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लाचारी: इस किसान के पास है 20 क्विंटल केंचुए, नहीं मिल रहे खरीदार - gopalganj

वर्मीकम्पोस्ट के लिए किसान अजय राय ने अपने विवेक के बल पर केंचुए की खेती की और धीरे धीरे फार्म को आगे बढ़ाया और केंचुए तैयार किए. ताकि अपने गांव में ही वर्मी कल्चर से जैविक खाद उत्पादन की शुरुआत हो सके. अब भारी मात्रा में पैदा हुए केंचुए किसान के लिए जी का जंजाल बन गए हैं.

वर्मीकम्पोस्ट
वर्मीकम्पोस्ट
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Published : Jan 18, 2021, 2:46 PM IST

Updated : Jan 19, 2021, 2:02 PM IST

गोपालगंजः जिले के मीरगंज प्रखंड के ब्रह्ममाइन गांव के एक किसान केंचुए की खेती के बाद खरीददार ना मिलने से परेशान हैं. कृषि विभाग द्वारा वर्मीकम्पोस्ट की खेती करने के लिये पहले तो किसानों को प्रोत्साहित किया गया. इसके बाद मदद करने में हाथ खड़े कर दिए. जिसके कारण किसान अजय राय के फार्म में 15 से 20 क्विंटल केंचुए पड़े हुए हैं.

दरअसल कृषि विभाग ने वर्मीकम्पोस्ट को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कई तरह के सब्जबाग दिखाए. साथ ही वर्मीकम्पोस्ट को बढ़ावा देने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया. लेकिन हकीकत का पता तब चला जब ईटीवी भारत की टीम मीरगंज प्रखंड के ब्रह्ममाईन गांव निवासी अजय राय के पास पहुंची. अजय राय ने पिछले 6 वर्ष पूर्व ही वर्मीकम्पोस्ट की खेती की शुरुआत की.

अजय राय, किसान
अजय राय, किसान

फार्म में पड़े हैं 15 से 20 क्विंटल केंचुए
शुरुआत में कृषि विभाग ने पहले तो उन्हें प्रोत्साहित किया. बाद में अपना हाथ पीछे खींच लिया. जिसके कारण अजय राय के फार्म में 15 से 20 क्विंटल केंचुए पड़े हुए हैं. अब केचुआ के खरीददार नहीं मिल रहा है. खरीददार नहीं मिलने के कारण वे सरकारी सहयोग को लेकर प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन अभी तक उन्हें कहीं से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.

अजय राय बताते हैं- किताब पढ़कर और टीवी में देखने के बाद उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाया. इसके लिए कृषि पदाधिकारी द्वारा भी इसकी महत्ता बताई गई. पहले तो विभाग ने केंचुए को कम मात्रा में उपलब्ध कराया. लेकिन अपने विवेक के बल पर केंचुए की खेती की और धीरे-धीरे फार्म को बढ़ाया. इसके बाद केंचुए को तैयार किया. ताकि अपने गांव में ही वर्मी कल्चर से जैविक खाद उत्पादन की शुरुआत हो सके.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः कुशल युवा कार्यक्रम के तहत गांव की लड़कियां भी बन रहीं स्मार्ट

'कहीं से कोई सहयोग नहीं मिला'
'खरीददार नहीं मिलने के कारण सरकारी सहयोग के लिए प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं. अभी तक कहीं से कोई सहयोग नहीं मिला, ताकि इसकी बिक्री हो सके. वर्ष 2015 के सितंबर महीने में इसकी शुरुआत की थी. पहले विभाग ने 40 किलो केंचुए कहकर 2 किलो केंचुए दिए. जो नकाफी साबित हुआ. इसके बाद खुद के विवेक से इस काम को आगे बढ़ाया'- अजय राय, किसान

किसान अजय राय ने बताया कि एक किलो में करीब 12 सौ पीस केंचुए होते है.केचुए की उम्र 170 दिन होती है और 35 दिन बाद प्रजनन करने के योग्य होता है. सरकारी रेट के अनुसार केचुए का मूल्य 750 रुपये है. उन्होंने बताया कि उनके फार्म में करीब साढ़े सात लाख रुपये के केचुए आज भी पड़े हुए हैं. जिसे बेच पाना मुश्किल हो गया है.

