गया: जिले का भौगोलिक मिजाज सूबे के सभी जिलों से अलग है. गया जिला में पिछले एक दशक से स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. गया के परेया प्रखण्ड के रजोई रामपुर गांव में एक युवा किसान पिछले दो साल से स्ट्रॉबेरी की सफल खेती कर रहा है. युवा किसान ने अपने गांव रजोई रामपुर में तीन एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती कर रखी है. इस साल स्ट्राबेरी से लाखों की कमाई हो सकेगी.
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तीन एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती
दरअसल, पिछले साल कोरोना संक्रमण को लेकर जारी लॉकडाउन और दूसरी तरफ हुई भारी बारिश के कारण स्ट्रॉबेरी के पौधे खराब हो गए थे. जिससे दीपक को लाखों की क्षति उठानी पड़ी थी. लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस साल एक बार फिर से पूरे जोश के साथ करीब तीन एकड़ भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इसके लिए सरकार की ओर से उन्हें अनुदान भी उपलब्ध कराया गया है. दीपक स्ट्रॉबेरी की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं.
''मुझे कृषि विभाग द्वारा दूसरे राज्यों में ले जाकर कम लागत और कम जगह में ज्यादा मुनाफा वाली फसल की खेती को दिखाया जाता था. मैं उसी से प्रेरित भी हुआ. साल 2019 में पहली बार इसकी खेती की थी. दो माह के बाद मेहनत का फल मिलने लगा. उसी जगह पर एक एकड़ में धान-गेहूं लगाते थे जब दस हजार की कमाई होती थी. लेकिन स्ट्रॉबेरी एक एकड़ में लगाए तो चार से पांच लाख रुपये की कमाई हुई. हमारा स्ट्रॉबेरी गया, पटना और कोलकाता जाता है. केवल गया के बाजार में 100 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी की खपत है''- दीपक कुमार, युवा किसान
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स्ट्रॉबेरी से लाखों की कमाई
गया में कई लोगों ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, लेकिन कोई सफल नहीं हुआ. पिछले दो साल से मैं पूरे जिले में सफल किसान हूं. समय-समय पर कृषि विभाग के अधिकारियों का विजिट और वैज्ञानिकों के द्वारा सुझाव दिया जाता था, जिसका मैं पालन करता था. एक वैज्ञानिक ने बताया कि नदी किनारे होने के कारण बालू वाली मिट्टी है, जिसकी वजह से हर प्रकार की फसल हो सकती है.
सफलता से लोग हो रहे प्रेरित
दीपक बताते हैं कि मेरे पिता सरकारी जॉब में है. मैं बीकॉम करके खेती कर रहा हूं. जब स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की तो लोग मजाक उड़ाते थे. पढ़ लिखकर खेती कर रहा है. जब मैं सफल हुआ तो लोग अब प्रेरित होने लगे, युवा किसान विचार विमर्श करते हैं.
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गौरतलब है कि गया जिले का अति उग्रवाद प्रभावित परैया प्रखंड जहां हालिया दिनों में दिन के उजालों में भी लाल सलाम की आवाज और गोलियों की गूंज सुनाई पड़ती थी, उस स्थान पर युवा और शिक्षित किसान अपने मेहनत के बल पर सफलता की नई इबारत लिख रहा है. जो युवा कल तक बंदूक उठा रहे थे, इसकी सफलता प्रेरित होकर आज खेती कर रहे हैं.