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ग्रांउड रिपोर्ट : गोपालगंज के इस स्कूल में जान हथेली पर लेकर पढ़ते हैं बच्चे

इस स्कूल के छात्रों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. यहां बच्चे आज भी जान हथेली पर रखकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. छात्रों के मन में पढ़ लिख कर कुछ हासिल करने की इच्छा है लेकिन जर्जर भवन इनके भविष्य की राह में मुश्किलें पैदा कर रहा है.

जान हथेली पर रख कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर छात्र
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Published : Aug 17, 2019, 11:12 PM IST

गोपालगंज: जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर फुलवरिया प्रखंड के बथुआ बाजार स्थित राजकीय प्राथमिक मकतब विद्यालय में बच्चे जान हथेली पर रखकर पढ़ते हैं. प्रशासन बेहतर शिक्षा के चाहे जितने भी दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत पर यह दावे फेल ही साबित हो रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित छात्र
यहां के सरकारी स्कूलों में छात्रों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है. यहां बच्चे आज भी जान हथेली पर रखकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. इन छात्रों के मन में पढ़ लिख कर कुछ हासिल करने की इच्छा है लेकिन जर्जर भवन इनके भविष्य की राह में मुश्किलें पैदा कर रहा है. यहां हमेशा खतरा बरकरार रहता है. जिस जर्जर छत में बांस लगाकर उसे सहारा दिया गया है. उसी के नीचे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. छत गिरने का डर हमेशा बना रहता है. बथुआ बाजार स्थित इस विद्यालय की स्थापना 1910 में हुई थी. तब से आज तक इस भवन की मरम्मत नहीं की गई. जिसके कारण यह जर्जर हो गई है.

जान हथेली पर रख कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर छात्र

स्कूल की जर्जर छत
बारिश के दिनों में छत से पानी टपकने से क्लास रूम में पढ़ रहे बच्चों को काफी परेशानी होती है. ज्यादा बारिश होने पर खड़े होने की भी जगह नहीं मिलती. पढ़ाई बंद कर बच्चों को मजबूरन घर जाना पड़ता है. स्कूल की छत काफी जर्जर हो चुकी है. इसी छत के नीचे बच्चों को पढ़ाया जाता है. यहां के शिक्षक और प्राचार्य ने कई बार अधिकारियों से इसपर बात की. लेकिन उन्होंने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. समय से पहले किसी भी हादसे से बचने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है.

Gopalganj news
राजकीय प्राथमिक मकतब विद्यालय

स्कूल में पर्याप्त जगह नहीं
इस स्कूल में करीब 90 बच्चे पढ़ते हैं. बच्चे पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं. वह हमेशा अपने स्कूल भी पहुंचते हैं, लेकिन स्कूल में पर्याप्त जगह ना होने के कारण कुछ बच्चों को स्कूल के बरामदे में बिठाया जाता है. शिक्षा विभाग की तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है. मजबूरन यहां के शिक्षकों को इसी छत के नीचे बिठाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. ईटीवी भारत ने जब स्कूल का जायजा लिया तो कुछ बच्चे बाहर घर से बोरी लाकर बरामदे में बैठकर पढ़ रहे थे, तो वहीं कुछ बच्चे क्लास रूम में टूटी हुई छत के नीचे बैठ कर पढ़ रहे थे.

Gopalganj news
स्कूल की टूटी छत

अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं
क्लास टीचर अफसाना बेगम ने बताया कि कहीं और जगह नहीं होने से मजबूरी में यहीं पढ़ाना पड़ता है. कई बार एचएम से अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन अधिकारी कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हैं. वहीं यहां की छात्रा सेहरा ने बताया कि वो लोग डर के साए में पढ़ते हैं. उसे अफसर बनना है इसलिए पढ़ना भी जरूरी है. इस संदर्भ में स्कूल के प्रधानाध्यापक अजिमुल्लाह का कहना है कि उन्होंने बताया किसी तरह बच्चों को यहां पढ़ाया जा रहा है. जर्जर भवन में पढ़ाना मजबूरी है. कई बार अधिकारियों को इसके बारे में अवगत कराया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं जब जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी. बीओ को इसके लिए जांच करने का निर्देश दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्कूल को दूसरे भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

