ETV Bharat / state

बिहार की बिटिया की गुहार- 'मैं जीना चाहती हूं, प्लीज मुझे बचा लो’…

author img

By

Published : Nov 21, 2021, 8:14 AM IST

Updated : Nov 21, 2021, 9:17 AM IST

यकीन मानिए यह खबर आपके दिल को झकझोर कर रख देगी.. बिहार की (Bihar news) 17 साल की कैंसर पीड़ित बेटी मरने से पहले रो-रोकर सरकार और लोगों मदद की (bihar Cancer patient daughter appeals) गुहार लगा रही है.. और कह रही है कि- 'मैं मर रही हूं.. प्लीज मुझे बचा लो...मैं अभी जीना चाहती हूं'. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार की बिटिया की गुहार
बिहार की बिटिया की गुहार

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज (Gopalganj News) की बेटी की यह खबर आपको अंदर से झकझोर कर रख देगी. दरअसल, जिले के उचकागांव प्रखंड के मकसूदपुर गांव में कैंसर से जूझ रही 17 साल की एक लड़की ने रो-रोकर सरकार और लोगों से मदद की (Bihar Cancer Patient Daughter Appeals) गुहार लगा रही और कह रही कि मैं मर रही हूं…प्लीज मुझे बचा लीजिए…

इसे भी पढ़ें : भागलपुर में मां के इलाज के लिए दर-दर भटक रहा है बेटा, वीडियो वायरल होने के बाद DM ने CS को दिया निर्देश

कैंसर पीड़ित बेटी के इलाज के लिए उसके पिता अब तक 7 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं, लेकिन परिवार की हालत अब ऐसी नहीं कि इलाज का खर्च वहन हो सके. ऐसे में इस लड़की ने ईटीवी भारत के जरिए आम लोगों के साथ-साथ सरकार से हाथ जोड़ कर मदद मांगी है. पीड़ित के पिता शेषनाथ महतो पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं. पांच बेटी व एक बेटे के भरण पोषण की जिम्मेदारी उनके कंधे पर है.

देखें वीडियो

वहीं पांच बेटियों में सबसे बड़ी बेटी 17 वर्षीय रिंकू कुमारी वर्ष 2018 में सातवीं कक्षा की छात्रा थी. पढ़ने में काफी तेज थी, उसकी लगन और मेहनत देख परिवार के अलावा आस-पास के लोग काफी खुश थे. रिंकू चाहती थी कि पढ़ाई कर के अधिकारी बने और मां बाप का नाम रोशन करे, लेकिन दुर्भाग्य से उसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गई. उसका सपना धीरे-धीरे दम तोड़ रहा है. अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण जब इलाज कराया गया तो डॉक्टरों ने जांच रिपोर्ट देख कर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी दी.

कैंसर से पीड़ित होने की जानकारी मिलते ही रिंकू व उसके परिवार के लोगों के पांव तले की जमीन खिसक गई. बावजूद पिता ने मजदूरी करके और कर्ज लेकर अपने बेटी को इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए काफी प्रयास किया, जो जहां बताता उसे वहां ले जाकर इलाज करवाया. मजबूर पिता ने हार नहीं मानी और उसके इलाज में अब तक 7 लाख रुपये खर्च कर दिए. लेकिन इलाज के बावजूद उसे कोई फायदा नहीं हुआ. अब डॉक्टरों द्वारा लखनऊ ले जाने की सलाह दी जा रही है. जिसमें करीब 5 लाख रुपए और खर्च होने की बात कही जा रही है. अब ऐसे में पिता के पास उतने पैसे नहीं है कि वह अपनी बेटी की इलाज करा सके. फिलहाल अब उसका इलाज बंद हो चुका है. दो सालों से रिंकू बिना इलाज के एक ही जगह बैठी रहती है.


पिता शेषनाथ की जेब खाली हो चुकी है लेकिन वो अपनी बिटिया को इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाना चाहते हैं. रिंकू पढ़ना चाहती हैं और जीना चाहती है. अन्य लड़कियों की तरह सुकून से, खुशी से रहना चाहती है. लेकिन कैंसर के कारण पढ़ाई भी नहीं कर पा रही है. रिंकू की बातों को सुनकर एक बार जरूर आपका दिल पसीज जाएगा. उसके पास जो भी जाता उसके पास वह फफक- फफक कर रोने लगती है. हाथ जोड़कर सरकार और लोगों से मदद की गुहार लगाती है.

