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गोपालगंज: ठंढ़ और शीतलहर से फसलों में लगा झुलसा रोग, किसानों की बढ़ी परेशानी

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Published : Jan 5, 2020, 11:23 AM IST

पिछले कुछ दिनों से शीतलहर की वजह से धूप नहीं निकल रही है. आलू के अलावा अन्य सब्जियों की फसल पर भी झुलसा रोग का प्रकोप नजर आने लगा है. इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है.

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ठंढ और शीतलहर से फसलों में लगा झुलसा रोग

गोपालगंज: जिले में कड़ाके की ठंड और शीतलहर से जहां लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है. वहीं खेतों में लगे फसलों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है. इस मौसम में सब्जी के फसल झुलसा रोग से बर्बाद हो रहे हैं, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

झुलसा रोग सब्जियों के लिए नुकसानदायक
बता दें कि आलू उत्पादन के लिए झुलसा रोग हर साल मुसीबत लेकर आता है. महिला किसान गायत्री देवी ने बताया कि इस बार ठंड और शीतलहर ज्यादा होने की वजह से आलू की फसल ठीक नहीं निकल रही है. वहीं, किसान उमेश सिंह और फिरोज आलम ने बताया कि ठंड ज्यादा होने से खेतों में लगे फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. उन्होंने बताया कि किसानों को हमेशा मौसम की मार झेलनी पड़ती है.

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झुलसा रोग से मुरझाए फसल

रबी के लिए उपयुक्त मौसम
पिछले कुछ दिनों से शीतलहर की वजह से धूप नहीं निकल रही है. आलू के आलावा अन्य सब्जियों की फसल पर भी झुलसा रोग का प्रकोप नजर आने लगा है. हालांकि अभी इसका असर शुरुआती चरण में है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इस मौसम में गेहूं, गन्ना से लेकर रबी की सभी फसलों के पौधे का विकास होता है. वहीं आलू सहित सब्जी की फसलें बर्बाद होने लगती है.

ठंढ़ और शीतलहर से फसलों में लगा झुलसा रोग

क्या है लक्षण:

  • ठंड से पौधों की पत्तियां और फूल झुलसने लगते हैं.
  • फलिया और बालियों में दाने नहीं बनते और वह सिकुड़ जाते हैं.

सर्दी के मौसम में टमाटर, आलू, बैगन, मटर, चना, जीरा, धनिया, सौंफ इत्यादि फसलों में सबसे ज्यादा 85 से 92 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है. वहीं गेहूं और जौ को 10 से 20% तक नुकसान हो सकता है.

सब्जी की फसलों को झुलसा रोग से बचाने के उपाय

  • प्रति कट्ठा के ढाई एमएल डाईईथेन एम 45 का दस लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. छिड़काव करने से झुलसा रोग का असर खत्म हो जाता है.
  • अगर सब्जी की फसल पर झुलसा रोग का असर अधिक दिखे तो किसानों को प्रति कट्ठा में ढाई एमएल रिडोमिल दवा का दस लीटर में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

गोपालगंज: जिले में कड़ाके की ठंड और शीतलहर से जहां लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है. वहीं खेतों में लगे फसलों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है. इस मौसम में सब्जी के फसल झुलसा रोग से बर्बाद हो रहे हैं, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

झुलसा रोग सब्जियों के लिए नुकसानदायक
बता दें कि आलू उत्पादन के लिए झुलसा रोग हर साल मुसीबत लेकर आता है. महिला किसान गायत्री देवी ने बताया कि इस बार ठंड और शीतलहर ज्यादा होने की वजह से आलू की फसल ठीक नहीं निकल रही है. वहीं, किसान उमेश सिंह और फिरोज आलम ने बताया कि ठंड ज्यादा होने से खेतों में लगे फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. उन्होंने बताया कि किसानों को हमेशा मौसम की मार झेलनी पड़ती है.

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झुलसा रोग से मुरझाए फसल

रबी के लिए उपयुक्त मौसम
पिछले कुछ दिनों से शीतलहर की वजह से धूप नहीं निकल रही है. आलू के आलावा अन्य सब्जियों की फसल पर भी झुलसा रोग का प्रकोप नजर आने लगा है. हालांकि अभी इसका असर शुरुआती चरण में है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इस मौसम में गेहूं, गन्ना से लेकर रबी की सभी फसलों के पौधे का विकास होता है. वहीं आलू सहित सब्जी की फसलें बर्बाद होने लगती है.

ठंढ़ और शीतलहर से फसलों में लगा झुलसा रोग

क्या है लक्षण:

  • ठंड से पौधों की पत्तियां और फूल झुलसने लगते हैं.
  • फलिया और बालियों में दाने नहीं बनते और वह सिकुड़ जाते हैं.