गोपालगंज: जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर फुलवरिया प्रखंड के बथुआ बाजार स्थित राजकीय प्राथमिक मकतब विद्यालय में बच्चे जान हथेली पर रखकर पढ़ते हैं. प्रशासन बेहतर शिक्षा के चाहे जितने भी दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत पर यह दावे फेल ही साबित हो रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित छात्र
यहां के सरकारी स्कूलों में छात्रों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है. यहां बच्चे आज भी जान हथेली पर रखकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. इन छात्रों के मन में पढ़ लिख कर कुछ हासिल करने की इच्छा है लेकिन जर्जर भवन इनके भविष्य की राह में मुश्किलें पैदा कर रहा है. यहां हमेशा खतरा बरकरार रहता है. जिस जर्जर छत में बांस लगाकर उसे सहारा दिया गया है. उसी के नीचे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. छत गिरने का डर हमेशा बना रहता है. बथुआ बाजार स्थित इस विद्यालय की स्थापना 1910 में हुई थी. तब से आज तक इस भवन की मरम्मत नहीं की गई. जिसके कारण यह जर्जर हो गई है.

जान हथेली पर रख कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर छात्र

स्कूल की जर्जर छत
बारिश के दिनों में छत से पानी टपकने से क्लास रूम में पढ़ रहे बच्चों को काफी परेशानी होती है. ज्यादा बारिश होने पर खड़े होने की भी जगह नहीं मिलती. पढ़ाई बंद कर बच्चों को मजबूरन घर जाना पड़ता है. स्कूल की छत काफी जर्जर हो चुकी है. इसी छत के नीचे बच्चों को पढ़ाया जाता है. यहां के शिक्षक और प्राचार्य ने कई बार अधिकारियों से इसपर बात की. लेकिन उन्होंने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. समय से पहले किसी भी हादसे से बचने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है.

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राजकीय प्राथमिक मकतब विद्यालय

स्कूल में पर्याप्त जगह नहीं
इस स्कूल में करीब 90 बच्चे पढ़ते हैं. बच्चे पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं. वह हमेशा अपने स्कूल भी पहुंचते हैं, लेकिन स्कूल में पर्याप्त जगह ना होने के कारण कुछ बच्चों को स्कूल के बरामदे में बिठाया जाता है. शिक्षा विभाग की तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है. मजबूरन यहां के शिक्षकों को इसी छत के नीचे बिठाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. ईटीवी भारत ने जब स्कूल का जायजा लिया तो कुछ बच्चे बाहर घर से बोरी लाकर बरामदे में बैठकर पढ़ रहे थे, तो वहीं कुछ बच्चे क्लास रूम में टूटी हुई छत के नीचे बैठ कर पढ़ रहे थे.

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स्कूल की टूटी छत

अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं
क्लास टीचर अफसाना बेगम ने बताया कि कहीं और जगह नहीं होने से मजबूरी में यहीं पढ़ाना पड़ता है. कई बार एचएम से अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन अधिकारी कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हैं. वहीं यहां की छात्रा सेहरा ने बताया कि वो लोग डर के साए में पढ़ते हैं. उसे अफसर बनना है इसलिए पढ़ना भी जरूरी है. इस संदर्भ में स्कूल के प्रधानाध्यापक अजिमुल्लाह का कहना है कि उन्होंने बताया किसी तरह बच्चों को यहां पढ़ाया जा रहा है. जर्जर भवन में पढ़ाना मजबूरी है. कई बार अधिकारियों को इसके बारे में अवगत कराया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं जब जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी. बीओ को इसके लिए जांच करने का निर्देश दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्कूल को दूसरे भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

Intro:शासन-प्रशासन बेहतर शिक्षा के चाहे जितने भी दावे पेश कर ले लेकिन जमीनी हकीकत पर यह दावे फेल ही साबित हो रहे हैं। क्योंकि गोपालगंज जिले में सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। जहां बच्चे आज भी जान हथेली पर रखकर शिक्षा की तालीम सीखते हैं। इन बच्चों के मन में पढ़ लिख कर कुछ कर गुजरने की तमन्ना तो जरूर है लेकिन जर्जर भवन में अपना भविष्य कैसे बना सकते हैं। जहां हमेशा जान का खतरा बरकरार रखता हो। हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय गोपालगंज से 30 किलोमीटर दूर फुलवरिया प्रखंड के बथुआ बाजार स्थित राजकीय प्राथमिक मकतब विद्यालय की जहां के बच्चे जान हथेली पर रखकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। जिसे देखकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे की जर्जर छत में बांस लगाकर उसे सहारा दिया गया है। और उसे रोका गया है, उसी जगह छत के नीचे यहां के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। बच्चों को हमेशा डर बना रहता है कि कब यह जर्जर छत शरीर पर गिर जाएगा कोई नहीं जानता।










