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गोपालगंजः भैया दूज पर बहनों ने किया भाई के दीर्घायु होने की कामना - बज्र चना

भैया दूज पर सभी जगहों पर गाय के गोबर से विभिन्न कलाकृतियां बनाकर नारियल मिठाई और चना के साथ पूजा की गई. पूजा के बाद मुसर से महिलाओं और युवतियों ने पारंपरिक गीत के साथ गोधन किया.

भैया दूज पर बहनों ने किया भाई के दीर्घायु होने की कामना
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Published : Oct 29, 2019, 10:23 AM IST

गोपालगंजः भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जिले में दीपावली के 2 दिन बाद भाई-बहन का त्यौहार भैया दूज धूमधाम से मनाया जा रहा है. भैया दूज में बहन अपने भाई के लिए उपवास रखती है और भाई के दीर्घायु होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है.

चना खिलाकर बज्र होने की कामना
मान्यता है कि बहन भाइयों को गोधन पर चढ़ाया गया चना खिलाकर बज्र होने की कामना करती है. गोधन पर चढ़ाया हुआ चना को बज्र चना भी कहा जाता है. इसके बाद आटा और दाल से बना पीट्ठा भी खाने की परंपरा है. इस दिन महिलाएं अपने जीभ पर कांटे को चुभा कर अपने भाई को पहले श्राप देती है इसके बाद उन्हें जीवित करती हैं.

भैया दूज पर बहनों ने किया भाई के दीर्घायु होने की कामना

धूमधाम से मनाई जा रही भैया दूज
भैया दूज पर सभी जगहों पर गाय के गोबर से विभिन्न कलाकृतियां बनाकर नारियल मिठाई और चना के साथ पूजा की गई. पूजा के बाद मुसर से महिलाओं और युवतियों ने पारंपरिक गीत के साथ गोधन किया. इस दौरान गोधन भैया चलले अहेरिया अमुक बहना देली आशीष समेत अन्य पारंपरिक गीतों से पूरा महौल गुंजायमान रहा.

gopalganj
पूजा करती महिलाएं

गोपालगंजः भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जिले में दीपावली के 2 दिन बाद भाई-बहन का त्यौहार भैया दूज धूमधाम से मनाया जा रहा है. भैया दूज में बहन अपने भाई के लिए उपवास रखती है और भाई के दीर्घायु होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है.

चना खिलाकर बज्र होने की कामना
मान्यता है कि बहन भाइयों को गोधन पर चढ़ाया गया चना खिलाकर बज्र होने की कामना करती है. गोधन पर चढ़ाया हुआ चना को बज्र चना भी कहा जाता है. इसके बाद आटा और दाल से बना पीट्ठा भी खाने की परंपरा है. इस दिन महिलाएं अपने जीभ पर कांटे को चुभा कर अपने भाई को पहले श्राप देती है इसके बाद उन्हें जीवित करती हैं.

भैया दूज पर बहनों ने किया भाई के दीर्घायु होने की कामना

धूमधाम से मनाई जा रही भैया दूज
भैया दूज पर सभी जगहों पर गाय के गोबर से विभिन्न कलाकृतियां बनाकर नारियल मिठाई और चना के साथ पूजा की गई. पूजा के बाद मुसर से महिलाओं और युवतियों ने पारंपरिक गीत के साथ गोधन किया. इस दौरान गोधन भैया चलले अहेरिया अमुक बहना देली आशीष समेत अन्य पारंपरिक गीतों से पूरा महौल गुंजायमान रहा.

gopalganj
पूजा करती महिलाएं
Intro:भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को महत्वपूर्ण माना है। रक्षाबंधन में बहन भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर खुद की रक्षा की कामना करती है। वही भैया दूज भाई बहन के प्यार भरे रिश्ते को और भी गहरा व मजबूत बनाने वाला पर्व होता है। इस पर्व में बहन अपने भाई के लिए उपवास रखती है और भाई को दीर्घायु होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है।


Body:दीपावली के 2 दिन बाद यानी गोवर्धन पूजा के दिन भाई बहन का त्यौहार भैया दूज का पर्व बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर बहनों द्वारा जिले के विभिन्न जगहों पर गाय के गोबर से विभिन्न कलाकृतियां बनाकर नारियल मिठाई व चना के साथ पूजा की। इसके बाद मुसर द्वारा महिलाओं व युवतियों ने पारंपरिक गीत के साथ गोधन की कुटाई की गई। गोधन भैया चलले अहेरिया अमुक बहना देली आशीष ......जीयस हो मोरे भैया जीएस भैया लाख बरिश..... एवं अवरा कुटिले जबरा कुटी ले कुटिले जम के द्वार..... समेत अन्य पारंपरिक गीतों के साथ,पूरा महौल गुंजायमान रहा। बहने अपने भाई के लिए गोधन कूटकर भाई के दीर्घायु होने की कामना की इस संदर्भ में बताया जाता है कि दीपावली के दूसरे दिन गोधन कूटने की परंपरा है। शहर समेत ग्रामीण इलाके के विभिन्न क्षेत्रों में महिला व युवतियां ने गोबर से गोवर्धन और उनकी बहन की आकृति तैयार की इसके बाद मुसर द्वारा कुटाई की गई। बहन भाइयों को गोधन पर चढ़ाया गया चना खिलाकर बज्र होने की बात करती है। गोधन पर चढ़ाया हुआ चना को बज्र चना भी कहा जाता है। इसके बाद आटा व दाल से बना पीठा भी खाने की परंपरा है। साथ ही इस दिन महिलाएं अपने जीभ पर कांटे को चुभा कर अपने भाई को पहले श्राप देती है इसके बाद उन्हें जीवित करती है।




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