गोपालगंज: जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर माझा प्रखंड के मधु सरेया गांव निवासी देवतानंद यादव 8 दिनों से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे थे. पैसों के अभाव में वो ये जंग हार गए. अब वो इस दुनिया में नहीं है. अफसोस की बात तो ये है कि देवतानंद यादव की के लिए सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई सहायता मुहैया नहीं कराई जा सकी. वहीं, उनके बेबस लचार बच्चों के सिर से बाप का साया उठ चुका है.
देवतानंद यादव को आठ दिन पहले ब्रेनहेमरेज हो गया था. देवतानंद के घर में दिव्यांग पत्नी के अलावा पांच मासूम बच्चे और बूढ़ी मां हैं. पत्नी कांति ने बताया कि बीते 16 सिंतबर को पति रात को शौच करने उठे. पैर फिसलने की वजह से अचानक गिर पड़े. स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें इलाज के लिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया.
इलाज में खर्चा था 5 लाख रूपये
देवतानंद के इलाज के लिए डॉक्टरों ने पांच लाख रुपये का खर्च होने की बात कही थी. लेकिन घर में पैसे नहीं होने के कारण पति का इलाज करवाना असंभव था. ईटीवी भारत ने देवतानंद की खबर को प्राथमिकता के साथ दिखाया और संभव मदद भी की. लेकिन सरकार के किसी रहनुमा ने इस पीड़ित परिवार से मिलना मुनासिब नहीं समझा. आज देवतानंद इस दुनिया में नहीं है.
न तन में कपड़ा, अब बाप का साया भी बिछड़ा
न तन में कपड़ा, न खाने को दो वक्त की रोटी. ऊपर से अब पांच मासूम बच्चों के सिर से बाप का साया उठ जाना. हाय रे! ये कैसा जुल्म. कुछ यही शब्द निकलते हैं देवतानंद के परिवार की हालत देख कर. मां का रो-रोकर बुरा हाल है. पत्नी बदहवास है. कैसे कटेगी इनकी पूरी उम्र बस सरकार से यही सवाल है.
मजदूर परिवार पर ये कैसा सितम...
मजदूर की पत्नी की माने तो उसने गांव के मुखिया से मदद की गुहार लगायी थी. वहीं, देवतानंद मजदूरी कर घर चला रहा था. बच्चों की पढ़ाई से लेकर बूढ़ी मां की लाठी देवतानंद अब इस दुनिया मे नहीं है. गोपालगंज के माझा प्रखंड में कई परिवार सरकारी योजनाओं से वंछित है. यहां की बीमार सविता का परिवार हो या देवानंद का, ये तस्वीरें ये बताने को काफी है कि गरीबी के कारण इस गांव के लोगों का क्या हाल है.