Body:बथुआ बाजार स्थित राजकीय मकतब प्राथमिक विद्यालय की स्थापना वर्ष 1910 ईस्वी में हुई थी। तब से आज तक इस भवन की मरम्मत नहीं की गई। जिसके कारण या भवन जर्जर हो गई है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकना जब शुरू हो जाता है तब क्लास रूम में पढ़ रहे बच्चो के किताब कॉपी भीग जाते हैं। वही ज्यादा बारिश होने पर खड़ा होने की भी जगह नहीं मिल पाती। मजबूरन बच्चे पढ़ाई बंद कर अपने घर चले जाते हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि स्कूल के छत काफी जर्जर हो चुके हैं। छत पर लगे कंडी टूट चुके हैं, जिसमें बांस का सहारा दिया गया है। और इसी जर्जर छत के नीचे बच्चों को शिक्षक पढ़ाते हैं। उन्हें इस बात का जरा भी फिक्र नहीं है कि यह छत कब धराशाई हो जाएगा और बड़ी हादसा हो जाएगी कोई नहीं जानता। यहां के शिक्षक व प्राचार्य कई बार अधिकारियों के इस बात से अवगत कराया लेकिन अधिकारी इस बात पर ध्यान देने की कोशिश नहीं करते। शायद उन्हें इंतजार है किसी बड़े हादसे की जब कोई हादसा हो जाएगा और सिर्फ अधिकारी जांच का भरोसा देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देंगे। लेकिन समय के पूर्व हादसे को बचाने के लिए कोई ठोस पहल करना उचित नहीं समझते। राजकीय मकतब प्राथमिक विद्यालय में करीब 90 बच्चे नामांकित है। बच्चे लगातार शिक्षा ग्रहण करने के प्रति गंभीर है। वह हमेशा अपने स्कूल भी पहुंचते हैं। लेकिन स्कूल में पर्याप्त जगह ना होने के कारण कुछ बच्चों को स्कूल के बरामदे में बैठाए जाते हैं। कुछ बच्चों को जर्जर वर्ग में बैठाए जाते हैं। आखिर बच्चों को शिक्षा जो देनी है। आखिर में बच्चे कहां बैठे ताकि जर्जर भवन से छुटकारा मिल सके और शिक्षा ग्रहण भी कर सके। लेकिन दुर्भाग्य है कि शिक्षा विभाग के तरह से कोई पहल नही हो रही। मजबूरन यहां के शिक्षक इन्ही जर्जर छत के नीचे बैठाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं। ईटीवी भारत ने जब स्कूल का जायजा लिया तो कुछ बच्चे बाहर घर से बोरी लाकर बरामदे में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो कुछ बच्चे क्लास रूम में टूटी हुई छत के नीचे बैठे हुए थे और शिक्षक पढ़ा रहे थे। जिसे देख कर किसी की भी रूह कांप जाएगी इतनी बड़ी खतरनाक क्लास रूम में यह बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं। हमने जब क्लास में मौजूद क्लास टीचर अफसाना बेगम से जब बात की तो उन्होंने अपनी दुखड़ा बताते हुए कहा कि मजबूरी है इसी में पढ़ाना क्योंकि अन्य कहीं जगह नहीं है। यह स्कूल भी काफी जर्जर हो चुका है। कई बार एचएम द्वारा अधिकारियों को सूचित किया गया लेकिन अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं है। वही वर्ग में पढने वाली छात्रा सेहरा से जब हमने बात की तो छात्रा ने कहा कि इसी तरह हम लोग डर के साए में पढ़ते हैं लेकिन पढ़ना हमें जरूरी है। क्योंकि मुझे अफसर बनना है। अब ऐसे में इस बच्ची के मन में अफसर बनने का जो सपना है वो कैसे पुरा होगा। इस संदर्भ में जब हमने स्कूल के प्रधानाध्यापक अजिमुल्लाह से बात की तो उन्होंने बताया कि यह भवन काफी जर्जर है। यहां 90 बच्चे नामांकित है किसी तरह बच्चो को पढ़ाया जा रहा है। जर्जर वर्ग में पढ़ाना मजबूरी है। कई बार अधिकारियों को इसके बारे में अवगत कराया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई। इस संदर्भ में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आपके माध्यम से जानकारी मिली है बीओ को इसके लिए जांच करने का निर्देश दिया जाएगा। और जर्जर भवन को दूसरे स्कूल ने शिफ्ट कर दिया जाएगा।



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