केंचुए की खेती करता किसान
केंचुए की खेती करता किसान

'सरकार की तरफ से कोई योजना नहीं'
इस सिलसिले में जब हमने कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह से बात कि तो उन्होंने इस संदर्भ में कुछ भी बताने से परहेज किया. लेकिन ऑफ द कैमरा उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार की तरफ से कोई योजना नहीं चल रही है. ताकि वर्मी कम्पोस्ट का बढ़ावा दिया जा सके.

गोपालगंजः जिले के मीरगंज प्रखंड के ब्रह्ममाइन गांव के एक किसान केंचुए की खेती के बाद खरीददार ना मिलने से परेशान हैं. कृषि विभाग द्वारा वर्मीकम्पोस्ट की खेती करने के लिये पहले तो किसानों को प्रोत्साहित किया गया. इसके बाद मदद करने में हाथ खड़े कर दिए. जिसके कारण किसान अजय राय के फार्म में 15 से 20 क्विंटल केंचुए पड़े हुए हैं.

दरअसल कृषि विभाग ने वर्मीकम्पोस्ट को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कई तरह के सब्जबाग दिखाए. साथ ही वर्मीकम्पोस्ट को बढ़ावा देने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया. लेकिन हकीकत का पता तब चला जब ईटीवी भारत की टीम मीरगंज प्रखंड के ब्रह्ममाईन गांव निवासी अजय राय के पास पहुंची. अजय राय ने पिछले 6 वर्ष पूर्व ही वर्मीकम्पोस्ट की खेती की शुरुआत की.

अजय राय, किसान
अजय राय, किसान

फार्म में पड़े हैं 15 से 20 क्विंटल केंचुए
शुरुआत में कृषि विभाग ने पहले तो उन्हें प्रोत्साहित किया. बाद में अपना हाथ पीछे खींच लिया. जिसके कारण अजय राय के फार्म में 15 से 20 क्विंटल केंचुए पड़े हुए हैं. अब केचुआ के खरीददार नहीं मिल रहा है. खरीददार नहीं मिलने के कारण वे सरकारी सहयोग को लेकर प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन अभी तक उन्हें कहीं से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.

अजय राय बताते हैं- किताब पढ़कर और टीवी में देखने के बाद उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाया. इसके लिए कृषि पदाधिकारी द्वारा भी इसकी महत्ता बताई गई. पहले तो विभाग ने केंचुए को कम मात्रा में उपलब्ध कराया. लेकिन अपने विवेक के बल पर केंचुए की खेती की और धीरे-धीरे फार्म को बढ़ाया. इसके बाद केंचुए को तैयार किया. ताकि अपने गांव में ही वर्मी कल्चर से जैविक खाद उत्पादन की शुरुआत हो सके.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः कुशल युवा कार्यक्रम के तहत गांव की लड़कियां भी बन रहीं स्मार्ट

'कहीं से कोई सहयोग नहीं मिला'
'खरीददार नहीं मिलने के कारण सरकारी सहयोग के लिए प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं. अभी तक कहीं से कोई सहयोग नहीं मिला, ताकि इसकी बिक्री हो सके. वर्ष 2015 के सितंबर महीने में इसकी शुरुआत की थी. पहले विभाग ने 40 किलो केंचुए कहकर 2 किलो केंचुए दिए. जो नकाफी साबित हुआ. इसके बाद खुद के विवेक से इस काम को आगे बढ़ाया'- अजय राय, किसान

किसान अजय राय ने बताया कि एक किलो में करीब 12 सौ पीस केंचुए होते है.केचुए की उम्र 170 दिन होती है और 35 दिन बाद प्रजनन करने के योग्य होता है. सरकारी रेट के अनुसार केचुए का मूल्य 750 रुपये है. उन्होंने बताया कि उनके फार्म में करीब साढ़े सात लाख रुपये के केचुए आज भी पड़े हुए हैं. जिसे बेच पाना मुश्किल हो गया है.

केंचुए की खेती करता किसान
केंचुए की खेती करता किसान

'सरकार की तरफ से कोई योजना नहीं'
इस सिलसिले में जब हमने कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह से बात कि तो उन्होंने इस संदर्भ में कुछ भी बताने से परहेज किया. लेकिन ऑफ द कैमरा उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार की तरफ से कोई योजना नहीं चल रही है. ताकि वर्मी कम्पोस्ट का बढ़ावा दिया जा सके.

Last Updated : Jan 19, 2021, 2:02 PM IST
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