गोपालगंज: आज भाई दूज का पर्व है. पूरे भारत में बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र के लिए पूजा की. यह पर्व भाई-बहन के आपस में स्नेह और प्यार को दर्शाता है. जिले के विभिन्न गांव और मुहल्लों में अपने भाई की लम्बी उम्र के लिए बहनों ने उपवास रख कर भैया दूज का पर्व मनाया. इस दौरान बहनों द्वारा गाय के गोबर से बने गोधन की कुटाई कर भाई की लंबी उम्र की कामना की.
दरअसल, भैया दूज का यह त्योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. दीपावली के दो दिन बाद आने वाले इस त्योहार को यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यम देव की पूजा का भी विधान है. हिन्दू धर्म में भइया दूज का विशेष महत्व है. इस पर्व को 'यम द्वितीया' और 'भ्रातृ द्वितीया' भी कहा जाता है. रक्षाबंधन के बाद भैया दूज दूसरा ऐसा त्योहार है, जिसे भाई-बहन बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं. जहां, रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को सदैव उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं.
क्या है मान्यताएं?
वहीं भाई दूज के मौके पर बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है. भैया दूज और रक्षा बंधन भाई-बहन के अमर प्रेम के प्रमुख त्योहार है. भाई दूज को लेकर अलग-अलग इलाकों में भिन्न मान्यताएं हैं. कहीं भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना स्नान करते हैं तो कहीं भाई दूज के दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं. मान्यता है कि सूर्य के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना भाई-बहन हैं. यमुना की प्रार्थना पर यमराज ने कहा था कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करेगा उसे यमराज का भय नहीं रहेगा. इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है. गोबर की मानव मूर्ति बनाकर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं.