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सरकार की लापरवाही से शुरू नहीं हो सका मत्स्य रोजगार, 6 साल पहले शुरू हुआ था प्रशिक्षण केंद्र - Fish

गोपालगंज के तुरकाहा में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए छह वर्ष पहले मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र खोला गया था. लेकिन आज यह केंद्र अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र
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Published : May 2, 2019, 10:10 AM IST

गोपालगंज: सरकार योजनाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे तो करती है. लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही देखने को मिलता है. जिले के एक गांव में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए छह वर्ष पहले मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र खोला गया था. लेकिन सरकार की लापरवाही से यह एक भवन ही बन कर रह गया.

जिले के सदर प्रखंड के तुरकाहा में 2012 में तत्कालीन मंत्री गिरिराज सिंह ने यहां एक मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र के भवन का उद्घाटन किया थ. इसके साथ ही एक पोखर की खुदाई भी की गई थी. जिसमें मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जा सके. लेकिन आज इस पोखर की स्थिती यह है कि बच्चे इसमें क्रिकेट खेलते हैं. वहीं, आज ग्रामीण इस भवन का उपयोग मवेशियों के लिए कर रहे हैं.

मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र का स्थिती बताते ग्रामीण और अधिकारी

जल्द शुरू होगा प्रशिक्षण

इस मामले में मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन ने कहा कि उस केंद्र पर सत्र 2014-15 में मछली पालकों के लिए प्रशिक्षण का कार्य हुआ था. इसमें लक्ष्य अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 30-30 की संख्या निर्धारित की गई थी. लेकिन सरकार की तरफ से लक्ष्य ही नहीं आया. इससे प्रशिक्षण दिया जा सके. लक्ष्य का निर्धारण होने पर फिर से प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा.

गोपालगंज: सरकार योजनाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे तो करती है. लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही देखने को मिलता है. जिले के एक गांव में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए छह वर्ष पहले मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र खोला गया था. लेकिन सरकार की लापरवाही से यह एक भवन ही बन कर रह गया.

जिले के सदर प्रखंड के तुरकाहा में 2012 में तत्कालीन मंत्री गिरिराज सिंह ने यहां एक मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र के भवन का उद्घाटन किया थ. इसके साथ ही एक पोखर की खुदाई भी की गई थी. जिसमें मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जा सके. लेकिन आज इस पोखर की स्थिती यह है कि बच्चे इसमें क्रिकेट खेलते हैं. वहीं, आज ग्रामीण इस भवन का उपयोग मवेशियों के लिए कर रहे हैं.

मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र का स्थिती बताते ग्रामीण और अधिकारी

जल्द शुरू होगा प्रशिक्षण

इस मामले में मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन ने कहा कि उस केंद्र पर सत्र 2014-15 में मछली पालकों के लिए प्रशिक्षण का कार्य हुआ था. इसमें लक्ष्य अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 30-30 की संख्या निर्धारित की गई थी. लेकिन सरकार की तरफ से लक्ष्य ही नहीं आया. इससे प्रशिक्षण दिया जा सके. लक्ष्य का निर्धारण होने पर फिर से प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा.

Intro:सरकार द्वारा हमेशा से ही कई योजनाओं की शुरुआत की जाती रही है। योजना बनाई भी जाती है, और निर्माण कार्य भी किया जाता है। लेकिन योजना बना कर निर्माण कार्य करने के बाद भूल जाना भी यहां नियति साबित हो रही है। ऐसे कई विभाग है, जहां योजना बनाने के बाद उसपर अमल नही की गई। अगर बात करें मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र की तो यह केंद्र इसी नियति की भेंट चढ़ गई है। जिसके कारण इस योजना का लाभ मछली पालक नही ले सके । ज्ञातव्य हो कि आज से करीब 6 वर्ष पहले यानी 2012 में तत्कालीन मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा सदर प्रखंड के तुरकाहा में रोजगार बढाने व मछली पालकों के प्रशिक्षण के लिए मत्स्य प्रसार सह प्रशिक्षण केंद्र के भवन का उदघाटन धूम धाम से किया गया। इसके बगल में बड़ी पोखरे की खुदाई भी की गई थी ताकि मछली पालन की प्रशिक्षण दिया जा सके। लेकिन यहां बने पोखरे सुख गए है। जिसमे लड़के क्रिकेट खेलते हुए नजर आते है। वही भवन के आस पास स्थानीय लोगो ने अतिक्रमण कर मवेशियों के लिए तबेला बना दिया है। लेकिन बदलते समय के साथ इसमें लगे ताले आज तक नही खुल सके। यह भवन आज भी खुलने का इन्तेजार देख रहा है। करीब 7 साल पूर्व सरकार ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण की देने की योजना की शुरूआत किया था । इस योजना के तहत सदर प्रखंड के तुरकहाँ स्थित नहर के पास 27 जनवरी 2012 को मंत्री गिरिराज सिंह ने उद्घाटन कर मछुआरों के लिए सौगात दी थी। लेकिन आज तक मछुआरों को इस से मिलने वाली सुविधा नहीं मिल सकी। उद्घाटन के समय मछुआरों व स्थानीय लोगो में यह उम्मीद जगी थी की मत्स्य पालन प्रशिक्षण लेकर अपने धंधे को और आगे बढ़ाएंगे इस केंद्र को खोलने का एक उद्देश्य भी था कि प्रशिक्षण की सुविधा मिल जाने से ग्रामीणों में मत्स्य पालन के प्रति आकर्षण भी बढ़ेगा लेकिन यह योजना मूर्त रूप ले पाती इससे पहले ही प्रशिक्षण केंद्र में ताला लटक गया। इस संदर्भ में इब मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक अख्तर हुसैन से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि उस केंद्र पर सत्र 2014-15 में मछली पालको के लिए प्रशिक्षण का कार्य हुआ था। जिसमें लक्ष्य अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगो के लिए 30 -30 की संख्या निर्धारित की गई थी लेकिन सरकार के तरफ से लक्ष्य ही नही आया जिसके बाद प्रशिक्षण दिया जा सके। लक्ष्य का निर्धारण होने पर पुनः प्रशिक्षण का कार्य किया जाएगा।
बाइट-अख्तर हुसैन, कुर्सी पर बैठा हुआ पिला शर्ट में
बाइट-किशोर राम ,मछुआरा
बाइट-राजेश कुमार स्थानीय(टोपी पहने हुए)
पीटीसी-अटल बिहारी पांडेय


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