'मैं मरना नहीं जीना चाहती हूं. अन्य लड़कियों की तरह पढ़ना चाहती हूं. मुझे भी अन्य लड़कियों की तरह घूमना, खुश रहना, सुकून से जीना है. लेकिन मुझे गंभीर बीमारी हो जाने के कारण मैं अन्य लड़कियों के तरह खुश नहीं रह सकती हूं. रात को सभी सोए रहते हैं और मैं रोती रहती हूं. मुझसे अब और कष्ट बर्दाश्त नहीं हो रहा है.' :- रिंकू कुमारी, कैंसर पीड़ित

रिंकू रो-रोकर सरकार से विनती कर कहती हैं की कितने लोगों को आप के द्वारा मदद की जाती है. मुझे भी मदद कीजिये, मेरे पिता ने अबतक 7 लाख रुपये खर्च कर दिए अब उनके पास पैसे खत्म हो गये हैं. मैं रोज दर्द से छटपटाती रहती हूं. मैं अपना दुखड़ा किससे कहूं? कौन मेरा दुःख सुनेगा? रिंकू हाथ जोड़कर ईटीवी भारत के लिए जरिए लोगों और सरकार से मदद की गुहार लगा रही है. वह कहती है कि सरकार और लोग मदद करेंगे तो मैं जी सकती हूं. स्वस्थ होकर फिर से स्कूल जा सकती हूं.

वहीं केंद्र सरकार हो या बिहार सरकार (Appeals To Bihar Government for help) हर कोई 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देकर कई योजनाएं संचालित करती हैं. लेकिन आज हमारे समाज में एक ऐसी बेटी है, जो जीना चाहती है और पढ़ना भी. लेकिन पैसे नहीं होने के चलते इसका इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसा नहीं है कि रिंकू के मर्ज का इलाज नहीं है. लेकिन पैसे के अभाव में वो तिल-तिलकर मर रही है. अभी भी मदद की उम्मीद पर रिंकू जिंदा है. देखना है उसकी ये उम्मीद सरकार कब तक पूरा करती है?

इसे भी पढ़ें : बक्सरः कैंसर पीड़ित ने फोनकर SP से मांगी मदद, पटना से मंगवाकर पुलिस ने पहुंचाई दवा

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज (Gopalganj News) की बेटी की यह खबर आपको अंदर से झकझोर कर रख देगी. दरअसल, जिले के उचकागांव प्रखंड के मकसूदपुर गांव में कैंसर से जूझ रही 17 साल की एक लड़की ने रो-रोकर सरकार और लोगों से मदद की (Bihar Cancer Patient Daughter Appeals) गुहार लगा रही और कह रही कि मैं मर रही हूं…प्लीज मुझे बचा लीजिए…

इसे भी पढ़ें : भागलपुर में मां के इलाज के लिए दर-दर भटक रहा है बेटा, वीडियो वायरल होने के बाद DM ने CS को दिया निर्देश

कैंसर पीड़ित बेटी के इलाज के लिए उसके पिता अब तक 7 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं, लेकिन परिवार की हालत अब ऐसी नहीं कि इलाज का खर्च वहन हो सके. ऐसे में इस लड़की ने ईटीवी भारत के जरिए आम लोगों के साथ-साथ सरकार से हाथ जोड़ कर मदद मांगी है. पीड़ित के पिता शेषनाथ महतो पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं. पांच बेटी व एक बेटे के भरण पोषण की जिम्मेदारी उनके कंधे पर है.

देखें वीडियो

वहीं पांच बेटियों में सबसे बड़ी बेटी 17 वर्षीय रिंकू कुमारी वर्ष 2018 में सातवीं कक्षा की छात्रा थी. पढ़ने में काफी तेज थी, उसकी लगन और मेहनत देख परिवार के अलावा आस-पास के लोग काफी खुश थे. रिंकू चाहती थी कि पढ़ाई कर के अधिकारी बने और मां बाप का नाम रोशन करे, लेकिन दुर्भाग्य से उसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गई. उसका सपना धीरे-धीरे दम तोड़ रहा है. अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण जब इलाज कराया गया तो डॉक्टरों ने जांच रिपोर्ट देख कर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी दी.

