूल में 1 साल पहले तक 35 बच्चों के नाम रजिस्टर में दर्ज थे, जो अब 5 रह गए हैं. सरकार स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रयास कर रही है. इसके बावजूद विभाग की अनदेखी के कारण शिक्षा व्यवस्था का ये हाल है.