सर्दी के मौसम में टमाटर, आलू, बैगन, मटर, चना, जीरा, धनिया, सौंफ इत्यादि फसलों में सबसे ज्यादा 85 से 92 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है. वहीं गेहूं और जौ को 10 से 20% तक नुकसान हो सकता है.

सब्जी की फसलों को झुलसा रोग से बचाने के उपाय

  • प्रति कट्ठा के ढाई एमएल डाईईथेन एम 45 का दस लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. छिड़काव करने से झुलसा रोग का असर खत्म हो जाता है.
  • अगर सब्जी की फसल पर झुलसा रोग का असर अधिक दिखे तो किसानों को प्रति कट्ठा में ढाई एमएल रिडोमिल दवा का दस लीटर में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
Intro:जिले में पड़ रही कड़ाके की ठंड व शीतलहर से जहां लोगों की दिनचर्या को काफी प्रभावित किया है। वहीं खेतों में लगे फसल भी इससे काफी प्रभावित हुए हैं। वही सर्दी के इस मौसम में सब्जी के फसल भी झुलसा रोग के कारण प्रभावित होते हुए दिखाई देने लगे है जिससे किसान काफी चिंतित व परेशान है।






Body:पूरा गोपलगंज जिला इस वक्त शीतलहर व कड़ाके की ठंढ के चपेट में है जिससे लोगो की दिनचर्या को भी प्रभावित किया है। वही इस लड़ाके की ठंढ के कारण सब्जी के फसलों में झुलसा रोग लगने से किसानों के मुश्किलें बढ़ा दी है। वही आलू उत्पादन के लिए झुलसा रोग हर साल मुसीबत लेकर आता है। इस संदर्भ में महिला किसान गायत्री देवी ने बताया कि इस बार ठंढ व शीतलहर ज्यादा होने के कारण आलू के फसल ठीक नही निकल रहा है। सब्जी के फसल में मरा गया है। वही किसान उमेश सिंह व फिरोज आलम के माने तो अत्यधिक ठंढ ने खेतो में लगे फसल को काफी नुकसान किया है जिससे झुलसा रोग लग गए है। मौसम की मार हम किसानों पर हमेशा ही पड़ते रहा है।

बाइट-गायत्री देवी
बाइट -फिरोज आलम, काला कोर्ट
बाइट,-उमेश सिंह

आलू के आलावे अन्य सब्जी के फसल पर अत्यधिक ठंढ के कारण झुलसा रोग का प्रकोप खेतों पर नजर आने लगा है। पिछले कुछ दिनों से जिला शीतलहर की चपेट में है । कड़ाके की ठंढ व आसमान में कोहरे की चादर ओढ़े रहने के कारण खिलकर धूप नहीं निकल पा रहे हैं। आलम यह है कि सब्जी की फसल पर झुलसा रोग का असर लगातार दिखने लगा है। हालांकि अभी झुलसा रोग का असर शुरुआती चरण में है। ऐसे में किसान समय रहते अपने फसलों को इस रोग से बचा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अभी मौसम रवि की फसलों के लिए आदर्श है। इस मौसम में गेहूं गन्ना से लेकर रबी की सभी फसलों के पौधे का विकास होता है। लेकिन कड़ाके की ठंड के कारण आलू सहित सब्जी की फसलों पर झुलसा रोग का असर भी होने लगता है।

बाइट-वरुण कुमार, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण

ज्ञातब्य हो कि अगर सब्जी की फसलों पर झुलसा रोग का असर दिखे तो प्रति कट्ठा के ढाई एमएल डाईईथेन एम 45 का दस लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव करने से झुलसा रोग का असर खत्म हो जाता है। अगर सब्जी के फसल पर झुलसा रोग का असर अधिक दिखे तो किसानों को प्रति कट्ठा में ढाई एमएल रिडोमिल दवा का दस लीटर में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
शीतलहर व पाला सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान पहुंचता है। टमाटर, आलू,बैगन,मटर,चना, जीरा,धनिया, सौंफ इत्यादि फसलों में सबसे ज्यादा 85से 92 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। वहीं गेहूं तथा जौ 10 से 20% तक नुकसान हो सकता है।

क्या है इसका लक्षण

पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलसने लगते हैं, वह बाद में झड़ जाते हैं। फलिया एवं बालियों में दाने नहीं बनते व सिकुड़ जाते हैं। रबी के सीजन में फसल के विकसित होते समय ठंढ की सर्वाधिक संभावनाएं होती है। इसलिए किसानों को पाले से फसल बचाने के लिए व्यापक इंतजाम करनी चाहिए।



Conclusion:अत्यधिक ठंढ से फसलों को भी नुकसादायक होते है भले ही गेंहू के लिए कुछ फायदे का हो लेकिन अन्य सब्जी के फसल में झुलसा रोग लग जाते है।
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