कैंसर से पीड़ित होने की जानकारी मिलते ही रिंकू व उसके परिवार के लोगों के पांव तले की जमीन खिसक गई. बावजूद पिता ने मजदूरी करके और कर्ज लेकर अपने बेटी को इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए काफी प्रयास किया, जो जहां बताता उसे वहां ले जाकर इलाज करवाया. मजबूर पिता ने हार नहीं मानी और उसके इलाज में अब तक 7 लाख रुपये खर्च कर दिए. लेकिन इलाज के बावजूद उसे कोई फायदा नहीं हुआ. अब डॉक्टरों द्वारा लखनऊ ले जाने की सलाह दी जा रही है. जिसमें करीब 5 लाख रुपए और खर्च होने की बात कही जा रही है. अब ऐसे में पिता के पास उतने पैसे नहीं है कि वह अपनी बेटी की इलाज करा सके. फिलहाल अब उसका इलाज बंद हो चुका है. दो सालों से रिंकू बिना इलाज के एक ही जगह बैठी रहती है.


पिता शेषनाथ की जेब खाली हो चुकी है लेकिन वो अपनी बिटिया को इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाना चाहते हैं. रिंकू पढ़ना चाहती हैं और जीना चाहती है. अन्य लड़कियों की तरह सुकून से, खुशी से रहना चाहती है. लेकिन कैंसर के कारण पढ़ाई भी नहीं कर पा रही है. रिंकू की बातों को सुनकर एक बार जरूर आपका दिल पसीज जाएगा. उसके पास जो भी जाता उसके पास वह फफक- फफक कर रोने लगती है. हाथ जोड़कर सरकार और लोगों से मदद की गुहार लगाती है.

'मैं मरना नहीं जीना चाहती हूं. अन्य लड़कियों की तरह पढ़ना चाहती हूं. मुझे भी अन्य लड़कियों की तरह घूमना, खुश रहना, सुकून से जीना है. लेकिन मुझे गंभीर बीमारी हो जाने के कारण मैं अन्य लड़कियों के तरह खुश नहीं रह सकती हूं. रात को सभी सोए रहते हैं और मैं रोती रहती हूं. मुझसे अब और कष्ट बर्दाश्त नहीं हो रहा है.' :- रिंकू कुमारी, कैंसर पीड़ित

रिंकू रो-रोकर सरकार से विनती कर कहती हैं की कितने लोगों को आप के द्वारा मदद की जाती है. मुझे भी मदद कीजिये, मेरे पिता ने अबतक 7 लाख रुपये खर्च कर दिए अब उनके पास पैसे खत्म हो गये हैं. मैं रोज दर्द से छटपटाती रहती हूं. मैं अपना दुखड़ा किससे कहूं? कौन मेरा दुःख सुनेगा? रिंकू हाथ जोड़कर ईटीवी भारत के लिए जरिए लोगों और सरकार से मदद की गुहार लगा रही है. वह कहती है कि सरकार और लोग मदद करेंगे तो मैं जी सकती हूं. स्वस्थ होकर फिर से स्कूल जा सकती हूं.

वहीं केंद्र सरकार हो या बिहार सरकार (Appeals To Bihar Government for help) हर कोई 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देकर कई योजनाएं संचालित करती हैं. लेकिन आज हमारे समाज में एक ऐसी बेटी है, जो जीना चाहती है और पढ़ना भी. लेकिन पैसे नहीं होने के चलते इसका इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसा नहीं है कि रिंकू के मर्ज का इलाज नहीं है. लेकिन पैसे के अभाव में वो तिल-तिलकर मर रही है. अभी भी मदद की उम्मीद पर रिंकू जिंदा है. देखना है उसकी ये उम्मीद सरकार कब तक पूरा करती है?

इसे भी पढ़ें : बक्सरः कैंसर पीड़ित ने फोनकर SP से मांगी मदद, पटना से मंगवाकर पुलिस ने पहुंचाई दवा

Last Updated : Nov 21, 2021, 9:17 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.